भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बने ऋषि सुनक

ब्रिटेन में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लिज़ ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक को कंज़रवेटिव पार्टी का नया नेता चुना गया है. दो महीने से भी कम समय में वह ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राजनीतिक इतिहास के सबसे अशांत समय में से एक के दौरान पदभार ग्रहण किया है.

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Britain's new Prime Minister Rishi Sunak waves in front of Number 10 Downing Street, in London, Britain, October 25, 2022. REUTERS/Hannah McKay

ब्रिटेन में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लिज़ ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक को कंज़रवेटिव पार्टी का नया नेता चुना गया है. दो महीने से भी कम समय में वह ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राजनीतिक इतिहास के सबसे अशांत समय में से एक के दौरान पदभार ग्रहण किया है.

25 अक्टूबर 2022 को राजधानी लंदन स्थित अपने आधिकारिक आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों का अभिवादन करते ऋषि सुनक. (फोटो: रॉयटर्स)

लंदन: ऋषि सुनक ने मंगलवार को महाराजा चार्ल्स तृतीय के साथ मुलाकात के बाद औपचारिक रूप से भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया. इससे पहले उन्हें दिवाली के दिन (24 अक्टूबर) निर्विरोध कंजरवेटिव पार्टी का नया नेता चुना गया था.

इससे पहले निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने सुबह अपने आधिकारिक आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपनी अंतिम कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की और उसके बाद उन्होंने महाराजा को औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंप दिया.

उसके बाद सुनक महाराजा से मुलाकात के लिए महल पहुंचे, जहां उन्हें ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री के रूप में नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया.

ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री सुनक (42 वर्ष) हिंदू हैं और वह पिछले 210 साल में ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री हैं. वर्तमान रिकॉर्ड धारक डेविड कैमरून हैं, जो 43 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे. टोनी ब्लेयर भी 43 वर्ष के थे, जब वे 1997 में प्रधानमंत्री बने थे.

महाराजा से मुलाकात के बाद ऋषि सुनक ने कहा कि उन्होंने नई सरकार बनाने के लिए महाराजा चार्ल्स तृतीय के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.

उन्होंने कहा, ‘हमारा देश रूस-यूक्रेन युद्ध व महामारी के कारण गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. कुछ ‘गलतियां’ हुई थीं और उन्हें दुरुस्त करने के लिए उन्हें चुना गया है और गलतियों को ठीक करने का काम तुरंत शुरू हो रहा है.’

सुनक ने कहा, ‘आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, मैं उनसे सहानुभूतिपूर्ण तरीके से निपटने का आपसे वादा करता हूं.’

इससे एक दिन पहले सोमवार को पेनी मॉर्डंट के दौड़ से हटने की घोषणा के बाद ऋषि सुनक को कंजरवेटिव पार्टी का निर्विरोध नेता चुन लिया गया था.

42 वर्षीय पूर्व वित्त मंत्री सुनक को कंजरवेटिव पार्टी के 357 में से आधे से अधिक सांसदों का समर्थन मिला था, जबकि उन्हें जीत के लिए कम से कम 100 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी.

‘1922 कंजरवेटिव सांसदों की समिति’ के प्रमुख सर ग्राहम ब्रैडी ने नाम वापस लेने के आखिरी दिन स्थानीय समयानुसार अपराह्न दो बजे संसद परिसर में घोषणा की कि उन्हें केवल एक नामांकन मिला है, लिहाजा सुनक नेता बनने की दौड़ में विजयी रहे हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, वेस्टमिंस्टर के सबसे धनी राजनेताओं में से 42 वर्षीय सुनक दो महीने से भी कम समय में ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री हैं, जो ब्रिटिश राजनीतिक इतिहास के सबसे अशांत युगों में से एक के दौरान पदभार ग्रहण कर रहे हैं.

इस साल की शुरुआत में कुछ लोगों ने सुनक पर विश्वासघात का आरोप लगाया था, जब उन्होंने पूर्व नेता बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. इन स्थितियों में सुनक को ब्रिटेन के प्रमुख राजनीतिक दल को एक साथ रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.

सुनक, लिज ट्रस की जगह लेंगे, जिन्होंने राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सत्ता संभालने के 45 दिन के अंदर ही बीते 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

बीते दिनों ट्रस की सरकार एक आर्थिक कार्यक्रम लेकर आई थी, जिसने बाजार में उथल-पुथल मचा दी थी और उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के महज छह हफ्तों बाद ही उनकी कंजरवेटिव पार्टी विभाजित हो गई थी.

मालूम हो कि बीते छह सितंबर को दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने कंजरवेटिव पार्टी की नेता लिज ट्रस को औपचारिक रूप से ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. बीते पांच सितंबर को विदेश मंत्री रहीं ट्रस ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को हरा दिया था.

कंजरवेटिव पार्टी नेता के रूप में अपने पहले संबोधन में सुनक ने सोमवार को कहा था कि उनकी प्राथमिकता देश को एकजुट करने की होगी. उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन एक महान देश है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश एक गंभीर आर्थिक चुनौती का सामना कर रहा है.

