केंद्र के नए नियम, सरकार के कहने पर टीवी चैनलों को दिखानी होगी ‘राष्ट्रहित वाली सामग्री’

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय टेलीविजन चैनलों को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके तहत केंद्र सरकार ने चैनलों को 'राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता के विषयों' को दिन में कम से कम 30 मिनट प्रसारित करने को कहा है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय टेलीविजन चैनलों को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके तहत केंद्र सरकार ने चैनलों को ‘राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता के विषयों’ को दिन में कम से कम 30 मिनट प्रसारित करने को कहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गुरुवार को जारी किए गए नए दिशानिर्देश सरकार को ऐसी शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे वह सभी भारतीय टेलीविजन चैनलों को समय-समय पर जारी ‘सामान्य सलाह (General Advisory)’ के आधार पर ‘राष्ट्रहित में सामग्री’ प्रसारित करने के लिए मजबूर कर सकती है.

इसके अलावा, दिशानिर्देश चैनलों को ‘राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता के विषयों’ को दिन में कम से कम 30 मिनट प्रसारित करने के लिए भी कहते हैं.

हालांकि, चैनलों को इस दायित्व को पूरा करने के लिए अपने स्वयं की सामग्री बनाने और प्रसारित करने की स्वतंत्रता होगी और नए दिशानिर्देश स्वयं इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, ‘एक दिन में न्यूनतम 30 मिनट की अवधि के लिए सार्वजनिक सेवा प्रसारण कर सकते हैं…’

सरकार ने कहा है कि उसका इरादा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इस प्रोग्रामिंग की निगरानी करने का है.

9 नवंबर को प्रेस एवं सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने ‘भारत में टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश- 2022’ के बारे में एक घोषणा अपलोड की. 34 पृष्ठीय विस्तृत दिशानिर्देश सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए हैं.

मंत्रालय ने कहा कि ये दिशानिर्देश, जो उपग्रह अपलिंक और डाउनलिंक के माध्यम से भारत में सामग्री प्रसारित करने वाले सभी भारतीय चैनलों के संचालन को नियंत्रित करते हैं, पहली बार 2005 में जारी किए गए और 2011 में इनमें संशोधन किया गया था. वर्तमान संशोधन 11 वर्षों बाद हुआ है, जो अंतरिम अवधि में तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए हुआ है.

यह समझा जाता है कि केंद्र सरकार की अनुमति वाले सभी टेलीविजन स्टेशनों को दिशानिर्देशों का पालन करना होगा. विदेशी चैनल, खेलों का लाइव प्रसारण करने वाले चैनल या वाइल्डलाइफ चैनल इस मामले में अपवाद होंगे जिनमें इस तरह की सामग्री प्रसारित करना संभव नहीं है.

राष्ट्रहित के विषयों में दिशानिर्देश में निम्नलिखित का उल्लेख है:

  • शिक्षा और साक्षरता का प्रसार
  • कृषि और ग्रामीण विकास
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • महिला कल्याण
  • समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण
  • पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा
  • राष्ट्रीय एकीकरण

पीटीआई के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि सरकार जनहित सामग्री के तहत प्रसारण के लिए टेलीविजन चैनलों को कोई कार्यक्रम देगी. चैनल दिशानिर्देशों में उल्लिखित विषयों पर अपनी सामग्री बनाने के लिए स्वतंत्र हैं.’

नए दिशानिर्देशों के अन्य पहलू

इस कदम से भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के टेलीविजन चैनलों को सिंगापुर के बजाय भारत से अपलिंक करने की अनुमति मिलने की उम्मीद है. सिंगापुर उपमहाद्वीप में प्रसारित चैनलों के लिए पसंदीदा अपलिंकिंग हब है.

अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीकृत कुल 897 चैनल में से केवल 30 चैनल ही भारत से अपलिंक हैं.

संयुक्त सचिव (प्रसारण) संजीव शंकर ने मीडिया को दी गई एक प्रस्तुति में कहा, ‘कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण के लिए अनुमति लेने की जरूरत को खत्म कर दिया गया है, केवल सीधे प्रसारण वाले कार्यक्रमों का पूर्व पंजीकरण आवश्यक होगा.’

उन्होंने कहा कि स्टैंडर्ड डेफिनिशन (एसडी) से हाई डेफिनिशन (एचडी) या इसके उलट भाषा बदलने या ट्रांसमिशन मोड में बदलाव के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि चैनल को केवल मंत्रालय को किए जाने वाले बदलावों के बारे में सूचित करना होगा.

कोई कंपनी डीएसएनजी (डिजिटल सेटेलाइट न्यूज गैदरिंग) के अलावा अन्य समाचार एकत्र करने वाले उपकरणों जैसे ऑप्टिक फाइबर, बैक पैक, मोबाइल इत्यादि का उपयोग कर सकती है, जिसके लिए अलग से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी.

दिशानिर्देशों के अनुसार एक से अधिक टेलीपोर्ट या उपग्रह की सुविधाओं का उपयोग कर किसी चैनल को अपलिंक किया जा सकता है, हालांकि मौजूदा नियमों के तहत सिर्फ एक ही टेलीपोर्ट या उपग्रह के जरिये चैनल को अपलिंक किया जा सकता है.

दिशानिर्देश एक समाचार एजेंसी को वर्तमान के एक वर्ष के मुकाबले पांच साल की अवधि के लिए अनुमति देते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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