जम्मू कश्मीर: एक और कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या, विरोध में उतरे कश्मीरी पंडित कर्मचारी

कश्मीर ज़ोन पुलिस के मुताबिक, आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट पर तब गोली चलाई, जब वह शोपियां में बगीचे की तरफ जा रहे थे. उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. हत्या के विरोध में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों में राजमार्ग को अवरुद्ध करके प्रदर्शन किया.

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Shopian: The body of Puran Krishan Bhat, a Kashmiri Pandit who was shot dead allegedly by militants in the Shopian district of Jammu and Kashmir, Saturday, Oct 15, 2022. (PTI Photo) (PTI10_15_2022_000245B)

कश्मीर ज़ोन पुलिस के मुताबिक, आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट पर तब गोली चलाई, जब वह शोपियां में बगीचे की तरफ जा रहे थे. उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. हत्या के विरोध में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों में राजमार्ग को अवरुद्ध करके प्रदर्शन किया.

आतंकियों की गोली का शिकार कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट का शव एम्बुलेंस से उतारते परिजन. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में शनिवार को आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि पूरन कृष्ण भट्ट पर दक्षिण कश्मीर जिले के चौधरी गुंड इलाके में उनके आवास के निकट हमला किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि जख्मी भट्ट को शोपियां अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.

एनडीटीवी के मुताबिक भट्ट के स्कूल जाने वाले दो बच्चे हैं, बेटी सातवीं कक्षा और बेटा पांचवीं का छात्र है. उनके एक रिश्तेदार ने बताया, ‘वह अपने घर से भी बाहर नहीं निकलते थे, अंदर ही रहा करते थे. हम बहुत डरे हुए हैं.’

कश्मीर जोन पुलिस ने ट्विटर पर लिखा, ‘आतंकवादियों ने एक अल्पसंख्यक नागरिक श्री पूरन कृष्ण भट पर तब गोली चलाई, जब वह चौधरी गुंड शोपियां में बगीचे की तरफ जा रहे थे. उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. इलाके की घेराबंदी कर दी गई है. तलाशी अभियान जारी है.’

केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा समेत राजनीतिक दलों ने इस हत्या की निंदा की.

सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा, ‘शोपियां में आतंकवादियों द्वारा पूरन कृष्ण भट्ट पर हमला कायरतापूर्ण कृत्य है. शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. मैं लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि अपराधियों और आतंकवादियों की सहायता और उकसाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी.’

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने ट्वीट किया, ‘हम शोपियां में पूरन कृष्ण भट्ट पर निर्लज्ज, कायरतापूर्ण हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं, जिसमें उनकी जान चली गई. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हमारी संवेदनाएं. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें.’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एमवाई तारिगामी ने कहा कि सरकार को घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘पूरन कृष्ण भट्ट के जीवन को छिन्न-भिन्न करने वाले घृणित हमले से बेहद दुखी हूं. निर्दोष लोगों की हत्या के मामलों में कमी नहीं आ रही. सरकार को अल्पसंख्यकों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव (संगठन) अशोक कौल ने भी पूरन कृष्ण की हत्या की निंदा की है.

कौल ने एक बयान में कहा, ‘यह कश्मीरी पंडितों पर एक और कायरतापूर्ण हमला है. राष्ट्र विरोधी तत्व अपने गलत कार्यों में कभी सफल नहीं होंगे.’

कौल ने हत्या को बर्बर करार दिया और परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं. उन्होंने कहा, ‘इन चीज़ों को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि इन हमलों का मकसद क्षेत्र में शांति भंग करना है.’

अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी अल्पसंख्यक समुदाय पर अमानवीय हमले की निंदा की.

कश्मीरी पंडितों ने घाटी में लक्षित हत्याओं के विरोध में जम्मू-अखनूर मार्ग को अवरुद्ध किया

इस बीच, घाटी से स्थानांतरित करने की मांग कर रहे सैकड़ों विस्थापित कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी में अपने समुदाय के सदस्यों की लक्षित हत्याओं के विरोध में शनिवार को जम्मू-अखनूर मार्ग अवरुद्ध कर दिया.

घटना के विरोध में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने जम्मू पूंछ राजमार्ग अवरुद्ध किया. (फोटो: पीटीआई)

गौरतलब है कि मई में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से पिछले पांच महीनों में प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

कश्मीरी पंडित की हत्या की खबर मिलने पर प्रदर्शनकारी प्रदर्शन स्थल से बाहर आए और आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याओं और सरकार की कथित विफलता की निंदा करते हुए मुख्य सड़क की ओर मार्च किया और राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया.