सुनक ने कहा था, ‘मैं वादा करता हूं कि मैं सत्यनिष्ठा और विनम्रता के साथ आपकी सेवा करूंगा तथा ब्रिटेन के लोगों की निरंतर सेवा करूंगा.’

सुनक के सामने प्रधानमंत्री के तौर पर चुनौतियों का अंबार है. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था परेशानी का सामना कर रही है, महंगाई उच्च स्तर पर है तथा ब्याज दर बढ़ रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस साल दूसरी बार ऊर्जा पर होने वाले खर्च को बढ़ा दिया. मुद्रा बाजार में स्टर्लिंग (ब्रिटेन में प्रचलित मुद्रा) कमजोर दिख रहा है. इन स्थितियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की वित्तीय विश्वसनीयता को कमजोर किया है.

उन्होंने कहा, ‘हमें अब स्थिरता और एकता की जरूरत है तथा मैं अपनी पार्टी तथा देश को एकजुट रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता दूंगा, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है, जिसके जरिये हम चुनौतियों से निपट सकते हैं तथा अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए एक बेहतर और अधिक समृद्ध भविष्य बना सकते हैं.’

उनका पहला काम ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विश्वसनीयता को बहाल करना होगा, क्योंकि निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस द्वारा करों में कटौती किए की योजना और एक महंगी ऊर्जा मूल्य गारंटी ने बांड बाजार को झकझोर दिया है.

उसके पास कर दरों को बढ़ाने और खर्च में कटौती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जो अलोकप्रिय होगा और इसके अप्रत्याशित राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं.

सुनक के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ होने के बाद पूर्ववर्ती लिज ट्रस ने बीते सोमवार को ट्वीट किया, ‘कंजरवेटिव पार्टी के नेता और हमारे अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे ऋषि सुनक को बधाई. आपको मेरा पूरा समर्थन है.’

भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों पर सुनक का दृष्टिकोण ब्रिटेन के लिए महज भारत में कारोबार के अवसर से आगे का है तथा ब्रिटेन ‘भारत से सीखना’ चाहता है.

सुनक ने पार्टी में नेतृत्व पाने के लिए पिछले मुकाबले में प्रचार के दौरान कहा था कि वह ब्रिटेन-भारत संबंधों को बदलना चाहते हैं, ताकि इसे दोतरफा आदान-प्रदान वाला बनाया जा सके, जिससे ब्रिटेन के छात्रों और कंपनियों की भारत में आसान पहुंच हो.

रविवार (23 अक्टूबर) को पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के नाटकीय रूप से कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ से हटने और तय समय में 100 सांसदों का समर्थन जुटा पाने में नाकामी के मद्देनजर ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ की नेता पेनी मॉर्डंट के हार मानने के बाद देश के पहले गैर-श्वेत प्रधानमंत्री के रूप में सुनक का मार्ग प्रशस्त हो गया था.

सुनक से पहले कुछ दिनों तक प्रधानमंत्री रहीं ट्रस ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए करों को कम करने के वादों के साथ जीत हासिल की थी, लेकिन अपने मिनी-बजट के बाद बाजारों में वित्तीय उथल-पुथल और ब्रिटिश मुद्रा पाउंड के कमजोर होने के बाद उन्हें अपनी लगभग सभी आर्थिक नीतियों को पलटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

सुनक ने ट्रस की योजनाओं को ‘परी-कथा वाला अर्थशास्त्र’ बताते हुए चुनौती दी थी और उनके समर्थकों ने बार-बार दोहराया कि कैसे उन्होंने सही रुख अपनाया और आर्थिक विश्वसनीयता बहाल करने को लेकर वह सही उम्मीदवार थे.

भारतीय मूल के डॉक्टर पिता यशवीर और फार्मासिस्ट मां उषा के ब्रिटेन में जन्मे बेटे सुनक ने पिछले अभियान के दौरान अपनी प्रवासी जड़ों के बारे में विस्तार से बात की थी और पहले भारतवंशी वित्त मंत्री के तौर पर 11 डाउनिंग स्ट्रीट पर दिवाली के दीये जलाकर इतिहास बनाने का भी उल्लेख किया था.

सुनक का राजनीतिक करिअर 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की सीट जीतने के साथ शुरू हुआ और वित्त मंत्रालय में कनिष्ठ भूमिकाओं से होते हुए वह वित्त मंत्री के पद पर पहुंच गए, जब साजिद जावेद ने फरवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया था.

कौन हैं ऋषि सुनक

सुनक का जन्म साउथैम्प्टन में हुआ था. उनके दादा-दादी का ताल्लुक पंजाब से था. फार्मासिस्ट मां और डॉक्टर पिता के बेटे सुनक ने इंग्लैंड के सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक ‘विनचेस्टर’ से पढ़ाई की है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए. उन्होंने ‘गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक’ में काम किया और बाद में अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया. यहीं उनकी मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं.

