भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनंतिम प्रमाण पत्र जारी करने से पहले सड़क सुरक्षा से संबंधित सभी काम पूरे हैं. घटिया सड़क इंजीनियरिंग कार्यों के चलते हुई किसी भी घातक सड़क दुर्घटना के लिए क्षेत्रीय अधिकारी/परियोजना निदेशक/स्वतंत्र अभियंता ज़िम्मेदार होंगे.
नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इंजीनियरिंग कार्यों में खामी के चलते खराब सड़क के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी घातक या गंभीर दुर्घटनाओं के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराएगा.
एनएचएआई ने एक परिपत्र में कहा कि प्राधिकरण ने अनंतिम प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में शामिल एनएचएआई के प्रतिनिधियों द्वारा कर्तव्य की उपेक्षा के प्रति गंभीरता से विचार किया है, जिसके कारण यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
परिपत्र में कहा गया है, ‘यह ध्यान में आया है कि रोड मार्किंग, रोड साइनेज, क्रैश बैरियर के अंतिम उपचार जैसे सुरक्षा कार्यों को पंच सूची में रखकर अनंतिम पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं, जिससे न सिर्फ उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा से समझौता होता है, बल्कि दुर्घटना/मौत होने पर एनएचएआई का नाम भी खराब होता है.’
लंबित कार्यों को एक श्रेणी के तहत रखा जाता है, जिसे पंच सूची कहा जाता है.
एनएचएआई ने कहा, ‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनंतिम प्रमाण पत्र जारी करने से पहले सड़क सुरक्षा से संबंधित सभी काम पूरे हैं. घटिया सड़क इंजीनियरिंग कार्यों के चलते हुई किसी भी घातक सड़क दुर्घटना के लिए क्षेत्रीय अधिकारी/परियोजना निदेशक/स्वतंत्र अभियंता जिम्मेदार होंगे.’
प्राधिकरण ने कहा कि पंच सूची में वही काम शामिल करने चाहिए, जो सड़क सुरक्षा से संबंधित नहीं हैं और इस सूची के कार्यों को 30 दिनों के भीतर पूरा करना चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाल ही में, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ सड़क दुर्घटनाओं के लिए दोषपूर्ण परियोजना रिपोर्टों को जिम्मेदार ठहराया था और जोर देकर कहा था कि राजमार्गों और अन्य सड़कों के निर्माण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए कंपनियों को उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है.
पिछले महीने, टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक सड़क दुर्घटना में उनकी कार के डिवाइडर से टकरा जाने से मौत हो गई थी.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में पूरे भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई – औसतन 426 रोजाना या हर एक घंटे में 18 – जो अब तक किसी भी वर्ष में दर्ज की गई मौतों का सबसे अधिक आंकड़ा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)