प्रदर्शनकारियों में शामिल निखिल कौल ने कहा, ‘इन लक्षित हत्याओं के साथ हमारी आशंका फिर सच साबित हुई है. हम पहले ही घाटी छोड़ चुके हैं, वरना हमें लगता है कि हम में से कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता.’

कौल ने कहा कि कश्मीरी पंडित कहते रहे हैं कि घाटी में स्थिति उनके लिए सुरक्षित नहीं है, लेकिन यह सरकार अपने रुख पर कायम है और पुनर्वास के लिए उनकी दलीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

एक अन्य प्रदर्शनकारी योगेश पंडित ने कहा कि प्रशासन बायोमीट्रिक उपस्थिति अनिवार्य करने और वेतन को रोकने के रूप में ‘डैथ वारंट’ जारी करके उन पर फिर से काम करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘भट की हत्या ने घाटी में बेहतर सुरक्षा स्थिति के बारे में सरकार के दावों को उजागर कर दिया. सही मायनों में स्थिति सामान्य होने तक हम वापस नहीं लौटेंगे.’

पंडित ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल में सिलसिलेवार लक्षित हत्याओं के बाद घाटी से अपने स्थानांतरण के लिए ज्ञापन और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से सरकार तक पहुंचने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, ‘यह सरकार गूंगी, बहरी और अंधी है.’ पंडित ने कहा कि उनकी क्या गलती थी जिसके लिए उन्हें आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से मार दिया जा रहा है.

राष्ट्रीय बजरंग दल के कार्यकर्ता भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हुए और घाटी में आतंकवादियों द्वारा लगातार लक्षित हत्याओं की निंदा करने के लिए पाकिस्तान का पुतला फूंका.

जम्मू कश्मीर में हमलों का दौर जारी

बता दें कि इससे पहले अगस्त माह की 16 तारीख को शोपियां जिले में ही एक सेब के बगीचे में आतंकवादियों ने एक अन्य कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी थी. फायरिंग में उनका भाई भी घायल हो गया था.

उक्त हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अल बद्र की एक शाखा ‘कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स’ ने ली थी.

सूत्रों ने तब बताया था कि सरकार, खुफिया जानकारी साझा करने वाली देश के शीर्ष निकाय ‘मल्टी एजेंसी सेंटर’से मिले इनपुट के आधार पर ऐसे ही और हमलों की उम्मीद कर रही है.

वहीं, इस घटना से 24 घंटे पहले एक और कश्मीरी पंडित पर हमला हुआ था. स्वतंत्रता दिवस वाले दिन बडगाम में एक घर पर ग्रेनेड फेंक दिया गया था, जिसमें करन कुमार सिंह नामक एक व्यक्ति घायल हो गया था.

उसी दिन, एक अलग हमले में श्रीनगर के बटमालू इलाके में पुलिस कंट्रोल रूम पर ग्रेनेड फेंक दिया गया था.

उससे पहले 11 अगस्त को बांदीपुरा जिले में आतंकवादियों ने बिहार के एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद अमरेज की गोली मारकर हत्या की थी.

जनवरी में एक पुलिसकर्मी की अनंतनाग में लक्षित हत्या की गई थी. फरवरी में ऐसी कोई घटना नहीं हुई. वहीं, मार्च में सबसे अधिक सात ऐसी हत्याएं हुई जिनमें पांच आम लोग और एक सीआरपीएफ का जवान शामिल है जो छुट्टी पर शोपियां आया था जबकि विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) की बडगाम में हत्या कर दी गई थी. इस हमले में एसपीओ के भाई की भी मौत हो गई थी.

अप्रैल महीने में एक सरपंच सहित दो गैर-सैनिकों की हत्या की गई थी. वहीं, मई महीने में आतंकवादियों ने पांच लोगों की लक्षित हत्या की जिनमें दो पुलिसकर्मी और तीन आम नागरिक थे.

मई में आतंकवादियों द्वारा गए मारे गए आम नागरिकों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत भर्ती सरकारी कर्मचारी राहुल भट, टीवी एंकर अमरीन भट और शिक्षिका रजनी बाला शामिल थीं.

जून महीने में एक प्रवासी बैंक प्रबंधक और एक प्रवासी मजदूर की आतंकवादियों ने हत्या कर दी, जबकि एक पुलिस उपनिरीक्षक भी आतंकवादियों के हमले में मारे गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)