बिलकीस मामले के दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र की मंज़ूरी को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?

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15 अगस्त को दोषियों के जेल से रिहा होने के बाद हुआ कैदियों का स्वागत. (फोटो: पीटीआई)

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?

15 अगस्त को दोषियों के जेल से रिहा होने के बाद हुआ कैदियों का स्वागत. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/हैदराबाद: कांग्रेस ने बिलकीस बानो मामले की पृष्ठभूमि में मंगलवार को आरोप लगाया कि सभी दोषियों की रिहाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की स्वीकृति से हुई और यह सब चुनाव के मद्देनजर किया गया.

पार्टी ने यह सवाल भी किया कि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुप क्यों हैं.

गुजरात सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा था कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को माफी देने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी ली गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा है कि इस क़दम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी. सरकार के हलफ़नामे के अनुसार, सीबीआई, स्पेशल क्राइम ब्रांच, मुंबई और सीबीआई की अदालत ने सज़ा माफ़ी का विरोध किया था.

हलफनामे ने सरकार ने यह भी कहा है कि ‘उनका [दोषियों] का व्यवहार अच्छा पाया गया था’ और उन्हें इस आधार पर रिहा किया गया कि वे कैद में चौदह साल गुजार चुके थे.

इसके बाद विपक्ष के कई नेताओं ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘लाल किले से महिला सम्मान की बात, लेकिन असलियत में ‘बलात्कारियों’ का साथ. प्रधानमंत्री के वादे और इरादे में अंतर साफ है, प्रधानमंत्री ने महिलाओं के साथ सिर्फ छल किया है.’

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने राहुल गांधी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘देश इंतजार कर रहा है मोदी जी, कुछ इस मुद्दे पर भी अपने मन की बात बताइए.’

खेड़ा ने बिलकीस मामले पर एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘जहां सरकार बलात्कार की शिकार का मजहब और बलात्कारी का धर्म देखकर अपने निर्णय ले, क्या वहां अब कुछ बचा है लड़ने को?’

 

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसा सरकार की तरफ से पहली बार कहा गया है कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों की रिहाई पर मोदी सरकार ने सहमति दी. यह बड़ी विडंबना है कि रिहाई 15 अगस्त को हुई.’

उन्होंने कहा, ‘बिलकीस बानो मामले में दोषियों को समय से पहले रिहा करना इस सरकार की विरासत पर एक धब्बा है, जो कभी नहीं मिटेगा.’

सिंघवी ने कहा, ‘मोदी सरकार पिछले दो-तीन महीनों से बिल्कुल चुप्पी साधे हुए है. हलफनामा के जरिये यह बात सामने आई है कि उसकी सहमति से सब हुआ. इसका मतलब है कि इस तथ्य को छिपाने का पूरा प्रयास किया गया.’

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, ‘विशेष अदालत द्वारा खारिज, सीबीआई द्वारा शक जताए जाने के बाद केवल केंद्र की भाजपा सरकार बिलकीस बानो के दोषियों की रिहाई को लेकर दृढ थी. बलात्कारियों और हत्यारों की आजादी उसकी प्राथमिकता है न कि न्याय की उम्मीद कर रही एक महिला की याचिकाएं. यह सरकार के चरित्र के बारे में काफी कुछ कहता है, है न?’

सिंघवी ने सवाल किया, ‘बड़ी-बड़ी संस्थाओं और व्यक्तियों के विरोध के बावजूद, सीबीआई के विरोध के बावजूद, विशेष न्यायाधीश के विरोध के बावजूद किस आधार पर मोदी सरकार ने अनुमति दी? क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या बलात्कार मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?’

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई दो राय नहीं कि उच्चतम न्यायालय इसमें निर्णय लेगा, लेकिन हम हमेशा मानते हैं कि एक सामूहिक समाज और जनता जनार्दन का जो मत होता है और जो जनता जनार्दन वाली कोर्ट-कचहरी होती है, जो आत्मा वाली कोर्ट-कचहरी होती है, जो करुणा वाली कोर्ट-कचहरी होती है, उसमें उस कसौटी पर ये सरकार पूरी तरह से विफल हुई है, हार गई है.’

