दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने दो गिरफ़्तार व्यापारियों तथा पांच अन्य आरोपियों के ख़िलाफ़ अदालत में पहला आरोप-पत्र दाख़िल किया है. बीते 17 अगस्त को इस संबंध में दर्ज की गई एफ़आईआर में आबकारी विभाग के प्रभारी और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम था, लेकिन आरोप-पत्र में उनका नाम शामिल नहीं है.
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार व्यापारियों – विजय नायर और अभिषेक बोनिपल्ली – तथा पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को अदालत में अपना पहला आरोप-पत्र दाखिल किया.
सीबीआई की एफआईआर में दिल्ली के आबकारी विभाग के प्रमुख और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम लिया गया था, लेकिन उनका नाम आरोप-पत्र में शामिल नहीं हैं. एजेंसी द्वारा जांच संभालने के 60 दिन के अंदर आरोप-पत्र दायर किया गया है.
हालांकि एजेंसी ने सिसोदिया समेत एफआईआर में दर्ज अन्य लोगों के विरूद्ध जांच खुली रखी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि आरोप-पत्र में नायर और बोनिपल्ली के अलावा जिनके नाम हैं, उनमें इंडिया अएहेड न्यूज के प्रबंध निदेशक मूथा गौतम, हैदराबाद निवासी शराब कारोबारी एवं रॉबिन डिस्टिलियरीज एलएलपी में बोनिपल्ली के साझेदार अरुण आर पिल्लई, इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू और आबकारी विभाग के उपायुक्त कुलदीप सिंह तथा सहायक आयुक्त नरेंद्र सिंह शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि नायर एवं बोनिपल्ली को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन हाल में एक विशेष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी. हालांकि वे प्रवर्तन निदेशालय के मामले में अब भी हिरासत में हैं.
उन्होंने बताया कि सात आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम में रिश्वतखोरी के प्रावधान के आरोपित किया गया है.
सीबीआई प्रवक्ता ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘लाइसेंसधारियों के साथ साजिश, पैसे के लेन-देन, व्यवसायिक समूह बनाने तथा राष्ट्रीय राजधानी में विवादास्पद आबकारी नीति के निर्माण एवं उसके क्रियान्वयन में व्यापक साजिश जैसे विभिन्न आरोपों संबंध में एफआईआर में नामजद आरोपियों एवं अन्य की भूमिका की जांच जारी है.’
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी सरकारी गवाह बने सिसोदिया के एक कथित ‘करीबी’ दिनेश अरोड़ा की मदद से सारे गड़बड़झाले का पर्दाफाश करने में कामयाब रही. अरोड़ा ने मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया और उसे विशेष अदालत ने जांच में सहयोग करने को लेकर क्षमादान दिया था.
सीबीआई ने इस साल अगस्त में 15 लोगों के विरूद्ध मामला दर्ज करने के बाद कई स्थानों की तलाशी की थी.
अधिकारियों के अनुसार, आरोप है कि शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति कुछ डीलरों के पक्ष में प्रभावित थी और बदले में उन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी. दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है.
प्रवक्ता ने कहा, ‘यह आरोप भी है कि आबकारी नीति में बदलाव, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने, लाइसेंस शुल्क में माफी/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस देने समेत कई अनियमितताएं की गईं. साथ ही, यह आरोप भी है कि इन कृत्यों के एवज में निजी पक्षों ने अपने खाता-बही में झूठी प्रविष्टियां कर संबंधित जनसेवकों को अवैध लाभ पहुंचाया.’
सीबीआई ने 17 अगस्त को दर्ज की गई एफआईआर में आबकारी विभाग के प्रभारी मनीष सिसोदिया के अलावा, तत्कालीन आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्णा, तत्कालीन उप-आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी, सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर, नौ व्यापारियों एवं दो कंपनियों को भी बतौर आरोपी नामजद किया है.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि सिसोदिया और अन्य आरोपी लोक सेवकों ने ‘निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से’ सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना उत्पाद नीति 2021-22 से संबंधित सिफारिश की और निर्णय लिया.
सीबीआई ने कहा था कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि गुड़गांव में ‘बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे.’
आरोप था कि दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के समीर महेंद्रू से एक करोड़ रुपये मिले थे.
आबकारी घोटाला मामला फर्जी, सिसोदिया को फंसाने की कोशिश : केजरीवाल
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को आबकारी नीति घोटाला मामले को ‘फर्जी’ करार दिया और आरोप लगाया कि इसमें उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को फंसाने का प्रयास किया गया, जबकि सीबीआई को अपनी जांच में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं मिला.
केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘सीबीआई के आरोप-पत्र में मनीष का नाम नहीं. पूरा मामला फर्जी. छापे में कुछ नहीं मिला. 800 अफसरों को चार महीने की जांच में कुछ नहीं मिला. मनीष ने शिक्षा क्रांति से देश के करोड़ों गरीब बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद दी. मुझे दुख है ऐसे शख्स को झूठे केस में फंसाकर बदनाम करने की साजिश रची गई.’
CBI चार्जशीट में मनीष का नाम नहीं
पूरा केस फ़र्ज़ी।रेड में कुछ नहीं मिला।800 अफ़सरों को 4 महीने जाँच में कुछ नहीं मिला
मनीष ने शिक्षा क्रांति से देश के करोड़ों गरीब बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद दी।मुझे दुःख है ऐसे शख़्स को झूठे केस में फँसा बदनाम करने की साज़िश रची गयी
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 25, 2022
मालूम हो कि सीबीआई ने 19 अगस्त 2022 को दिल्ली, गुड़गांव, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और बेंगलुरु सहित 31 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिससे अब तक आपत्तिजनक दस्तावेज, विभिन्न कागजात, डिजिटल रिकॉर्ड आदि बरामद किए थे.
बीते जुलाई महीने में दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी. उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया था.
उन्होंने बताया था कि दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई 2022 में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथमदृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी.
एलजी के अनुसार, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर शराब नीति में कुछ बदलाव किए और कैबिनेट को सूचित किए बिना या एलजी की मंजूरी लिए बिना लाइसेंसधारियों को अपनी ओर से अनुचित लाभ दिया था.
मालूम हो कि नई आबकारी नीति 2021-22, 17 नवंबर 2021 से लागू की गई थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए. कई शराब की दुकानें खुल नहीं पाईं. ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए गए थे.
तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई थी.
आरोप था कि मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बहाने निविदा लाइसेंस शुल्क पर शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट की अनुमति दी है. यह भी आरोप लगाया गया था कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया होगा.
बहरहाल उपराज्यपाल द्वारा आबकारी नीति में अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 30 जुलाई 2022 को जानकारी दी थी कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को फिलहाल वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिये शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)