सुप्रीम कोर्ट ने आनंद तेलतुंबड़े की ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए की अपील ख़ारिज की

एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट से सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने एनआईए से कहा कि वे हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

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आनंद तेलतुंबड़े. (फाइल फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट से सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने एनआईए से कहा कि वे हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

आनंद तेलतुंबड़े. (फाइल फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद मामले में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को मिली जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी.

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वह तेलतुंबड़े को जमानत देने से संबंधित बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी.

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘याचिका खारिज की जाती है. हालांकि उच्च न्यायालय के आक्षेपित आदेश में की गई टिप्पणियों को सुनवाई के दौरान अंतिम निष्कर्ष के तौर पर नहीं लिया जाएगा.’

उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लेते हुए 18 नवंबर को तेलतुंबड़े की जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी कि प्रथमदृष्टया तेलतुंबड़े के खिलाफ एकमात्र मामला एक आतंकवादी समूह के साथ कथित संबंध और उसे दिए गए समर्थन से संबंधित है, जिसके लिए अधिकतम सजा 10 साल कैद है.

अदालत ने यह भी कहा था कि इस बात का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है कि वह (तेलतुंबड़े) प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे या किसी आतंकवादी गतिविधि में शामिल थे.

उच्च न्यायालय ने, हालांकि, एक सप्ताह के लिए अपने जमानत आदेश पर रोक लगा दी थी, ताकि मामले की जांच कर रही एजेंसी एनआईए शीर्ष अदालत का रुख कर सके.

शीर्ष अदालत 22 नवंबर को एनआईए की अपील पर शुक्रवार सुनवाई करने पर सहमत हो गई थी. इसने तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया था कि हाईकोर्ट के जमानत आदेश के अमल पर रोक केवल एक सप्ताह के लिए है और मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है.

उच्च न्यायालय ने जमानत देते हुए कहा था कि तेलतुंबड़े पहले ही दो साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं.

एनआईए द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह नहीं माना जा सकता है कि तेलतुंबड़े भाकपा (माओवादी) के काम में सक्रिय रूप से शामिल हैं या समूह के सक्रिय सदस्य हैं.

गौरतलब है कि अप्रैल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर तेलतुंबड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद एनआईए ने उन्हें 14 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था. वे तबसे नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं.

निचली अदालत ने अभी तक इस मामले में आरोप तय नहीं किए हैं. आरोप तय होने के बाद ही मामले की सुनवाई हो पाएगी.

तेलतुंबड़े इस मामले में जमानत पाने वाले तीसरे आरोपी हैं. इससे पहले मामले के 16 आरोपियों में से केवल दो वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और तेलुगू कवि वरवरा राव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. 13 अन्य अभी भी महाराष्ट्र की जेलों में बंद हैं.

वहीं, आरोपियों में शामिल फादर स्टेन स्वामी की पांच जुलाई 2021 को अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर जमानत का इंतजार कर रहे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)