राज्यपाल को गुजरात विद्यापीठ का चांसलर बनाने के ख़िलाफ़ नौ ट्रस्टी बोर्ड सदस्यों का इस्तीफ़ा

महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ के चांसलर के तौर पर आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले राज्यपाल आचार्य देवव्रत को नियुक्त किया गया था. विद्यापीठ के ट्रस्टी बोर्ड के नौ सदस्यों ने इस नियुक्ति में अनुचित जल्दबाज़ी किए जाने और राजनीतिक दबाव का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है.

/
गुजरात विद्यापीठ. (फोटो साभार: localguidesconnect.com)

महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ के चांसलर के तौर पर आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले राज्यपाल आचार्य देवव्रत को नियुक्त किया गया था. विद्यापीठ के ट्रस्टी बोर्ड के नौ सदस्यों ने इस नियुक्ति में अनुचित जल्दबाज़ी किए जाने और राजनीतिक दबाव का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है.

गुजरात विद्यापीठ. (फोटो साभार: localguidesconnect.com)

अहमदाबाद: गुजरात विद्यापीठ के न्यासी (ट्रस्टी) बोर्ड के नौ सदस्यों ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राज्य के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महात्मा गांधी द्वारा 1920 में स्थापित विश्वविद्यालय का नया कुलाधिपति (चांसलर) नियुक्त किए जाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है.

उन्होंने इस नियुक्ति में ‘अनुचित जल्दबाजी’ किए जाने और ‘राजनीतिक दबाव’ होने का आरोप लगाया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, विद्यापीठ के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था.

एक संयुक्त बयान में नौ न्यासियों ने सोमवार को कहा कि कुलाधिपति के तौर पर देवव्रत का चयन ‘राजनीतिक दबाव’ के कारण और ‘गांधी के मूल्यों, तरीकों और प्रथाओं की पूर्ण अवहेलना’ कर किया गया है. उल्लेखनीय है कि राज्यपाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि से आते हैं.

न्यासियों ने राज्यपाल देवव्रत से अपील की कि वे ‘लोकतंत्र के मौलिक मूल्यों और विश्वविद्यालय के पारदर्शी स्वायत्त निर्णय लेने को बनाए रखने के लिए कुलाधिपति के रूप में कार्यभार ग्रहण करने से इनकार कर दें.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने यह भी जोड़ा, ‘हम यह बिना किसी क्रोध, किसी भी व्यक्ति के प्रति द्वेष के बिना और अत्यंत विनम्रता के साथ कह रहे हैं…’

देवव्रत ने 11 अक्टूबर को गुजरात विद्यापीठ के 12वें कुलाधिपति का प्रभार संभालने पर सहमति जताई थी.

इससे पहले मानद विश्वविद्यालय गुजरात विद्यापीठ की नीति निर्माता इकाई ने इला भट्ट (89) के इस्तीफे के बाद चार अक्टूबर को 12वें कुलाधिपति के रूप में आचार्य देवव्रत के नाम का प्रस्ताव रखा था. भट्ट ने अपनी आयु का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दिया था.

अपने पत्र में नौ न्यासियों ने कहा कि देवव्रत का कुलाधिपति के रूप में चयन ‘न तो सहज था और न ही न्यासी बोर्ड का सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय था.’

उन्होंने कहा, ‘यह राजनीतिक दबाव में लिया गया निर्णय था. यह गांधी के मूल्यों, तरीकों और प्रथाओं की पूरी तरह से अवहेलना थी.’

