मीडिया, एनजीओ, न्यायपालिका का दुरुपयोग विभाजनकारी विचारों को फैलाने में हो रहा है: राजनाथ सिंह

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक समारोह में कहा कि मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन यदि मीडिया स्वतंत्र है तो इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है. अगर एनजीओ स्वतंत्र हैं तो उन्हें इस तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाता है कि देश की पूरी व्यवस्था ठप हो जाए. यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है तो क़ानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को रोकने या धीमा करने का प्रयास किया जाता है.

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राजनाथ सिंह. (फोटो साभार: पीआईबी)

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक समारोह में कहा कि मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन यदि मीडिया स्वतंत्र है तो इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है. अगर एनजीओ स्वतंत्र हैं तो उन्हें इस तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाता है कि देश की पूरी व्यवस्था ठप हो जाए. यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है तो क़ानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को रोकने या धीमा करने का प्रयास किया जाता है.

राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

गांधीनगर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि स्वतंत्र मीडिया, सोशल मीडिया, एनजीओ और न्यायपालिका का दुरुपयोग ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर खतरनाक और विभाजनकारी विचारों के प्रचार के लिए किया जा रहा हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुजरात की राजधानी गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) में दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि यह देखना भी चुनौती है कि देश में अच्छी व्यवस्था को नष्ट करने के लिए क्या किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र सोशल मीडिया का उपयोग सुनियोजित दुष्प्रचार के लिए किया जा सकता है. सोशल मीडिया की स्वतंत्रता खराब नहीं है, मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन यदि मीडिया स्वतंत्र है, तो इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है.

सिंह ने कहा कि अगर गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) स्वतंत्र हैं तो उन्हें इस तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाता है कि देश की पूरी व्यवस्था ठप हो जाए. यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है, तो कानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को रोकने या धीमा करने का प्रयास किया जाता है. यदि किसी देश में गतिशील लोकतंत्र है, तो उसकी एकता और सुरक्षा को निशाना बनाने के लिए राजनीतिक दलों में घुसने का प्रयास किया जाता है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सब सिर्फ कल्पना नहीं हैं, बल्कि रणनीतिकारों के बयान हैं और कुछ देशों के सुरक्षा दस्तावेजों में विस्तृत रूप से वर्णित हैं.

सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘कहीं सोशल मीडिया स्वतंत्र है तो उस पर व्यवस्थित अपप्रचार कैसे किया जाए. सोशल मीडिया का स्वतंत्र होना कोई बुरी बात नहीं है- स्वतंत्र होनी चाहिए, मीडिया भी स्वतंत्र होनी चाहिए- लेकिन मीडिया स्वतंत्र है, इसका दुरुपयोग कैसे होता है; कैसे मीडिया के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खतरनाक और विभाजनकारी बातों को स्थापित और उसे प्रचारित करने की कोशिश की जाती है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यदि एनजीओ को स्वतंत्रता है तो कैसे इन एनजीओ का ऐसा प्रयोग किया जाए ताकि देश का पूरा सिस्टम ही ये पैरालाइज कर दें. यदि जूडिशियरी स्वतंत्र है तो कानूनी ढंग और कानूनी पेंचों के द्वारा कैसे विकास के कार्यों को रोका जाए, ये कोशिश होती है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘बड़ी डायनमिक डेमोक्रेसी है हमारे देश की, तो कैसे राजनीतिक दलों के अंदर घुसपैठ करके उसकी एकता और सुरक्षा दोनों पर बगैर दिखे हुए प्रहार किया जाए.’

उन्होंने कुछ खबरों का उदाहरण दिया, जिनमें कहा गया था कि भीमा-कोरेगांव (2018 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में) में हिंसा मामले में 50 प्रतिशत ट्वीट पाकिस्तान से किए गए थे.

उन्होंने कहा, ‘हाइब्रिड युद्ध आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की रेखा को लगभग मिटा देता है. यह युद्ध की स्पष्ट घोषणा का दौर नहीं है, बल्कि निरंतर युद्ध का युग है. चाहे वह बैंकिंग, परिवहन या सुरक्षा प्रणालियों पर साइबर हमले हों, या सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में घृणा और चरमपंथी विचार पैदा करने का प्रयास हो. भीमा-कोरेगांव आंदोलन जो देश भर में फैल गया. बाद में यह सामने आया कि 50 फीसदी ट्वीट पाकिस्तान से किए गए थे.’

उन्होंने कहा, ‘हम सुरक्षा को आम तौर पर दो पहलुओं से देखते हैं- आंतरिक और बाहरी. लेकिन पिछले दो दशकों में देखा गया है कि आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की खाई कम होती जा रही है. मिश्रित (हाइब्रिड) युद्ध में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की रेखा करीब-करीब लुप्त हो जाती है.’

सिंह ने कहा कि यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कब आतंकवाद और उग्रवाद/अतिवाद की परिभाषाएं एक-दूसरे से जुड़ने लगें और उनके उद्देश्य एक हो जाएं.

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘व्यवस्था के हर आयाम में आतंकवाद प्रमुख चुनौतियों के साथ सामने आया है तथा यह सिर्फ बम और हथियारों के स्तर पर नहीं है. मैं यहां हाइब्रिड युद्ध की चर्चा करना चाहूंगा. किसी हाइब्रिड युद्ध में, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की रेखा लगभग गायब हो जाती है.’

उन्होंने कहा कि ‘सूचना युद्ध’ फेसबुक और वॉट्सऐप के माध्यम से समाज में फर्जी खबरें और नफरत फैलाने वाली सामग्री का प्रसार किए जाने की आशंका से संबंधित है.

उन्होंने राज्य एजेंसियों के एकीकृत तरीके से काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, क्योंकि आतंकवाद, साइबर युद्ध, मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, नशीली दवाओं की तस्करी आदि जैसी सुरक्षा चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं, हालांकि वे अलग-अलग दिखाई देती हैं.

सिंह ने कहा कि बदलते समय के साथ सुरक्षा संबंधी आयामों में व्यापक बदलाव आया है.

सिंह ने कहा, ‘हमें नई सुरक्षा चुनौतियों को लेकर सतर्क रहना होगा. जैसे-जैसे नई प्रौद्योगिकियां विकसित होती हैं, वैसे-वैसे उनके खतरे भी सामने आते हैं. हमें इस सच्चाई को समझना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को रूस द्वारा आतंकवादी संगठन बताते हुए प्रतिबंधित करने का उदाहरण स्पष्ट करता है कि युद्ध का अर्थ कैसे बदल गया है.

रक्षा मंत्री ने ‘सह-अस्तित्व’ के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि भारत ने न तो किसी का विलय किया और न ही किसी को अपने अधीन किया, बल्कि अन्य देशों को विकास के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने कहा कि भले ही भारत विकसित और उच्च ज्ञान वाला देश बन जाए, लेकिन जब तक हम गुलाम मानसिकता से बाहर नहीं निकल जाते, तब तक इसे सुरक्षित नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘हमें स्वयं को गुलाम मानसिकता से मुक्त करना चाहिए. इसके लिए, हमें अपनी सुरक्षा के इतिहास के तथ्यों को जानने की जरूरत है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)