सुनक ने ‘हेज फंड’ (जमा निवेश फंड) प्रबंधक क्रिस होन के ‘टीसीआई फंड मैनेजमेंट’ में लगभग तीन वर्षों तक काम किया और फिर पैट्रिक डीगॉर्स के ‘हेज फंड’ ‘थेलेम पार्टनर्स’ में काम करने लगे.

उन्होंने अक्षता से 2009 में शादी की और दंपति की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का हैं.

सुनक 2015 में रिचमंड, यॉर्कशायर से संसद सदस्य बने. उन्होंने संसद में भगवद् गीता पर सांसद के रूप में शपथ ली. फरवरी 2020 में उन्हें ब्रिटेन के कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण पद, ‘चांसलर ऑफ एक्सचेकर’ यानी वित्त मंत्री नियुक्त किया गया.

बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आवास पर दिवाली पर दीये जलाए.

जब बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के कारण पहली बार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो सुनक ने लाखों नौकरियां बचाने के लिए एक व्यापक राहत पैकेज तैयार किया. जॉनसन के करीबी माने जाने वाले सुनक पूर्व प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व से ठीक विपरीत शख्सियत प्रतीत होते रहे.

सुनक के जब सितारे चमक रहे थे, तब ब्रिटेन की पत्रिकाएं उन्हें ‘डिशी ऋषि’ यानी ‘आकर्षक ऋषि’ कहती थीं. मगर उनकी पत्नी अक्षता की कर (टैक्स) स्थिति और दौलत के साथ-साथ ‘पार्टीगेट’ कांड में उनका नाम आने और लाखों लोगों के लिए कर बढ़ाने के सुनक के कदम की कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों द्वारा आलोचना ने उनकी स्थिति बदली और उन्हें ‘फिशी ऋषि’ यानी ‘संदिग्ध ऋषि’ कहा जाने लगा.

सुनक दंपति की वित्तीय स्थिति हाल ही में जांच के दायरे में तब आई, जब यह पता चला कि अक्षता अब भी भारतीय नागरिक हैं और उनकी ब्रिटेन में गैर-अधिवासित स्थिति है. इस वजह से उन्हें विदेशी कमाई पर यहां कर नहीं देना पड़ता है और वह भारत वापस जाने की योजना बना रही हैं.

अक्षता के गैर-अधिवासी होने की वजह से वह इंफोसिस के शेयर से मिलने वाले लाभांश पर लगभग दो करोड़ पाउंड का कर बचा पाईं.

वहीं, इस साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार के दौरान सुनक को कई मोर्चों पर आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिनमें आलीशान घर, महंगे कपड़े और जूते शामिल थे.

सुनक की कुल संपत्ति 70 करोड़ पाउंड की है. यॉर्कशायर में एक आलीशान बंगले के अलावा सुनक और उनकी पत्नी अक्षता के पास मध्य लंदन के केंसिंग्टन में और एक संपत्ति है.

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई

बहरहाल इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनक को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई दी और कहा कि वह वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने तथा रोडमैप 2030 को लागू करने को लेकर उत्सुक हैं.

ऋषि सुनक. (फोटो साभार: फेसबुक)

मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘ऋषि सुनक को हार्दिक बधाई. चूंकि आप ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, मैं वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने और रोडमैप 2030 को लागू करने के लिए उत्सुक हूं. ब्रिटिश भारतीयों के ‘जीवंत सेतु’ को दिवाली की विशेष शुभकामनाएं. हमने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक साझेदारी में बदला है.’

वहीं, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने अपने दामाद ऋषि सुनक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनाए जाने पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘हमें उन पर गर्व है और हम उनकी सफलता की कामना करते हैं.’

मूर्ति ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को ईमेल के माध्यम से दी गई अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘ऋषि को बधाई. हमें उन पर गर्व है और हम उनकी सफलता की कामना करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमें विश्वास है कि वह ब्रिटेन के लोगों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे.’

ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुना जाना अभूतपूर्व: बाइडन

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुना जाना ‘बहुत ही आश्चर्यजनक’ और ‘एक अभूतपूर्व मील का पत्थर’ है.

बाइडन ने सोमवार को ह्वाइट हाउस में आयोजित दिवाली समारोह के दौरान कहा कि यह प्रकाशोत्सव याद दिलाता है कि हम में से प्रत्येक के पास अंधेरे को दूर करने और दुनिया में प्रकाश फैलाने की शक्ति है.

उन्होंने कहा, ‘यह एक विकल्प है. और हम हर दिन इसका चुनाव कर सकते हैं. यह हमारे जीवन और इस देश के जीवन में, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देश के जीवन का सच है, फिर चाहे वह अमेरिका हो या भारत, जहां आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है या फिर ब्रिटेन जहां आज ही हमें खबर मिली है कि सुनक प्रधानमंत्री बन गए हैं.’

उन्होंने आप्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘कंजरवेटिव पार्टी के सुनक के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद है. यह काफी आश्चर्यजनक है और एक अभूतपूर्व मील का पत्थर है. यह काफी मायने रखता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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