दिल्ली के एम्स द्वारा जारी एक ज्ञापन में निर्देश दिया गया है कि किसी भी समारोह के लिए ‘गणमान्य व्यक्तियों’ को आमंत्रित करने के लिए संस्थान के अध्यक्ष- जो स्वास्थ्य मंत्री हैं, से मंज़ूरी लेनी होगी. बताया गया है कि पहले ऐसी अनुमति केवल वीवीआईपी के आने पर या किसी बड़े समारोह के लिए ली जाती थी.
नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक कार्यालय ज्ञापन जारी करते हुए कहा है कि किसी भी समारोह के लिए ‘गणमान्य व्यक्तियों’ को आमंत्रित करने के लिए संस्थान के अध्यक्ष द्वारा अनुमोदित करवाना होगा.
एम्स की वेबसाइट के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को इंस्टिट्यूट बॉडी (संस्थान निकाय- आईबी) के अध्यक्ष के तौर पर दर्शन गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी देव नाथ साह द्वारा 1 अक्टूबर को जारी ज्ञापन में कहा गया है, ‘सक्षम प्राधिकारी के संज्ञान में आया है कि अध्यक्ष, एम्स, नई दिल्ली की जानकारी के बिना गणमान्य व्यक्तियों को निमंत्रण दिया जा रहा है. यह निर्देश दिया जाता है कि इस तरह के निमंत्रण केवल निदेशक, एम्स, नई दिल्ली के माध्यम से एम्स के अध्यक्ष, एम्स के अनुमोदन से आगे बढ़ाए जाने हैं.’
यह आदेश सभी शैक्षणिक, अनुसंधान एवं परीक्षा विभागों के डीन, केंद्रों के प्रमुखों, चिकित्सा अधीक्षकों और विभागों और अनुभागों के प्रमुखों को भेजा गया था.
अख़बार द्वारा संपर्क करने पर कार्यवाहक पीआरओ डॉ. करण मदान ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की. एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘किसी भी तरह के भ्रम या अप्रिय स्थिति से बचने के लिए अध्यक्ष को लूप में रखना चाहिए.’
एम्स की स्थापना 1956 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी.
संस्थान के एक पूर्व निदेशक ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि अध्यक्ष की सहमति केवल दीक्षांत समारोह जैसे प्रमुख आयोजनों के लिए ली जाती थी. उन्होंने बताया, ‘मेरे कार्यकाल में ऐसा कोई लिखित आदेश नहीं था… केवल दीक्षांत समारोह और अन्य प्रमुख कामों के लिए, जहां किसी को पुरस्कार दिया जाना था या जहां प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या कोई वीवीआईपी भाग ले रहे हों… अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती थी. बाकी किसी अन्य सामान्य समारोह के लिए ऐसा नहीं होता था.’
पूर्व निदेशक ने आगे कहा, ‘विदेशी नागरिकों को आमंत्रित करने का काम आमतौर पर निदेशक देखते थे, जो विभिन्न विभागों को अनुमति देते थे. दीक्षांत समारोह और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के लिए पहले ही अध्यक्ष कार्यालय के जरिये सरकार यानी स्वास्थ्य मंत्रालय से मंजूरी ली जाती थी.’
संस्थान के एक अन्य पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने इस अख़बार से कहा कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अध्यक्ष से मंजूरी लेने में कोई बुराई नहीं है. डॉ. मिश्रा ने कहा, ‘पहले ऐसा कोई लिखित आदेश नहीं था, लेकिन अगर किसी हाई प्रोफाइल गणमान्य व्यक्ति को आमंत्रित किया जा रहा है, तो सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होगी. इसकी जरूरत इसलिए है ताकि एक सिस्टम लागू हो सके.’
डॉक्टरों, स्टाफ को ‘एजेंट्स’ की जानकारी देने को कहा गया
इससे पहले बीते सप्ताह एम्स निदेशक ने अस्पताल के चिकित्सकों और अन्य सदस्यों से मरीजों का शोषण करने वाले निजी प्रतिष्ठानों के अनधिकृत लोगों (एजेंट) की एम्स परिसर में मौजूदगी की जानकारी देने का आग्रह किया था.
एम्स के निदेशक डॉक्टर एम. श्रीनिवास द्वारा शुक्रवार को जारी एक परिपत्र में कहा गया था कि सुरक्षा कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे सभी लोगों को अस्पताल में पुलिस के हवाले कर दिया जाए ताकि वे मरीजों का शोषण न कर सकें.
इसमें उल्लेख किया गया है कि कुछ निजी कंपनियों, अस्पतालों, प्रयोगशालाओं और रेडियोलॉजी केंद्रों आदि से संबंधित अज्ञात और अनधिकृत व्यक्तियों को अकसर मरीजों से आर्थिक लाभ लेने के लिए एम्स परिसर के अंदर घूमते देखा जाता है. यह भी पता चला है कि वह ओपीडी कार्ड जारी करने और प्रवेश की सुविधा प्रदान करते हैं तथा एजेंट मरीजों को प्रयोगशाला या रेडियोलॉजी जांच के लिए निजी प्रतिष्ठानों का रुख करने के लिए कहते हैं.
परिपत्र के अनुसार, ऐसे सभी अज्ञात व्यक्तियों, विक्रेताओं और एजेंट को अस्पताल परिसर में प्रवेश करने से सख्ती से रोका जाना चाहिए.
आगे कहा गया था कि ‘सभी चिकित्सकों, नर्स और स्टाफ सदस्यों को निर्देश दिया जाता है कि परिसर में या अस्पताल के किसी विभाग और क्षेत्र के आसपास किसी भी अनधिकृत और अज्ञात व्यक्ति की उपस्थिति के किसी भी संदेह पर तुरंत विशेष वॉट्सऐप नंबर 9355023969 पर सूचित किया जाए.’
परिपत्र के अनुसार, ऐसे अनधिकृत लोगों के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और रोगियों का शोषण रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)