केरल के राज्यपाल कार्यालय द्वारा सोमवार को संवाददाता सम्मेलन कवर करने पहुंचे चार टीवी चैनलों के राजभवन में प्रवेश पर रोक की ख़बर पर कार्यालय ने सफाई दी है कि कुछ मीडियाकर्मियों को साक्षात्कार के लिए एक ही समय दिया गया था, जिसे संवाददाता सम्मलेन समझ लिया गया.
तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल द्वारा चार टीवी चैनल पर प्रतिबंध लगाने को लेकर हुए विवाद के बाद राज्यपाल कार्यालय ने मंगलवार शाम को कहा कि उसने किसी चैनल को संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने से रोका नहीं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चार टेलीविजन चैनल को कथित तौर पर राजभवन में जाने से रोका गया था. इसके बाद राजनीतिक दलों और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि यह प्रेस की आजादी का उल्लंघन है.
केरल के राज्यपाल कार्यालय ने मंगलवार को कहा कि उसने किसी चैनल को संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने से रोका नहीं.
राज्यपाल कार्यालय ने ट्वीट कर कहा कि कुछ मीडियाकर्मियों द्वारा साक्षात्कार दिए जाने का अनुरोध करने पर बातचीत की गई थी.
#KeralaRajBhavan had not "barred any channel from Press Meet" as some reports allege.Mediapersons who requested for interview on 24 Oct were invited at a common time, due to paucity of time. This interaction was misunderstood by some as "Press conference":PRO, KeralaRajBhavan
— Kerala Governor (@KeralaGovernor) October 25, 2022
राज्यपाल कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘राजभवन ने किसी मीडिया चैनल को संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने से नहीं रोका है, जैसा कि कुछ खबरों में आरोप लगाया गया है. कुछ मीडियाकर्मियों द्वारा किए गए साक्षात्कार के अनुरोध पर 24 अक्टूबर को उन्हें समय की कमी के चलते एक ही समय पर बुलाया गया था. यह संवाद था, जिसे कुछ लोगों ने संवाददाता सम्मेलन समझने की गलती की.’
ज्ञात हो कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के संवाददाता सम्मेलन के तुरंत बाद कुछ पत्रकारों उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने यह कहकर टिप्पणी करने से इनकार दिया कि वह पत्रकार बनकर आए पार्टी कैडर को जवाब नहीं देंगे.
इसके बाद प्रेस से संवाद को कुछ चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया, लेकिन कैराली, रिपोर्टर, मीडिया वन और जयहिंद सहित कुछ चैनल को इस संवाद को कथित तौर पर कवर करने की अनुमति नहीं दी गई.
मीडिया घरानों ने दावा किया कि उन्होंने ई-मेल के जरिये अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया.
कांग्रेस ने कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन राज्यपाल के लिए मीडिया के एक धड़े को अनुमति नहीं देना उचित नहीं है.
राज्यपाल के चैनलों को प्रतिबंधित करने को लेकर यह विवाद राज्य के विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण को लेकर उनकी राज्य की वाम मोर्चा सरकार के साथ चल रही खींचतान और अन्य मुद्दों के बीच सामने आया है.
खान, जो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के वास्तविक कुलाधिपति हैं, ने रविवार को नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) को अपना इस्तीफा देने के लिए कहा था.
हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को नौ कुलपतियों में से आठ की याचिका पर सुनवाई की और फैसला सुनाया था कि वे अपने पदों पर बने रह सकते हैं. अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है.
इसके बाद, दो अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी राज्यपाल की ओर से नोटिस भेजे गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)