महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि योजना के पहले चरण में मेडिकल डिग्री पाठ्यक्रमों के शुरुआती दो वर्षों के लिए मराठी में पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी. ये वैकल्पिक पाठ्यपुस्तकें मराठी माध्यम से आने वाले छात्रों के लिए होंगी ताकि वे पाठ्यक्रम को बेहतर तरीके से समझ सकें.
मुंबई: मध्य प्रदेश में हिंदी में मेडिकल शिक्षा की किताबे आने के बाद अब महाराष्ट्र में जल्द ही मराठी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराई जाएगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल डिग्री कोर्स के पहले दो वर्षों के लिए मराठी में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने का फैसला किया है.
अधिकारी ने कहा, ‘अभी योजना वैकल्पिक पाठ्यपुस्तकें पेश करने की है, जिसका उद्देश्य मराठी माध्यम स्कूली पृष्ठभूमि के छात्रों के हित को ध्यान में रखकर परिवर्तन लाना है. चिकित्सा पाठ्यक्रमों में शिक्षा के माध्यम के रूप में मराठी का उपयोग किया जा सकता है या नहीं, इस पर निर्णय समय आने पर लिया जाएगा.’
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. अश्विनी जोशी ने निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा, ‘इस योजना का पहला चरण मेडिकल डिग्री पाठ्यक्रमों के पहले और दूसरे वर्ष के लिए मराठी पाठ्यपुस्तकें तैयार करना होगा.’
उन्होंने कहा, ‘ये वैकल्पिक, संदर्भ पाठ्यपुस्तकें होंगाी जो कि मराठी माध्यम से आने वाले छात्रों के लिए होंगी, ताकि वे पाठ्यक्रम को बेहतर तरीके से समझ सकें.’
उन्होंने बताया, ‘विशिष्ट क्षेत्रों के विशेषज्ञ पाठ्यपुस्तकों का अंग्रेजी से मराठी में सटीक अनुवाद करने के लिए काम करेंगे. अनुवादकों में भाषा विशेषज्ञ और डॉक्टर का संयोजन होगा क्योंकि सामग्री को, विशेष तौर पर इसमें इस्तेमाल शब्दावली को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों द्वारा सत्यापित किया जाना जरूरी है. ‘
योजना के तहत, इन संदर्भ पाठ्यपुस्तकों के अगले शैक्षणिक वर्ष के शुरू होने पर तैयार होने की उम्मीद है.
यह पूछे जाने पर कि क्या छात्रों के लिए मराठी में परीक्षा देने का विकल्प होगा, डॉ. जोशी ने कहा, ‘फिलहाल योजना मराठी में संदर्भ पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की है. अन्य फैसले भविष्य में लिए जाएंगे.’
क्षेत्रीय भाषा में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने वाला महाराष्ट्र भारत का चौथा राज्य होगा. नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं में उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है, जिसके बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने हिंदी में चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की है.
वहीं, तमिलनाडु में तमिल माध्यम के स्कूलों से आने वाले छात्रों की बेहतर समझ के लिए कुछ चिकित्सा शिक्षा पाठ्यपुस्तकों का तमिल में अनुवाद किया गया है.
हालांकि, इस कदम को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं. महाराष्ट्र में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के पूर्व निदेशक डॉ. प्रवीण शिंगारे ने कहा, ‘पहले यह विश्लेषण करना जरूरी है कि क्या इसकी जरूरत है. मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्र राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी शुरू करने के साथ ही पहले से ही शिक्षा के माध्यम में बदलाव के लिए मानसिक रूप से तैयार होते हैं.’
डॉ. शिंगारे ने इस ओर भी इशारा किया कि भले ही नीट को स्थानीय भाषा में आयोजित कराया जाए, मराठी में इसका चयन करने वाले उम्मीदवार कम होंगे.
उन्होंने इस कदम का स्वागत किया लेकिन साथ ही आगाह किया कि इसे जल्दबाजी में लागू नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने साथ ही कहा कि मराठी को शिक्षा का माध्यम बनाना अन्य राज्यों से आने वाले छात्रों के लिए बाधक होगा. ठीक वैसे ही जैसे अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले महाराष्ट्र के छात्रों के लिए वहां की भाषा से तालमेल बैठाना बाधक होगा.