श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक ने 2022 का बुकर पुरस्कार जीता

श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक को उनके उपन्यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए बुकर पुरस्कार दिया गया है. उनके उपन्यास में माली अलमेडा नामक एक युद्ध फोटोग्राफर की कहानी है, जो मौत के बाद स्वर्ग पहुंचता है और गृहयुद्ध के अत्याचारों की तस्वीरों का एक ज़ख़ीरा उसके हाथ लग जाता है.

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अपनी किताब और पुरस्कार के साथ श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक. (फोटो साभार: ट्विटर/@TheBookerPrizes)

श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक को उनके उपन्यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए बुकर पुरस्कार दिया गया है. उनके उपन्यास में माली अलमेडा नामक एक युद्ध फोटोग्राफर की कहानी है, जो मौत के बाद स्वर्ग पहुंचता है और गृहयुद्ध के अत्याचारों की तस्वीरों का एक ज़ख़ीरा उसके हाथ लग जाता है.

अपनी किताब और पुरस्कार के साथ श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक. (फोटो साभार: ट्विटर/@TheBookerPrizes)

लंदन: श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक को उनके दूसरे उपन्यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए 2022 का बुकर पुरस्कार विजेता घोषित किया गया है. करुणातिलक को उनके के रॉक गीतों, पटकथाओं और यात्रा कहानियों के लिए भी जाना जाता है.

यह उपन्यास युद्धग्रस्त श्रीलंका पर आधारित एक व्यंग्य है, जो एक युद्ध फोटोग्राफर (War Photographer) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमता है, जो अपनी मौत के बाद पत्रकारिता के एक मिशन पर जाता है.

यह समारोह लंदन में एक लोकप्रिय संगीत कार्यक्रम स्थल ‘राउंडहाउस’ में आयोजित किया गया था. इसमें द क्वीन कॉनसॉर्ट ऑफ द यूनाइटेड किंगडम कैमिला और गायिका और गीतकार दुआ लीपा ने भी भाग लिया था.

इस वर्ष इस पुरस्कार की चयन में शामिल जज – सांस्कृतिक इतिहासकार और पैनल के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर, विद्वान शाहिदा बारी, इतिहासकार हेलेन कैस्टर, आलोचक एम. जॉन हैरिसन और लेखक एलेन माबनको थे. उन्होंने पुस्कार के लिए भेजी गईं 169 किताबों को पढ़ा और यह फैसला लिया.

वर्ष 1992 में ‘द इंग्लिश पेशेंट’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले माइकल ओंडात्जे के बाद 47 वर्षीय करुणातिलक सोमवार की रात लंदन में एक समारोह में साहित्यिक पुरस्कार के तौर पर 50,000 ग्रेट ब्रिटेन पाउंड (जीबीपी) की रकम जीतने वाले दूसरे श्रीलंकाई व्यक्ति बन गए हैं.

‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ एक फोटोग्राफर माली अल्मेडा की कहानी है, जो 1990 में अपनी मौत के बाद स्वर्ग के वीजा कार्यालय की तरह प्रतीत होने वाली एक जगह पहुंचता है. वह यह नहीं जानता कि उसे किसने मारा, माली अल्मेडा के पास उन लोगों से संपर्क करने के लिए सात चांद हैं, जिन्हें वह सबसे ज्यादा प्यार करता है. इसी दौरान वहां उसके हाथ गृहयुद्ध के अत्याचारों की तस्वीरों का एक जखीरा लग जाता है, जो सामने आ जाएं तो देश को झकझोर कर रख देंगी.

बुकर पुरस्कार 2022 के जूरी के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर ने कहा, ‘जूरी ने ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ में जिस चीज की विशेष रूप से प्रशंसा की, वह थी इसकी महत्वाकांक्षा का दायरा और इसके कथानक को पेश करने का तरीका.’

स्वतंत्र प्रेस ‘सॉर्ट ऑफ बुक्स’ द्वारा प्रकाशित ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’, गृहयुद्ध से घिरे श्रीलंका की जानलेवा तबाही के बीच जांच में मृत्यु के बाद के जीवन की पड़ताल करती है.

करुणातिलक उपन्यास के अलावा गाने, स्क्रीनप्ले और यात्रा वृतांत लिख चुके हैं.

इस वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भारत की गीतांजलि श्री द्वारा लिखित टूम्ब ऑफ सैंड को मिला था, यह किताब डेजी रॉकवेल द्वारा अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित की गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)