विहिप ने जिस कथित गैंगरेप को ‘इस्लामिक’ अपराध बताया, वह ज़मीन हड़पने की चाल थी: यूपी पुलिस

दिल्ली की एक महिला के साथ ग़ाज़ियाबाद में गैंगरेप होने संबंधी एक ख़बर 19 अक्टूबर को सुर्खियों में थी. इस संबंध में पांच मुस्लिम आरोपियों को कथित तौर पर गिरफ़्तार किए जाने की भी बात सामने आई थी, जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने आरोपियों को ‘इस्लामिक सेक्स गैंग’ का हिस्सा बताया था.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

दिल्ली की एक महिला के साथ ग़ाज़ियाबाद में गैंगरेप होने संबंधी एक ख़बर 19 अक्टूबर को सुर्खियों में थी. इस संबंध में पांच मुस्लिम आरोपियों को कथित तौर पर गिरफ़्तार किए जाने की भी बात सामने आई थी, जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने आरोपियों को ‘इस्लामिक सेक्स गैंग’ का हिस्सा बताया था.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: 19 अक्टूबर 2022 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में दिल्ली की एक 37 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की खबर सुर्खियों में थी.

महिला कथित तौर पर पांच दिन से लापता थीं. ऐसा दावा था कि हमलावरों ने उनके साथ बार-बार बलात्कार किया और एक लोहे की छड़ (रॉड) उनके गुप्त अंगों में डाल दी थी. बाद में महिला को एक गली में फेंक गए थे. महिला को दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और पुलिस ने दोषियों को पकड़ने के लिए एक अभियान चलाया था.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस खबर को ट्वीट किया था और इसकी तुलना 2012 के निर्भया मामले से की थी.

बाद में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनके नाम शुरुआत में मीडिया में घोषित नहीं किए. हालांकि, इसके बाद कई ट्विटर हैंडल्स ने पांचों आरोपियों के नाम सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिए. तुरंत ही मामले को मीडिया के एक वर्ग और हिंदुत्ववादियों ने सांप्रदायिक रंग दे दिया, क्योंकि अपराध में पांचों आरोपी मुस्लिम थे.

आरएसएस से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि आरोपी एक ‘इस्लामिक सेक्स गैंग’ का हिस्सा थे. दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने बड़ी तादाद में घटना का विरोध किया और भड़काऊ नारे लगाए थे.

हालांकि, बृहस्पतिवार (20 अक्टूबर) को गाजियाबाद पुलिस ने घोषणा की कि उसकी जांच मे यह निकलकर आया कि महिला ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर आरोपियों से एक संपत्ति विवाद सुलझाने के लिए घटना की झूठी कहानी रची थी.

मीडियो को दिए बयान में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज गोबू ने बताया कि महिला के बयान में गंभीर विसंगतियां थीं.

जब एक महिला पुलिसकर्मी को गाजियाबाद के अस्पताल भेजा गया और वह एक महिला डॉक्टर की उपस्थिति में पीड़िता से मिली, तो पीड़िता ने कथित तौर पर काफी समझाने के बाद भी मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया. पीड़िता को मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था, लेकिन उन्होंने दिल्ली की जीटीबी अस्पताल में भर्ती होना चुना.

गाजियाबाद की पुलिस अधीक्षक (अपराध) डॉ. दीक्षा शर्मा, जो स्वयं चिकित्सा विज्ञान की छात्र हैं, ने दिल्ली स्थिति जीटीबी अस्पताल के सभी संबंधित अधिकारियों से मुलाकात की और जानकारी जुटाई. जांच का नेतृत्व द्वितीय नगरीय अंचल अधिकारीआलोक दुबे कर रही हैं और इसकी निगरानी डॉ. शर्मा द्वारा की जारी है.

एसआईटी के निष्कर्ष

पुलिस ने यह भी कहा कि जांच के दौरान यह भी पता चला है कि महिला के दोस्त आजाद तहसीन – जिसका आपराधिक रिकॉर्ड है – ने उनके गायब होने के बाद उनका मोबाइल बंद कर दिया. लगभग उसी समय आजाद की नेटवर्क लोकेशन उस जगह के पास मिली जहां महिला मिली थीं.

आजाद के फोन से इस आशय के साक्ष्य भी मिले हैं कि इस बलात्कार की खबर को बढ़ा-चढ़ाकर प्रसारित करने का प्रयास किया गया था. पुलिस ने कहा कि इसके प्रसार के लिए पेटीएम के माध्यम से भुगतान का भी सबूत है. वहीं, आजाद के खिलाफ आधार फर्जीवाड़े से संबंधित एक अलग मामला भी दर्ज है.

पुलिस के मुताबिक, आजाद ने अपने दोस्त गौरव शरण और इकबाल अफजल के साथ मिलकर पांचों आरोपियों को गैंगरेप के मामले में फंसाकर जमीन विवाद सुलझाने की साजिश रची थी. इससे पहले भी तीनों ने आपराधिक मामले में फंसाने की ऐसी ही एक और कोशिश की थी, लेकिन वे विफल रहे थे. इसलिए उन्होंने कथित तौर पर संपत्ति पर कब्जा करने के लिए यह साजिश रची.

तीनों आरोपी अब हिरासत में हैं. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज ने कहा कि उनके द्वारा किया गया कबूलनामा ‘वैज्ञानिक साक्ष्य’ के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि अब मामले को अदालती सुनवाई के लिए आगे बढ़ाया जाएगा.

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