केरल कैबिनेट ने नौ नवंबर को राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति सहित विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के साथ वाम सरकार की खींचतान के बीच अध्यादेश लाने का फैसला किया था. अध्यादेश का उद्देश्य प्रख्यात शिक्षाविदों को राज्यपाल के स्थान पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करना है.
तिरुवनंतपुरम/नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि अगर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत सरकार कोई अध्यादेश उन्हें निशाना बनाने के लिए राजभवन भेजती है, तो वह इस पर कोई निर्णय नहीं लेंगे और इसे राष्ट्रपति के पास भेज देंगे.
दरअसल केरल की माकपा नेतृत्व वाली पिनराई विजयन सरकार ने राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से राज्यपाल को हटाने के लिए अपना अध्यादेश राजभवन को भेजा है.
खान ने शनिवार (12 नवंबर) शाम नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अभी अध्यादेश नहीं देखा है और उसे पढ़ा नहीं है. अध्यादेश पढ़ने के बाद ही वह इस संबंध में कोई फैसला करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘अगर निशाना मैं हूं तो मैं अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं बनूंगा. मैं इसकी घोषणा अभी नहीं करूंगा. मैं इसे देखूंगा और यदि मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि इसका उद्देश्य मुझे निशाना बनाना है, तो मैं इस पर निर्णय नहीं लूंगा. मैं आगे (राष्ट्रपति को) भेज दूंगा.’
इस बीच, स्थानीय स्वशासन और आबकारी राज्य मंत्री एमबी राजेश ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि राज्यपाल संविधान के अनुसार कार्य करेंगे.
राजेश ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा कि राज्य सरकार संविधान के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग कर इस अध्यादेश को लाई और फिर इसे राज्यपाल को भेजा.
उन्होंने कहा, ‘यह कानूनी, संवैधानिक और नियमों के अनुसार है. अब हम केवल यह उम्मीद कर सकते हैं कि हर कोई संविधान के अनुसार कार्य करे.’
राजभवन के एक सूत्र ने बताया कि खान शनिवार शाम दिल्ली पहुंचे और दिन की शुरुआत में केरल में वामपंथी सरकार ने राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से राज्यपाल को हटाने के लिए अपना अध्यादेश राजभवन को भेजा था.
केरल कैबिनेट ने नौ नवंबर को राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति सहित विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर खान के साथ वाम सरकार की जारी खींचतान के बीच अध्यादेश लाने का फैसला किया था.
अध्यादेश का उद्देश्य प्रख्यात शिक्षाविदों को राज्यपाल के स्थान पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करना है.
पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले का कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ने विरोध किया है, क्योंकि दोनों दलों ने आरोप लगाया है कि इस कदम का उद्देश्य केरल में विश्वविद्यालयों को ‘कम्युनिस्ट केंद्रों’ में बदलना है.
मालूम हो कि बीते कुछ समय से राज्य के विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण को लेकर राज्यपाल की राज्य की वाम मोर्चा सरकार के साथ चल रही खींचतान चल रही है.
खान, जो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के वास्तविक कुलाधिपति हैं, ने बीते 23 अक्टूबर को नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) को अपना इस्तीफा देने के लिए कहा था.
हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने बीते 24 अक्टूबर को नौ कुलपतियों में से आठ की याचिका पर सुनवाई की और फैसला सुनाया था कि वे अपने पदों पर बने रह सकते हैं. अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है.
इसके बाद, दो अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी राज्यपाल की ओर से नोटिस भेजे गए हैं.
बीते नौ नवंबर को केरल हाईकोर्ट ने राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान को अदालत में मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों (वीसी) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)