एनएचआरसी ने ‘लड़कियों की नीलामी’ संबंधी ख़बरों को लेकर राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के आधा दर्जन ज़िलों में ‘जाति पंचायतों के फ़रमान पर वित्तीय विवादों के निपटान के लिए लड़कियों की ‘स्टांप पेपर पर नीलामी की जा रही है’ और इससे इनकार करने उनकी माताओं का बलात्कार किया जाता है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के आधा दर्जन ज़िलों में ‘जाति पंचायतों के फ़रमान पर वित्तीय विवादों के निपटान के लिए लड़कियों की ‘स्टांप पेपर पर नीलामी की जा रही है’ और इससे इनकार करने उनकी माताओं का बलात्कार किया जाता है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बृहस्पतिवार (27 अक्टूबर) को उन खबरों को लेकर राजस्थान सरकार को एक नोटिस जारी किया कि राज्य के आधा दर्जन जिलों में ‘जाति पंचायतों के फरमान पर वित्तीय विवादों के निपटान के लिए लड़कियों की ‘स्टांप पेपर पर नीलामी की जा रही है’ और इससे इनकार करने उनकी माताओं का बलात्कार किया जाता है.

आयोग के एक बयान के अनुसार, उसने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है. बयान के मुताबिक, राजस्थान के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को चार सप्ताह के भीतर आयोग को जवाब देने को कहा गया है.

एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एनएचआरसी ने कहा कि जब भी दो पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेन-देन और ऋण को लेकर कोई विवाद होता है, तो ‘पैसे की वसूली के लिए आठ साल से 18 साल की उम्र की लड़कियों को नीलाम’ को किया जाता है.

एनएचआरसी ने कहा, ‘एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नीलाम होने के बाद इन लड़कियों को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेज दिया जाता है तथा उनका शारीरिक शोषण, प्रताड़ना एवं यौन उत्पीड़न किया जाता है. अगर यह खबर सही है, तो यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है.’

आयोग ने इस मामले में राजस्थान के मुख्य सचिव से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. उसने उनसे रिपोर्ट में यह भी बताने को कहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई है, क्या कदम उठाए गए हैं और यदि नहीं उठाए गए तो प्रस्तावित कदम क्या हैं.

एनएचआरसी ने कहा कि रिपोर्ट में यह शामिल होना चाहिए कि कैसे राज्य सरकार ग्राम पंचायत का कामकाज संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार सुनिश्चित कर रही है, ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं की गरिमा एवं मानवाधिक को प्रभावित करने वाली जाति-आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके.

एनएचआरसी ने कहा कि राजस्थान के डीजीपी को भी एक नोटिस जारी किया गया है और उनसे इस तरह के अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है.

एनएचआरसी ने यह भी कहा कि उसने अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश शर्मा को राजस्थान के ऐसे प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और तीन महीने के भीतर उक्त घटनाओं और वहां प्रचलित प्रथा के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 26 अक्टूबर को की गई एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में जाति पंचायतें (खाप) इस अपराध करने के लिए जिम्मेदार थीं. भीलवाड़ा में जब भी दो पक्षों के बीच विवाद होता है, तो लोग कथित तौर पर पुलिस के बजाय पंचायतों में समाधान के लिए जाते हैं.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यदि आठ से 18 वर्ष की आयु की लड़कियों को वित्तीय विवादों को निपटाने के लिए ‘बेचा नहीं जाता’ तो उनकी माताओं का बलात्कार ‘जाति पंचायतों के फरमान’ पर किया जाता है.

एक घटना का विवरण देते हुए मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एक व्यक्ति जिसे अपना घर बेचने और अपनी पत्नी और बाद में अपनी मां के इलाज के लिए कई कर्ज लेने के लिए मजबूर किया गया, ने अपनी छोटी बेटी को कुछ लोगों को 6 लाख रुपये में बेच दिया, जो उसे अपने घर आगरा ले गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि तब से उसे तीन बार बेचा गया और चार बार गर्भवती वह हुई.

इसी बीच, भीलवाड़ा जिले में स्टांप पेपर पर लड़कियों की नीलामी की खबरों पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मामले की जांच के लिए टीमों को तैनात किया गया है. किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.

वहीं, भीलवाड़ा में लड़कियों के व्यापार की खबरों पर भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस की आलोचना की है.

भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने दावा किया, ‘सरकार मामले से अवगत है, लेकिन एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इस मामले में पॉक्सो क्यों नहीं लगाया गया? प्रशासन कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है? राजस्थान में अपहरण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हर महीने 400 लड़कियां गायब हो जाती हैं.’

राष्ट्रीय महिला आयोग ने लड़कियों की ‘नीलामी’ की जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई

इधर, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में कर्ज अदायगी के लिए लड़कियों की नीलामी के आरोपों की जांच के संबंध में शुक्रवार को दो सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया.

आयोग ने कहा कि उसने मीडिया में आईं कई खबरों का संज्ञान लिया, जिनमें कहा गया है कि भीलवाड़ा में कर्ज अदायगी के विवादों को निपटाने के लिए लड़कियों की नीलामी की जा रही है.

आयोग ने कहा कि खबरों के अनुसार कई मामलों में स्टांप पेपर पर लिखवाकर लड़कियों को वेश्यावृत्ति के लिए बेच दिया जाता है. कुछ मामलों में विवादों के निपटारे के लिए ‘खाप’ (जाति) पंचायतों के फरमान पर उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है.

आयोग ने अपने बयान में इन अपराधों को बेहद भयावह और दर्दनाक बताया और कहा कि उसने इस मामले पर गौर करने के लिए दो सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया है.

एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने राजस्थान के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है. शर्मा ने मुख्य सचिव से आयोग को की गई कार्रवाई से अवगत कराने को भी कहा है.

आयोग ने राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को तत्काल संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए भी लिखा है. पत्र की एक प्रति पुलिस अधीक्षक (एसपी) भीलवाड़ा को भेजी गई है.

शीर्ष बाल अधिकार निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो भी आरोपों की विस्तृत जांच करने के लिए सात नवंबर को भीलवाड़ा जाएंगे. कानूनगो ने कहा कि वह इसमें संलिप्त लोगों और प्रभावित गांवों की जांच करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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