निजी कॉलेजों में भी छात्रसंघ चुनाव करवाए मप्र सरकार: हाईकोर्ट

लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के उलट निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न करवाए जाने को चुनौती देते हुए एनएसयूआई द्वारा याचिका दायर की गयी थी.

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लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के उलट निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न करवाए जाने को चुनौती देते हुए एनएसयूआई द्वारा याचिका दायर की गयी थी.

Jabalpur HighCourt YouTube
फोटो साभार: यूट्यूब

जबलपुर: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 25 अक्टूबर सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदेश के निजी कालेजों में भी छात्रसंघ चुनाव करवाये जाये तथा इस संबंध में 30 अक्तूबर तक अधिसूचना जारी की जाये.

एनएसयूआई के जिला उपाध्यक्ष बादल पंजवानी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि लिंगदोह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की अनुशंसा की थी कि शासकीय एवं गैर शासकीय कॉलेजों के साथ तकनीकी और गैर तकनीकी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव करवाये जाये.

मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश वीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए 25 अक्टूबर को जारी एक आदेश में कहा है कि 30 अक्टूबर तक सरकार शासकीय कॉलेजों में चुनाव संपन्न करवाये तथा इसी दिन निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव करवाने के संबंध में अधिसूचना जारी करे.

मालूम हो कि सरकार द्वारा 12 अक्टूबर को छात्रसंघ चुनाव करवाने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी. इसके अगले दिन 13 अक्टूबर को सरकार ने एक नयी अधिसूचना जारी की है कि सिर्फ शासकीय कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव करवाये जायेंगे.

लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के विपरीत निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाये जाने को चुनौती देते हुए एनएसयूआई द्वारा उक्त याचिका दायर की गयी थी.

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि शासकीय कॉलेजों के चुनाव के बाद निजी कॉलेजों में चुनाव करवाये जायेंगे. इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सरकार की लेटलतीफी के कारण शैक्षणिक सत्र ही समाप्त हो जायेगा.

हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद छात्र संगठनों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. पत्रिका के मुताबिक एनएसयूआई के जिला बादल पंजवानी का कहना है कि उच्च न्यायलय के इस फैसले से प्राइवेट कॉलेज के छात्र-छात्राओं को भी नेतृत्व का अवसर मिलेगा. प्रदेश सरकार की मंशा साफ नहीं थी. निजी कॉलेजों में चुनाव न करवाए जाने से लाखों छात्र-छात्राएं इस प्रक्रिया से वंचित थे. यह फैसला एनएसयूआई की एक बड़ी जीत है.

वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रियांक शांडिल्य भी इस फैसले से उत्साहित हैं. उनका कहना है कि छात्र संगठन की प्रक्रिया हर कॉलेज में होनी चाहिए और चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाए जाने चाहिए. जब तक प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव नहीं होंगे सशक्त युवा नेतृत्व उभरकर सामने नहीं आएगा. प्रियांक मानते हैं कि डिग्री कॉलेजों के साथ ही इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में भी छात्रसंघ गठन होना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)