अक्टूबर 2020 में हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को यूएपीए मामले में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल चुकी है. ईडी ने कप्पन को मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी क़ानून के तहत एक मामले में आरोपी बनाया है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ की एक विशेष अदालत ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में जमानत याचिका सोमवार को नामंजूर कर दी. अदालत ने पिछली 12 अक्टूबर को इस मामले को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
विशेष न्यायाधीश (प्रवर्तन निदेशालय) संजय शंकर पांडे ने सोमवार को यह आदेश सुनाया. अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा यह मामला गंभीर प्रकृति का है इसलिए कप्पन को जमानत नहीं दी जा सकती.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कप्पन को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम के तहत एक मामले में आरोपी बनाया था. कप्पन पर अवैध तरीके से विदेश से धन हासिल करने और उसे राष्ट्र हित के खिलाफ गतिविधियों में इस्तेमाल करने का आरोप है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विशेष लोक अभियोजक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, ‘मैंने अभी तक विस्तृत आदेश नहीं देखा है और इसलिए मुझे नहीं पता कि किस आधार पर कप्पन की जमानत अर्जी खारिज की गई है.’
वहीं, कप्पन के वकील ईशान बघेल ने कहा कि उन्हें आगे की कार्रवाई पर फैसला करने के लिए वरिष्ठ वकीलों से परामर्श करना होगा.
मलयालम समाचार पोर्टल ‘अझीमुखम’ के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य लोगों को 5 अक्टूबर, 2020 को हाथरस में एक युवती की कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद हुई हत्या के मामले की कवरेज के लिए जाते वक्त गिरफ्तार किया गया था.
उनकी गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए के तहत विभिन्न आरोपों में अन्य मामला दर्ज किया था.
यूएपीए के तहत दर्ज मामले में आरोप लगाया गया था कि कप्पन और उनके सह-यात्री हाथरस सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे.
बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने भी उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत मामला दर्ज किया. ईडी ने अदालत में कहा था कि कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय सदस्य हैं और उनसे वर्ष 2015 में दिल्ली में दंगे भड़काने के लिए कहा गया था.
जांच के दौरान एजेंसियों ने दावा किया था कि हाथरस मामले के बाद माहौल खराब करने के लिए पीएफआई सदस्यों को 1.38 करोड़ रुपये दिए गए थे. आरोप है कि कप्पन ने पीएफआई सदस्यों के काला धन को सफेद करने में मदद की थी.
मालूम हो कि कप्पन को यूएपीए से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिल चुकी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)