यूपी: ज़िला अस्पताल में डायलिसिस के दौरान बिजली चले जाने के बाद मरीज़ की मौत

घटना अमरोहा के ज़िला अस्पताल की है, जहां अचानक बिजली चले जाने के बाद एक मरीज़ की डायलिसिस प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. परिजनों के अनुसार, कई घंटों तक अस्पताल में बिजली आने का इंतज़ार करने के बाद घर लौटने पर मरीज़ की हालत बिगड़ने लगी और दूसरे अस्पताल ले जाने के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

घटना अमरोहा के ज़िला अस्पताल की है, जहां अचानक बिजली चले जाने के बाद एक मरीज़ की डायलिसिस प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. परिजनों के अनुसार, कई घंटों तक अस्पताल में बिजली आने का इंतज़ार करने के बाद घर लौटने पर मरीज़ की हालत बिगड़ने लगी और दूसरे अस्पताल ले जाने के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जिला अस्पताल में डायलिसिस के दौरान अचानक बिजली चली जाने के बाद एक किडनी रोगी की मौत का मामला सामना आया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जिले की चीफ मेडिकल सुप्रिटेंडेंट (सीएमएस) प्रेमा पंत त्रिपाठी ने बताया कि अमरोहा जिला अस्पताल में अचानक बिजली चले जाने के बाद डायलिसिस बाधित होने से गुर्दों की बीमारी से जूझ रहे 40 वर्षीय मोहम्मद आमिर की मौत हो गई.

अख़बार के मुताबिक, अमरोहा के रहने वाले आमिर बुधवार सुबह साढ़े छह बजे के करीब डायलिसिस के लिए अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल में बिजली चले जाने के बाद डायलिसिस प्रक्रिया बीच में ही रोकनी पड़ी, जिसके बाद उन्हें कई घंटों तक वॉर्ड के बाहर बैठकर बिजली आने का इंतजार करना पड़ा.

उनके परिजनों के मुताबिक, वे बिना प्रक्रिया पूरी हुए दोपहर दो बजे के बाद घर लौटे और फिर उनकी हालत बिगड़ने लगी. उन्हें फ़ौरन मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

सीएमएस त्रिपाठी ने बताया, ‘बिजली जाने की वजह से डायलिसिस यूनिट की पानी की सप्लाई प्रभावित हुई थी, जिसके चलते डायलिसिस पूरी नहीं हो सकी. अस्पताल में जनरेटर काम कर रहे थे लेकिन मरीज की हालत पहले से ही गंभीर थी. उन्हें लकवा भी था.’

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमने उन्हें बड़े अस्पताल में रेफर किया था. उनका परिवार उन्हें मुरादाबाद ले जा रहा था लेकिन वे रास्ते में ही चल बसे.’

परिवार को जानने वाले एक शख्स ने अख़बार को बताया, ‘आमिर किराने की दुकान चलाया करते थे और पिछले पांच सालों से  गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे. निजी अस्पतालों में इलाज के के लिए बहुत सामान बेचा था और काफी कर्ज में थे. इसीलिए वो जिला अस्पताल जाया करते थे, लेकिन वहां सुविधाएं अच्छी नहीं थीं.’

दैनिक जागरण के अनुसार, अस्पताल की डायलिसिस यूनिट के प्रबंधक सुमित भारद्वाज ने बताया कि डायलिसिस की प्रक्रिया में केवल आरओ का पानी ही इस्तेमाल किया जाता है, जहां एक मरीज की डायलिसिस के दौरान लगभग 150 से 200 लीटर पानी की खपत होती है.

अख़बार के अनुसार, जिला अस्पताल में पेयजल के लिए दो पंप हाउस और एक ओवरहेड टैंक  हैं, जिनसे डायलिसिस यूनिट से लेकर अस्पताल के सभी वॉर्ड्स में पानी जाता है. हालांकि,  पंप हाउस केवल बिजली पर ही निर्भर है और बिजली न होने की स्थिति में पंप चलाने के लिए जनरेटर की व्यवस्था नहीं है. जनरेटर न होने की वजह से ही डायलिसिस यूनिट में भी पानी की सप्लाई नहीं पहुंची थी.

गोपनीयता की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘अस्पताल की डायलिसिस व्यवस्था निजी कंपनी के हाथों में है. बिजली और पानी का इंतजाम भी उन्हीं को करना होता है. बुधवार को किसी तकनीकी गड़बड़ी के चलते बिजली नहीं थी, इसलिए डायलिसिस नहीं हो सका. बिजली व्यवस्था अगले दिन गुरुवार को भी बाधित रही थी.’