बीते 10 अक्टूबर को झारखंड की लातेहार ज़िला स्थित दीवानी अदालत का टाना भगत आदिवासी समुदाय द्वारा कथित तौर पर घेराव करने के साथ और प्रधान न्यायाधीश के चेंबर को कई घंटों तक बंद रखा गया था. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत अदालत का परिचालन और बाहरी लोगों के रोज़गार एवं प्रवेश पर रोक है. पुलिस ने इस मामले में 30 आदिवासियों को गिरफ़्तार किया है.
रांची: झारखंड के लातेहार जिला स्थित दीवानी अदालत का टाना भगत आदिवासी समुदाय द्वारा घेराव और पुलिस पर हमले की घटना के एक दिन बाद झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से जवाब तलब किया.
टाना भगत समुदाय के लोगों द्वारा बीते सोमवार (10 अक्टूबर) को दीवानी अदालत का घेराव करने और प्रधान न्यायाधीश के चेंबर को घंटों बंद रखने की घटना के बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की थी.
10 अक्टूबर को हुई घटना के सिलसिले में टाना भगत समुदाय के 30 लोगों को गिरफ्तार कर अदालत के आदेश पर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इस संबंध में 228 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है.
उनकी मांग है कि अदालत को बंद किया जाए, क्योंकि जिला प्रशासन इलाके में प्रचलित संवैधानिक प्रावधानों को नजरअंदाज कर रहा है.
झारखंड हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि अदालत परिसर में हुई ऐसी घटना खुफिया विभाग की असफलता प्रतीत होती है.
मुख्य न्यायाधीश डॉ.रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया.
दोनों शीर्ष अधिकारियों के अदालत में पेश होने के बाद पीठ ने उनसे रांची से करीब 110 किलोमीटर दूर लातेहार में हुई घटना पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
#झारखंड के टाना भगतो ने आज लातेहार व्यवहार न्यायालय का घेराव किया.भागतो ने संविधान की पांचवी अनुसूची क्षेत्र का हवाला देते हुए कोर्ट-कचहरी बंद करने की मांग कर रहे थे.घेराव के दौरान बवाल भड़क गया।टाना भगतों और पुलिस में झड़प, लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़े गए.#TanaBhagat#Jharkhand pic.twitter.com/1DUvTmSrYg
— Bappi Rundu_journalist (@BappiRundu) October 10, 2022
पीठ ने कहा कि अदालत की सुरक्षा में सेंध लगी और पुलिस को इस मामले में और अधिक सतर्क होना चाहिए था. अदालत ने सरकार को अदालत परिसरों की कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया.
हाईकोर्ट इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा.
अदालत के बाहर हिंसा के आरोप में 30 आदिवासी गिरफ्तार
लातेहार जिला अदालत के बाहर सोमवार के ‘हिंसक विरोध’ के सिलसिले में टाना भगत समुदाय के 30 आदिवासियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
अखिल भारतीय टाना भगत संघ के प्रदर्शनकारियों और कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत लातेहार में अदालत का परिचालन और बाहरी लोगों के रोजगार एवं प्रवेश पर रोक है.
उन्होंने कहा कि तब तक प्रदर्शन किया जाएगा जब तक सरकारी संस्थानों, पुलिस और न्यायपालिका को उन्हें सौंप नहीं दिया जाता.
सोमवार की घटना के सिलसिले में टाना भगत समुदाय के 30 लोगों को गिरफ्तार कर अदालत के आदेश पर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस ने बताया कि लातेहार हिंसा के मामले में 228 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है.
पुलिस ने बताया कि दीवानी अदालत के प्रधान न्यायाधीश का पांच घंटे तक घेराव करने और पुलिस पर पथराव करने के मामले में 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
पुलिस इंस्पेक्टर अमित कुमार ने बताया कि अखिल भारतीय टाना भगत समिति के सचिव बहादुर टाना भगत और संगठन के नेताओं राजेंद्र टाना भगत, मनोज कुमार मिन्ज, धरमदेव भगत, धानेश्वर टोप्पो और अजीत मिन्ह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें एफआईआर में नामजद किया गया है.
उन्होंने बताया कि अदालत और जिला कलेक्ट्रेट परिसर के चारों ओर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि बीते 10 अक्टूबर को 500 से अधिक लोग लाठियों और हंसियों से लैस होकर अदालत के बाहर जमा हो गए और परिसर को बंद कर दिया, जिससे काम ठप हो गया था. ये लोग अदालतों या सरकारों की भूमिका के बिना पूर्ण स्वायत्त की मांग कर रहे थे.
लातेहार के एसपी अंजनी अंजन ने कहा, ‘वे संविधान की 5वीं अनुसूची की गलत व्याख्या कर रहे हैं और अदालतों या सरकारों की भूमिका के बिना पूर्ण स्वशासन की मांग कर रहे हैं. सोमवार को वे हथियार लेकर आए और लोहे की ग्रिल तोड़कर प्रशासन को गाली-गलौज करने लगे. उन्होंने पुलिस पर पथराव भी किया. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.’
अंजन ने कहा कि घटना में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए.
उन्होंने कहा, ‘हम इन प्रदर्शनकारियों पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं, क्योंकि पिछले तीन वर्षों में यह तीसरी बार है जब उन्होंने ऐसा कुछ किया है. पिछली बार उन्होंने पूरे कलेक्ट्रेट को पांच दिन के लिए बंद कर दिया था. दो साल पहले उन्होंने रेलवे ट्रैक पर आंदोलन किया था. कोई ताकत है, जो उन्हें गुमराह कर रही है और उनका ब्रेनवॉश कर रही है. हम मामले की जांच कर रहे हैं.’
पुलिस ने कहा कि टाना भगत आदिवासी समुदाय का इतिहास 1914-1920 का है, जब उन्होंने अंग्रेजों और सामंतों के शोषणकारी व्यवहारों के खिलाफ सविनय अवज्ञा का सहारा लिया था.
संविधान की पांचवीं अनुसूची ‘आदिवासी स्वायत्तता, उनकी संस्कृति और आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने और शांति तथा सुशासन के संरक्षण’ से संबंधित है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)