बीते एक महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने बलात्कार के तीन आरोपियों को पीड़िता से शादी करने की शर्त पर ज़मानत दी. वहीं, दो अन्य मामलों में आरोपी के वकील के यह कहने पर कि आरोपी रिहा होते ही पीड़िता से शादी कर लेगा, जस्टिस सिंह ने उनकी ज़मानत को मंज़ूरी दी.
नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले एक महीने में बलात्कार के तीन आरोपियों को इस शर्त पर जमानत दी कि आरोपी ने पीड़िता से शादी करे.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही दो अन्य मामलों में बलात्कार के आरोपियों को उस समय जमानत मिली जब आरोपी के वकील ने अदालत से कहा कि जमानत मिलते ही आरोपी पीड़िता से शादी कर लेगा.
केस- 1
ऐसे मामलों में सबसे हालिया आदेश 10 अक्टूबर को जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ द्वारा दिया गया, जहां उन्होंने इस साल अप्रैल से जेल में बंद बलात्कार के एक आरोपी मोनू को दो तथ्यों पर विचार करते हुए जमानत दी- पहला यह कि पीड़िता और उनके पिता ने इसका विरोध नहीं किया और दूसरा- पीड़िता पहले ही आरोपी के बच्चे को जन्म दे चुकी हैं.
उल्लेखनीय है कि मोनू पर खीरी जिले की पुलिस द्वारा अपहरण, बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था. पुलिस का कहना था कि वह पीड़िता, जो तब 17 साल की थीं, को फुसलाकर ले गया था.
अदालत के आदेश में कहा गया, ‘मोनू को इस शर्त पर जमानत पर रिहा किया जाए कि जेल से बाहर आने के तुरंत बाद वह रिहाई की तारीख से 15 दिनों के भीतर पीड़िता के साथ शादी करेगा और विवाह का पंजीकरण करवाएगा. वह अभियोक्ता ( prosecutrix) और उनके बच्चे को, पत्नी और बेटी के रूप में सभी अधिकार देगा.’
केस- 2
इससे पहले 30 सितंबर को एक ऐसे ही एक आरोपी शोभन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि उन्हें आरोपी के वकील द्वारा बताया गया था कि वह और पीड़िता संबंध में थे और नवंबर 2021 में प्राथमिकी दर्ज होने के समय वह सात महीने की गर्भवती थीं.
शोभन पर एक 19 वर्षीय लड़की के पिता की शिकायत पर अमेठी पुलिस द्वारा बलात्कार, जहर देने, आपराधिक धमकी और गलत तरीके से कैद करने का मामला दर्ज किया गया था.
इस मामले में जज ने कहा, ‘पीड़िता के वकील ने जमानत की अर्जी का विरोध किया है, लेकिन उपरोक्त तथ्यों का विरोध नहीं किया है. मेडिकल साक्ष्य और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अभियोक्ता ने एक बच्चे को जन्म दिया है, आरोपी को जमानत देना उचित होगा.’
जज ने यह भी जोड़ा था कि आरोपी को इस शर्त पर रिहा किया जा सकता है कि वह जमानत पर जेल से बाहर आते ही अभियोक्ता से शादी करेगा.
केस- 3
इससे पहले इसी अदालत में 28 सितंबर को समान मामले और हालात में एक व्यक्ति सूरज पाल की जमानत की सुनवाई हुई थी. सूरज पर रायबरेली पुलिस द्वारा बलात्कार के साथ एससी-एसटी अधिनियम और पॉक्सो की धाराओं की तहत मामला दर्ज किया गया था क्योंकि पीड़िता एक दलित समुदाय से आने वाली नाबालिग लड़की थीं. 2 जुलाई 2021 से सूरज जेल में था.
इस मामले में दिए गए आदेश में अदालत ने कहा, ‘आरोपी के वकील ने बताया है कि पीड़िता आरोपी के साथ साढ़े तीन महीनों तक सूरत में रही थीं. हालांकि, लॉकडाउन के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा. आरोपी के वकील के अनुसार, जैसे ही उन्हें जेल से रिहा किया जाएगा, वो अभियोक्ता से शादी करेगा क्योंकि अब वो मेडिकल आधार पर बालिग हो चुकी हैं. ऐसे में इन तथ्यों और हालात के मद्देनजर आरोपी को जमानत देना उचित होगा.’
केस-4
22 सितंबर को जस्टिस सिंह की पीठ में उन्नाव जिले के राम बाबू की जमानत याचिका की सुनवाई हुई थी. राम बाबू पर सामूहिक बलात्कार, जहर देने, अपहरण, आपराधिक धमकी के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 5-6 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
यहां भी आरोपी के वकील ने कोर्ट में कहा कि आरोपी और पीड़िता (जो उस समय नाबालिग थीं) ने ‘शादी’ की थी और उनकी एक बेटी भी है. वकील का कहना था कि आरोपी पीड़िता से औपचारिक तौर पर शादी करना और उनकी बेटी की देखरेख करना चाहता है.
इस मामले में अदालत के आदेश में कहा गया, ‘पीड़िता के वकील का कहना है कि यदि आरोपी अभियोक्ता के साथ विवाह करने के लिए तैयार है और वह अभियोक्ता को अपनी पत्नी के रूप में खुश रखेगा और पत्नी के सभी अधिकार देगा, तो उन्हें आरोपी आवेदक की जमानत से आपत्ति नहीं है. इसलिए, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए मुझे लगता है कि यह जमानत देने के लिए एक उपयुक्त मामला है.’
आदेश में कहा गया है, ‘आवेदक राम बाबू को इस शर्त के साथ जमानत पर रिहा किया जाए कि जेल से छूटने के तुरंत बाद वह सप्तपदी सहित हिंदू कानून और रीति-रिवाजों के अनुसार अभियोक्ता के साथ शादी करेगा.’
केस-5
इसी तरह 19 सितंबर को सूरज उर्फ गुड्डू की जमानत अर्जी से संबंधित आदेश में कहा गया था कि अदालत ने आरोपी को पीड़िता से शादी करने के लिए एक महीने की अंतरिम जमानत दी थी. सूरज के खिलाफ खीरी पुलिस ने नवंबर 2021 में जहर देने, बलात्कार और आपराधिक धमकी के संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
जस्टिस सिंह ने इस मामले में दिए अपने आदेश में कहा था, ‘आरोपी के वकील ने दोनों की शादी की कुछ तस्वीरें साझा की हैं, जिन्हें रिकॉर्ड पर रखा गया है. वकील का कहना है कि आरोपी और अभियोक्ता अब शादीशुदा हैं और पति-पत्नी के रूप में रह रहे हैं. उपरोक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि यह जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला है.’