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया, ‘11 बलात्कारियों की रिहाई अमित शाह की स्वीकृति से की गई. अब सवाल प्रधानमंत्री की चुप्पी को लेकर है. अरविंद केजरीवाल की चुप्पी को लेकर है.’

उन्होंने कहा, ‘क्या बलात्कारियों के बल पर चुनाव लड़े जाएंगे? अगर ऐसा है तो प्रधानमंत्री को लाल किले से महिलाओं के बारे में बात नहीं करनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो प्रधानमंत्री को अपने गृह मंत्री को हटा देना चाहिए.’

गौरतलब है कि अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा दोषियों को माफी दिए जाने के बाद बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था.

सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर स्वागत किया जा रहा था. इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.

ओवैसी, रामा राव ने दोषियों की रिहाई को मंजूरी देने के लिए केंद्र पर हमला बोला

बिलकीस बानो मामले में दोषियों को रिहा करने के लिए गुजरात सरकार के केंद्र से इजाजत लेने संबंधी खबरें आने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार पर हमला बोला.

ओवैसी ने ट्विटर पर कहा, ‘रिहाई केंद्र सरकार की खुद की नीति के खिलाफ थी. लेकिन भाजपा, राज्य और केंद्र सरकार ने इन बलात्कारियों, कातिलों और बच्चों के हत्यारों की जल्द रिहाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी.’

औवेसी ने अन्य ट्वीट में कहा, ‘बिलकीस बानो के बलात्कारियों को मंजूरी मिलने के बाद जल्दी रिहा कर दिया गया. अमित शाह का मंत्रालय. ये लोग क्रूर बलात्कार और हत्या के दोषी थे. तीन साल के बच्चे का सिर पत्थर से कुचला गया था. उन्हें सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि वे मुसलमान थे. अगर पीड़ित मुस्लिम हैं तो भाजपा के लिए कोई अपराध बहुत गंभीर नहीं है.’

वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बेटे रामा राव ने आरोप लगाया कि महज़ राजनीतिक लाभ के लिए बच्चों के हत्यारों और बलात्कारियों को रिहा करना भाजपा के मानकों में नए स्तर की गिरावट है.

उन्होंने कहा, ‘स्तब्धकारी. यह बताया गया था कि गुजरात सरकार ने ‘संस्कारी बलात्कारियों’ को रिहा कर दिया. पता चला है कि केंद्र सरकार ने वास्तव में इसे मंजूरी दी है. शर्मनाक और घृणास्पद.’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘राजनीतिक लाभ के लिए बच्चों के हत्यारों और बलात्कारियों को रिहा करना भाजपा के मानकों की नए स्तर की गिरावट है.’

गौरतलब है कि अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा दोषियों को माफी दिए जाने के बाद बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था.

सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर स्वागत किया जा रहा था. इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.

ज्ञात हो कि 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगने की घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई. इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों से बचने के लिए बिलकीस बानो, जो उस समय पांच महीने की गर्भवती थी, अपनी बच्ची और परिवार के 15 अन्य लोगों के साथ अपने गांव से भाग गई थीं.

तीन मार्च 2002 को वे दाहोद जिले की लिमखेड़ा तालुका में जहां वे सब छिपे थे, वहां 20-30 लोगों की भीड़ ने बिलकीस के परिवार पर हमला किया था. यहां बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, जबकि उनकी बच्ची समेत परिवार के सात सदस्य मारे गए थे.

बिलकीस द्वारा मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था.

केस की सुनवाई अहमदाबाद में शुरू हुई थी, लेकिन बिलकीस बानो ने आशंका जताई थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है, साथ ही सीबीआई द्वारा एकत्र सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2004 में मामले को मुंबई स्थानांतरित कर दिया.

21 जनवरी 2008 को सीबीआई की विशेष अदालत ने बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके सात परिजनों की हत्या का दोषी पाते हुए 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत एक गर्भवती महिला से बलात्कार की साजिश रचने, हत्या और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप में दोषी ठहराया गया था.

सीबीआई की विशेष अदालत ने सात अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी.

इसके बाद 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्तियों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए सात लोगों को बरी करने के निर्णय को पलट दिया था. अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकीस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा, सरकारी नौकरी और आवास देने का आदेश दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)