केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक परामर्श जारी किया गया है, जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा गया है कि वे अपनी सामग्री प्रसार भारती के माध्यम से प्रसारित करें और 31 दिसंबर 2023 तक प्रसारण सामग्री वितरित करने वाली संस्थाओं से ख़ुद को अलग कर लें.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक परामर्श जारी कर केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को प्रसारण गतिविधियों के किसी भी प्रसार या वितरण में सीधे प्रवेश नहीं करने की सलाह दी है.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी परामर्श के मुताबिक, अपनी सामग्री प्रसारित करने वाले प्रसारकों को प्रसार भारती के माध्यम से सामग्री प्रसारित करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा प्रसारकों को 31 दिसंबर 2023 तक प्रसारण सामग्री वितरित करने वाली संस्थाओं से ‘खुद को अलग करने’ के लिए भी कहा गया है.
इस परामर्श से तमिलनाडु सरकार द्वारा शुरू किए गए शैक्षणिक चैनल कालवी टीवी और आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से शुरू किए गए आईपीटीवी की सेवा प्रभावित होने की आशंका है. ये दोनों चैनल कुछ डीटीएच प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार (21 अक्टूबर) को जारी किए गए परामर्श के मुताबिक, केंद्र सरकार और राज्य/केंद्रशासित राज्यों का कोई भी मंत्रालय/विभाग और उनसे संबंधित संस्थाएं भविष्य में प्रसारण गतिविधियों के प्रसारण/वितरण में प्रवेश नहीं करेंगी.
मंत्रालय ने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार के मंत्रालय, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार और उनसे संबंधित संस्थाएं पहले से ही अपनी सामग्री प्रसारित कर रही हैं, तो यह सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के माध्यम से किया जाएगा.’
परामर्श में कहा गया कि शैक्षिक उद्देश्यों के लिए प्रसारण के व्यवसाय में केंद्र और राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन का प्रवेश प्रसार भारती और संबंधित सरकारों के बीच उपयुक्त समझौतों के माध्यम से किया जाना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस संबंध में परामर्श 21 अक्टूबर को जारी किया गया था.
प्रसारण से संबंधित सभी मामलों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नोडल मंत्रालय है. आधिकारिक संचार में कहा गया, ‘संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, केवल मंत्रालय ही इन विषयों पर कानून बना सकता है.’
वर्ष 2012 में प्रसारण नियामक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सुझाव दिया था कि केंद्र और राज्य सरकारें, उनकी संबंधित संस्थाएं, उपक्रम, निजी क्षेत्र के संयुक्त उद्यम और सरकारों द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं को प्रसारण के व्यवसाय में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
परामर्श में कहा गया है कि ट्राई की सिफारिशों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विचार किया है. इस संबंध में, परामर्श कहता है कि ट्राई ने सरकारिया आयोग की सिफारिशों की भावना और सुप्रीम कोर्ट के इस अवलोकन पर भरोसा किया था कि राज्य नियंत्रण का मतलब वास्तव में सरकारी नियंत्रण है, जिसका अर्थ राजनीतिक दल या उस समय सत्ता में पार्टियों का नियंत्रण है और आगे माना था कि सार्वजनिक सेवा प्रसारण एक वैधानिक निगम के हाथों में होना चाहिए, ताकि राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक मामलों और अन्य सार्वजनिक मसलों पर उनकी निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके.
मंत्रालय की ओर से कहा गया है, हालांकि इससे सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, स्कूलों, कृषि विज्ञान केंद्रों, केंद्रीय/राज्य विश्वविद्यालयों, जिनमें स्वायत्त निकाय और कृषि विश्वविद्यालय शामिल हैं, द्वारा सामुदायिक रेडियो की स्थापना के संबंध में मौजूदा नीति दिशानिर्देशों को प्रभावित नहीं करता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)