इन न्यासियों में नरसिंहभाई हठीला, सुदर्शन अयंगर, अनामिक शाह, मंडबेन पारेख, उत्तमभाई परमार, चैतन्य भट्ट, नीताबेन हार्डिकर, माइकल मझगांवकर और कपिल शाह शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, संयुक्त बयान में कुछ विशेष कर्मचारियों द्वारा ‘गैर वाजिब मांगें’ उठाने का आरोप लगाते हुए कहा गया है, ‘ये मांगें ‘नियुक्त किया जाने वाला व्यक्ति एक निश्चित धर्म का अनुयायी नहीं होना चाहिए, उसे एक निश्चित व्यक्ति, मंत्री और पार्टी के लोगों का विरोध नहीं करना चाहिए’ तक पहुंची थीं… यह कहा गया था कि विद्यापीठ के अभ्यावेदन को तभी सुना जाएगा ‘जब फलां व्यक्ति को चांसलर के रूप में नियुक्त किया जाएगा’ … इस प्रकार संस्था की स्वायत्तता को कमजोर करने के लिए शर्तें तय की गईं. विद्यापीठ के 102 साल के इतिहास में यह अभूतपूर्व था. नतीजतन, कुलाधिपति की नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को आम सहमति से नहीं बल्कि बुरी तरह से खंडित मत से हल किया गया…’

डॉ. मंडबेन पारेख इस्तीफ़ा देने वाले न्यासियों में से एक हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हाल के सभी घटनाक्रम संस्था की नैतिक स्वतंत्रता के खिलाफ हैं. गांधी की विरासत कुछ लोगों की नहीं बल्कि पूरे देश की है.’

संयुक्त बयान में यह भी कहा गया, ‘गुजरात विद्यापीठ के लिए गांधीजी द्वारा तैयार मूल संविधान में कहा गया था कि यह सरकारी अनुदान स्वीकार नहीं करेगा, हालांकि आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों के साथ अपने पाठ्यक्रमों तैयार करने के लिए विद्यापीठ ने 1963 में यूजीसी के नियमों को इस शर्त पर स्वीकार किया कि सरकार उसकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप नहीं करेगी. विद्यापीठ अब पूरी तरह से सरकारी अनुदान पर निर्भर है, फिर भी यह गांधी और उनके सह-संस्थापकों द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के अनुरूप काम करने का प्रयास करता है…’

बयान में आगे कहा गया है कि विद्यापीठ ट्रस्ट ने ट्रस्टियों के वेतन का भुगतान के लिए अपने धन का इस्तेमाल किया है, इसके बावजूद सरकार अपनी देनदारियों को पूरा नहीं कर रही है, जो करोड़ों रुपये में है.’

बयान में कहा गया है, ‘हम मानते हैं कि संस्थान को बचाने के लिए वो निर्णय लिया गया था. मुनाफे के लिए संस्था की आत्मा, इसके सभी मूल्यों और सिद्धांतों को त्याग दिया गया… जो हुआ है वह वास्तव में इस तरह की विरासत वाली किसी संस्था के लिए दुखद, चौंकाने वाला और असहनीय है.’

ट्रस्टियों ने विद्यापीठ के प्रबंधन में कमियों के बारे में उल्लेख करते हुए बताया कि विद्यापीठ द्वारा अधिकारियों को 150 से अधिक पत्र लिखे गए थे, जिन्हें लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

यह कहते हुए कि सरकार की कार्रवाई न केवल सत्ता का अनैतिक इस्तेमाल है, बल्कि लोकतंत्र विरोधी है और एक स्वतंत्र समाज में किसी भी सरकार के लिए अपमान है, न्यासियों ने आगे कहा कि वे ‘इसकी कड़ी निंदा करते हैं.’

इस बीच अहमदाबाद स्थित विश्वविद्यालय के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय ने इस्तीफे स्वीकार नहीं करने का फैसला किया. विद्यापीठ के कार्यवाहक रजिस्ट्रार निखिल भट्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं और एक आठ सदस्यीय टीम इस्तीफ़ा दे रहे सदस्यों से बातचीत करेगी.

विद्यापीठ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय ने एक बयान में कहा कि आठ न्यासियों (नौवां सदस्य आजीवन न्यासी है) के इस्तीफे को स्वीकार न करने के लिए सोमवार को एक बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था.

संस्थान ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘आजीवन न्यासी और नौ न्यासियों द्वारा जारी संयुक्त बयान के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक नरसिंहभाई हठीला ने भी इस्तीफे को स्वीकार नहीं करने के ‘गवर्निंग काउंसिल’ के फैसले को मंजूरी दी ताकि संस्थान को लंबे समय तक उनका मार्गदर्शन मिलता रहे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50