केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के करगिल और लेह ज़िलों में स्थानीय संगठनों के नेतृत्व में लोगों ने सड़कों पर रैली निकालकर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के साथ-साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की भी मांग की.
करगिल: केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के करगिल और लेह जिलों में बुधवार को सड़कों पर लोगों ने प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की मांग के लिए हुआ. गौरतलब है कि इसी महीने इस क्षेत्र ने बतौर केंद्रशासित प्रदेश तीन साल पूरे किए हैं.
द हिंदू की खबर के मुताबिक, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने ‘गृह मंत्री ध्यान दो, हम भीख नहीं मांग रहे हैं’ और ‘ध्यान दीजिए, हम अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं’ जैसे नारे लगाए और सड़कों पर रैली निकाली.
लेह में प्रदर्शन का नेतृत्व जिले के धार्मिक और राजनीतिक दलों के एक समूह लेह अपेक्स बॉडी (एलएबी) ने किया था. एलएबी प्रमुख थपस्तान छेवांग ने एनडीएस मेमोरियल स्पोर्ट्स ग्राउंड से लेह के पोलो ग्राउंड तक रैली का नेतृत्व किया.
करगिल में धार्मिक और राजनीतिक दलों के एक समूह करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने शहर में सड़क रैलियों का आयोजन किया.
Leh takes out a march demanding full statehood to Ladakh and implementation of the sixth schedule of constitution that safequards jobs and ownership of land for locals. Protests being held in Kargil from 1 pm. pic.twitter.com/mv2egFKJuw
— Mufti Islah (@islahmufti) November 2, 2022
छेवांग ने कहा, ‘भारत सरकार को राज्य का दर्जा देने की हमारी मांग पर ध्यान देना चाहिए. यदि राज्य का दर्जा देना मुश्किल है, तो लद्दाख को विधायिका वाला केंद्र शासित प्रदेश बनने दें. इसके अलावा, छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक गारंटी और संसद में अतिरिक्त प्रतिनिधित्व की मांगों को स्वीकार किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि लेह और करगिल के संगठन फिर से बैठक कर रहे हैं, ताकि केंद्र द्वारा मांगें न माने जाने पर प्रदर्शन की रूपरेखा तय कर सकें.
छेवांग ने कहा, ‘हम केंद्र से जल्द ही फिर से संवाद शुरू करने का अनुरोध करते हैं. अज्ञात कारणों से पिछले साल शुरू हुई वार्ता प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जा सकी थी.’
रिपोर्ट के अनुसार, 6 जनवरी 2021 को केंद्रीय गृह मंत्री ने लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति को लद्दाख में भाषा, संस्कृति और भूमि के संरक्षण से संबंधित मुद्दों का उचित समाधान खोजना था.
केडीए और एलएबी संयुक्त रूप से राज्य का दर्जा बहाल करने और असम, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों को स्थानीय संस्कृति, भाषा और जनसांख्यिकी की रक्षा के लिए दिए गए अधिकारों की तर्ज पर छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त करने के लिए लड़ रहे हैं.
केडीए नेता सज्जाद करगिल ने कहा कि सशक्तिकरण के नाम पर लद्दाख में अशक्तता देखी जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘यहां लोकतंत्र की बहाली की जरूरत है. डॉक्टरेट डिग्री वाले छात्र हैं, लेकिन उनके पास नौकरी नहीं है. स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. बिना किसी जवाबदेही के लगभग 40,000 पेड़ काट दिए गए. लद्दाख को राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में अधिक प्रतिनिधित्व की जरूरत है.’
इस बीच सरकार ने बुधवार को एक अधिसूचना जारी कर लद्दाख के उपराज्यपाल को लोक सेवा, ग्रुप ए और ग्रुप बी के राजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए नियम बनाने का अधिकार दे दिया.