केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण पर एक युवती ने सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है. आरोप है कि युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर नारायण के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ बलात्कार किया था.
पोर्ट ब्लेयर: पुलिस ने अंडमान एवं निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को सामूहिक बलात्कार के एक मामले में बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया.
पीड़िता के वकील फटिक चंद्र दास ने कहा कि नारायण की अग्रिम जमानत याचिका एक स्थानीय अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.
अदालत के फैसले के तुरंत बाद पुलिसकर्मियों की एक टीम एक निजी रिसॉर्ट में पहुंची, जहां जितेंद्र नारायण ठहरे थे और भारी सुरक्षा के बीच उन्हें पुलिस लाइन लाया गया.
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. अंडमान और निकोबार पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले में नारायण से तीन बार पूछताछ कर चुकी है.
एसआईटी का गठन उन आरोपों की जांच के लिए किया गया था कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर तत्कालीन मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ बलात्कार किया.
बीते एक अक्टूबर को एक 21 वर्षीय युवती की शिकायत के आधार पर पोर्ट ब्लेयर के एबरडीन पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर में जितेंद्र नारायण और इस द्वीप समूह के श्रम आयुक्त आरएल ऋषि का नाम लिया गया था. तब से नारायण और ऋषि दोनों को निलंबित कर दिया गया है.
नारायण वर्तमान में दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में तैनात थे.
नारायण के लिए अग्रिम जमानत का अनुरोध करते हुए उनके वकील डीसी कबीर ने कहा कि पूर्व मुख्य सचिव जांच में सहयोग कर रहे हैं और उन्हें राहत दी जानी चाहिए.
28 अक्टूबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि एसआईटी को सबूत मिले हैं और उसने मुख्य गवाहों के बयान दर्ज किए हैं, जो एक कथित नौकरी के बदले सेक्स रैकेट चलाए जाने की ओर इशारा करते हैं.
इसके तहत 20 से अधिक महिलाओं को कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर में नारायण के सालभर के कार्यकाल के दौरान उनके आवास पर ले जाया गया था. आरोप है कि उनमें से कुछ को यौन शोषण के एवज में नौकरी मिल गई.
यह कहते हुए कि आरोप ‘गंभीर और जघन्य प्रकृति’ के हैं, जिला और सत्र न्यायाधीश सुभाष कुमार कर ने बीते बृहस्पतिवार को कहा, ‘उचित और निष्पक्ष जांच के हित के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता है.’
पीड़िता के वकील फटिक चंद्र दास के अनुसार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने हैरानी जताई कि उन्हें राहत किस आधार पर मिलनी चाहिए, क्योंकि मामले के दो अन्य आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी.
न्यायाधीश, श्रम आयुक्त आरएल ऋषि और व्यवसायी संदीप सिंह उर्फ रिंकू का जिक्र कर रहे थे. ऋषि पर भी युवती से बलात्कार का आरोप लगाया गया था, जबकि सिंह के नाम का उल्लेख एफआईआर में अपराध में सहयोगी के रूप में किया गया है.
न्यायाधीश ने कहा, चूंकि नारायण काफी समय तक अंडमान के मुख्य सचिव रहे और उनकी शक्ति और हैसियत की तुलना सामान्य स्तर के व्यक्ति के साथ नहीं की जा सकती.
आदेश में कहा गया, ‘उचित और निष्पक्ष जांच के लिए वर्तमान याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता है.’
इंडिनय एक्सप्रेस के मुताबिक, दो घंटे से अधिक की लंबी सुनवाई के दौरान केंद्रशासित प्रशासन की ओर से पेश हुए लोक अभियोजक और युवती का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने नारायण के बारे में महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ और प्रमुख गवाहों को प्रभावित करने की आशंका व्यक्त की.
युवती के वकील पीसी दास ने पोर्ट ब्लेयर से इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘न्यायाधीश ने केस डायरी और गवाहों की गवाही के माध्यम से आश्वस्त हुए कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है.’
अदालत ने अपने आदेश में, राज्य की इस दलील पर गौर किया कि हालांकि नारायण एसआईटी के सामने पेश हुए थे, लेकिन वह किसी भी तरह से जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे, जिससे उनकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक हो गई है.
इसने यह भी नोट किया कि मामले के अन्य दो आरोपी होटल मालिक ऋषि और रिंकू एफआईआर दर्ज करने के समय से ही फरार थे और उनकी जमानत याचिका को पोर्ट ब्लेयर की अदालत ने खारिज कर दिया था. अंडमान और निकोबार पुलिस ने दोनों की जानकारी देने के लिए 1-1 लाख रुपये की इनाम की घोषणा की है.
युवती ने दावा किया है कि वह नौकरी की तलाश में थीं. एक होटल मालिक के माध्यम से उन्हें आरएल ऋषि (श्रम आयुक्त) से मिलवाया गया, जो कथित तौर पर उन्हें नारायण के घर ले गया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सात नवंबर को नारायण से अग्रिम जमानत के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में न्यायिक अदालत से संपर्क करने के लिए कहा गया था. उसके बाद उन्होंने निचली अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था.
पूर्व मुख्य सचिव ने सामूहिक बलात्कार मामले में गिरफ्तारी को साजिश बताया
इस मामले में गिरफ्तारी के बाद मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण ने दावा किया कि वह एक साजिश का शिकार हुए हैं. गिरफ्तारी के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था.
अस्पताल से करीब डेढ़ घंटे के बाद बाहर आने पर नारायण ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं आप लोगों से बात करूंगा, आपको पता है कि यह एक झूठ है और मेरे खिलाफ साजिश है. मैं इस बारे में सब कुछ बताऊंगा.’
युवती के आरोप के अनुसार, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पूर्व मुख्य सचिव (जितेंद्र नारायण) सहित दो अधिकारियों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था. युवती के आरोप के अनुसार उसके साथ बलात्कार पूर्व मुख्य सचिव के सरकारी आवास पर किया गया था.
युवती ने आरोप लगाया था कि बलात्कार में शामिल अन्य अधिकारी श्रम आयुक्त आरएल ऋषि थे और वे दो मौकों पर कथित अपराध में शामिल थे.
युवती ने 21 अगस्त को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने दो बार अप्रैल और मई में अपने साथ हुए कथित यौन हमले का विस्तृत विवरण दिया था और सबूत के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखे जाने का अनुरोध किया था.
उन्होंने अधिकारी के आवास पर मौजूद कर्मचारियों की शिनाख्त परेड (टीआईपी) कराने का भी अनुरोध किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)