केरल हाईकोर्ट का आदेश, कुलपतियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करें राज्यपाल

केरल हाईकोर्ट ने राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था. ख़ान ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को ऐसे नोटिस भेजे हैं.

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(फोटो साभार: swarajyamag.com)

केरल हाईकोर्ट ने राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था. ख़ान ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को ऐसे नोटिस भेजे हैं.

(फोटो साभार: swarajyamag.com)

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान को अदालत में मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों (वीसी) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था.

जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कुलाधिपति को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की.

खान ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कुलपतियों ने नोटिस के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया था कि यह अवैध और अमान्य है.

खान ने बीते 23 अक्टूबर को नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अपना इस्तीफा देने के लिए कहा था. हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने बीते 24 अक्टूबर को नौ कुलपतियों में से आठ की याचिका पर सुनवाई की और फैसला सुनाया था कि वे अपने पदों पर बने रह सकते हैं. अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है.

इसके बाद,  दो अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी राज्यपाल की ओर से नोटिस भेजे गए थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने 3 नवंबर को खान द्वारा भेजे गए कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कुलपतियों के लिए समय 7 नवंबर तक बढ़ा दिया था.

नोटिस में कुलपतियों से यह जानने की कोशिश की गई थी कि उन्हें अपने पदों पर बने रहने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुसार अवैध थी.

खान ने अदालत को बताया कि सभी कुलपतियों ने उनके नोटिस का जवाब दिया है.

ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने 21 अक्टूबर को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार, राज्य द्वारा गठित तलाश समिति को कुलपति पद के लिए अभियांत्रिकी विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के बीच से कम से कम तीन उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय उसने केवल एक ही नाम भेजा.

उस आदेश के आधार पर राज्यपाल ने कुलपतियों के इस्तीफे मांगे थे, जिनके नाम केवल नियुक्ति के लिए अनुशंसित थे. इनमें वे कुलपति भी शामिल थे जिन्हें एक समिति द्वारा चुना गया था, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव सदस्य थे.

खान ने इसे यूजीसी के नियमों का उल्लंघन बताया था.

केरल के राज्यपाल के विधिक सलाहकार, कुलाधिपति के स्थायी वकील ने पद छोड़ा

केरल के राज्यपाल के कानूनी सलाहकार और राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की स्थायी वकील ने मंगलवार को अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया.

फरवरी 2009 में राज्यपाल के मानद कानूनी सलाहकार नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता के. जाजू बाबू और कुलाधिपति की स्थायी वकील के रूप में कार्यरत रहीं अधिवक्ता एमयू विजयलक्ष्मी ने अपने-अपने पद छोड़ दिए हैं.

वे दोनों एक ही कानूनी सेवा देने वाली कंपनी – बाबू एंड बाबू- से हैं और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा केरल विश्वविद्यालय सीनेट के साथ ही राज्य में 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर केरल उच्च न्यायालय में चल रहे वाद में राज्यपाल का पक्ष रख रहे थे.

राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में जाजू बाबू ने कहा, ‘आपको ज्ञात कारणों से, मेरे लिए अपना पद छोड़ने का समय आ गया है. पेशेवर और व्यक्तिगत विकास के अवसरों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने अपने कार्यकाल के दौरान भी मुझे मानद कानूनी सलाहकार के रूप में प्रदान की हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं इन वर्षों के दौरान सभी कानूनी मामलों से निपटने में टीम के तौर पर काम करने के लिए केरल राजभवन के प्रधान सचिव और पूरे स्टाफ के प्रति भी अपना गहरा आभार व्यक्त करता हूं.’

विजयलक्ष्मी ने भी राज्यपाल को इसी तरह के शब्दों में अपना पद छोड़ने की सूचना दी थी.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वरिष्ठ अधिवक्ता और बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष एस गोपाकुमारन नायर को राज्यपाल का कानूनी सलाहकार नियुक्त किया गया है.

नायर विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक निकायों के शैक्षणिक निर्णयों में उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के दायरे से संबंधित ‘शैक्षणिक निर्णयों के न्यायिक नियंत्रण’ विषय में कानून में पीएचडी हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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