तमिल सुपरस्टार विजय की इस हालिया रिलीज़ पर बैन लगाने की जनहित याचिका ख़ारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ये महज़ फिल्म है, असल जीवन नहीं.
चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने जीएसटी से संबद्ध विवादित संवाद को लेकर विजय अभिनीत मेरसल को जारी सेंसर प्रमाण पत्र रद्द करने की मांग वाली याचिका आज खारिज करते हुए कहा कि लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार फिल्मों पर भी लागू होता है.
याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में यह दलील दी थी कि फिल्म में ऐसे दृश्य एवं संवाद हैं जो देश की सम्प्रभुता और अखंडता एवं राज्य की सुरक्षा के हित के विरुद्ध हैं.
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश एवं न्यायमूर्ति एम सुंदर की खंडपीठ ने वकील ए अथामा की याचिका खारिज करते हुए कहा, यह लोकतंत्र है और लोगों के पास अभिव्यक्ति के अधिकार हैं और यह फिल्मों पर भी लागू होता है.
खंडपीठ ने कहा, जबकि आज मीडिया ने यह रिपोर्ट दी है कि राज्य में विपक्ष के नेता ने नोटबंदी की आलोचना की है, तो क्या अदालत ऐसे बयान देने से रोकने के लिये उनके खिलाफ आदेश पारित करे.
याचिका में दलील दी गयी थी कि फिल्म में जीएसटी और डिजिटल भारत योजना के बारे में स्पष्ट तौर पर गलत सूचना दी गयी है जो लोगों को कर चोरी में संलिप्त रहने के लिये प्रोत्साहित करेगा.
सेंसर बोर्ड के फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने पर हैरानी जताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा, यह फिल्म पूरी तरह भारत के बारे में गलत दुष्प्रचार और गलत संवाद तथा दृश्यों से भरी है जो नयी कर प्रणाली माल एवं सेवा कर के बारे में जाहिर तौर पर गलत धारणा बनाती है.
हालांकि इस फिल्म की तेलुगू डबिंग को रिलीज़ करने की इजाज़त नहीं मिली है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह फिल्म 27 अक्टूबर को रिलीज़ होनी थी, लेकिन सेंसर बोर्ड द्वारा इसे अब तक प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिली है.
हालांकि तेलुगू वर्ज़न से विवादित डायलॉग हटा दिया गया है. फिल्म की टीम से जुड़े एक स्रोत ने एनडीटीवी से बात करते हुए यह भी बताया कि भाजपा के विरोध के बाद निर्माता दबाव में थे, इसलिए ये फैसला लिया गया.
ज्ञात हो कि तमिल सुपरस्टार विजय की दीवाली पर रिलीज़ मेरसल तमिल भाषा की फिल्म है जिसके निर्देशक ऐटली हैं. यह फिल्म बदले की कहानी है और भारत के चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के इर्द-गिर्द केंद्रित है.
मालूम हो कि भाजपा की राज्य इकाई ने दक्षिण फिल्मों के अभिनेता इलयाथलपति विजय की तमिल फिल्म में जीएसटी और डिजिटल इंडिया के गलत संदर्भ पर आपत्ति ज़ाहिर की थी. यह भी कहा गया था कि फिल्म में जीएसटी और डिजिटल इंडिया का मज़ाक उड़ाया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)