मेघालय ने असम सीमा पर गोलीबारी की घटना में मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप की मांग की

असम ने लोगों के मेघालय जाने पर ‘पाबंदी’ जारी रखी. मेघालय ने सात प्रभावित ज़िलों में इंटरनेट पर रोक शनिवार को 48 घंटे के लिए बढ़ा दी. कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को 22 नवंबर को तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी. 

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Jaintia Hills: Meghalaya CM Conrad Sangma visit family members of victims killed in the Mukroh firing incident along the Assam-Meghalaya border, in Jaintia Hills district, Wednesday, Nov. 23, 2022. (PTI Photo)(PTI11_23_2022_000253B)

असम ने लोगों के मेघालय जाने पर ‘पाबंदी’ जारी रखी. मेघालय ने सात प्रभावित ज़िलों में इंटरनेट पर रोक शनिवार को 48 घंटे के लिए बढ़ा दी. कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को 22 नवंबर को तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी.

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने 23 नवंबर, 2022 को जयंतिया हिल्स जिले में असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में हुई गोलीबारी की घटना में मारे गए पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की. (फोटो: पीटीआई)

शिलॉन्ग/गुवाहाटी: मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने अंतरराज्यीय सीमा पर असम के अधिकारियों की गोलीबारी में लोगों की मौत को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

कोनराड संगमा उन्होंने इस घटना को मानवाधिकारों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन करार दिया है.

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान के मुताबिक, संगमा और उप-मुख्यमंत्री प्रेस्टन टाइनसॉन्ग ने नई दिल्ली में एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा और इसके अन्य सदस्यों से मुलाकात की.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एनएचआरसी के माननीय अध्यक्ष और सदस्यों को सूचित किया कि गोलीबारी की घटना मानवाधिकारों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है. उनकी ओर से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए उनका समर्थन मांगा.’

संगमा ने संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों के उचित संवेदीकरण की आवश्यकता पर बल दिया ताकि ऐसी घटनाएं न हों.

कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को 22 नवंबर को तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी. इनमें मेघालय के पांच नागरिक और असम वन सुरक्षा बल के कर्मचारी बिद्यासिंह लख्ते शामिल हैं.

घटना के बाद असम ने शनिवार को लगातार पांचवें दिन लोगों और निजी वाहनों के मेघालय जाने पर पाबंदी जारी रखी. इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने यह जानकारी दी.

दूसरी तरफ मेघालय ने प्रदेश के सात प्रभावित जिलों में इंटरनेट सेवा पर रोक शनिवार सुबह 10:30 बजे से अगले 48 घंटे के लिए बढ़ा दी.

मेघालय के प्रभावित जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति हालांकि धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, शिलॉन्ग में दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुल रहे हैं और सड़कों पर यातायात दिखाई दे रहा है.

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि मेघालय की राजधानी में कोई बड़ी घटना नहीं हुई. पश्चिमी जयंतिया हिल्स जिले में सिर्फ कुछ उपद्रवियों ने सड़क पर टायर जलाए. सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच हालांकि विवादित क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रही.

असम पुलिस ने राज्य के लोगों को कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए मेघालय की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है.

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम असम के लोगों से फिलहाल मेघालय की यात्रा नहीं करने को कह रहे हैं. लेकिन अगर किसी को आपात स्थिति के कारण पड़ोसी राज्य जाना पड़ता है, तो हम उसे मेघालय पंजीकृत वाहन में जाने के लिए कह रहे हैं.’

गुवाहाटी के जोराबाट इलाके और कछार जिले में मंगलवार (22 नवंबर) से बैरिकेड लगाए गए हैं, जो पहाड़ी राज्य के दो मुख्य प्रवेश बिंदु हैं. वाणिज्यिक वाहन हालांकि बिना किसी प्रतिबंध के चलते रहे.

असम पेट्रोलियम मजदूर संघ द्वारा टैंकरों और चालक दल पर हमले के डर से असम से ईंधन का परिवहन बृहस्पतिवार (24 नवंबर) को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन मेघालय सरकार द्वारा सुरक्षा के आश्वासन के बाद शुक्रवार (25 नवंबर) को इसे फिर से शुरू किया गया.

दूसरी ओर, मेघालय सरकार ने पश्चिम और पूर्वी जयंतिया हिल्स, ईस्ट खासी हिल्स, री-भोई, ईस्टर्न वेस्ट खासी हिल्स, वेस्ट खासी हिल्स और साउथ वेस्ट खासी हिल्स में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक अगले 48 घंटे यानी सोमवार सुबह 10:30 बजे तक के लिए बढ़ा दी. गृह विभाग के प्रधान सचिव शकील अहमद की ओर से सोमवार को जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई.

सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप का दुरुपयोग किया जा सकता है जिससे कानून व्यवस्था चरमरा सकती है.

उल्लेखनीय है कि असम और मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी अंतर-राज्यीय सीमा के 12 इलाकों में लंबे समय से विवाद चल रहा है. दोनों पूर्वोत्तर राज्यों ने इनमें से छह इलाकों में विवाद को खत्म करते हुए नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मार्च में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.

दोनों ने बाकी के छह इलाकों में विवाद को हल करने के लिए बातचीत भी शुरू की है. मेघालय को असम से अलग कर 1972 में स्थापित किया और उसने असम पुनर्गठन कानून 1971 को चुनौती दी थी, जिससे विवाद पैदा हुआ.

मेघालय एकमात्र राज्य नहीं है, जिसके साथ असम का सीमा विवाद है. पिछले साल असम-मिजोरम सीमा पर तनाव में भारी वृद्धि देखी गई, जो हिंसा में तब्दील हो गई. इस दौरान असम के पांच पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी और राज्य के कम से कम 42 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.

इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बीते 23 नवंबर को दिल्ली में कहा था कि उनके मंत्रिमंडल ने दोनों राज्यों की सीमा पर हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा था, ‘मुझे महसूस होता है कि उस हद तक पुलिस को गोलियां चलाने की कोई जरूरत नहीं थी. कुछ हद तक गोलीबारी अकारण थी एवं पुलिस और नियंत्रित तरीके से काम कर सकती थी.’

उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रूमी फूकन को घटना के लिए जिम्मेदार रहीं परिस्थितियों की न्यायिक जांच का अनुरोध करने का भी फैसला किया है. न्यायिक जांच 60 दिन के अंदर पूरी कर ली जाएगी.

इस बीच मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की. शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सीमा पर हुई हिंसा की सीबीआई से जांच कराई जाएगी.

प्रभावशाली खासी स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) और फेडरेशन ऑफ खासी जैंतियां एंड गारो पीपुल समेत मेघालय के कई सामाजिक एवं छात्र संगठनों ने इस घटना के बाद ‘असहयोग आंदोलन’ का ऐलान किया है

बृहस्पतिवार को शिलॉन्ग में प्रदर्शन एवं ‘कैंडल लाइट मार्च’ निकाले जाने के कुछ ही देर बाद शहर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी. पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे, क्योंकि अज्ञात बदमाशों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव करने के अलावा पुलिस बस एवं जीप पर पेट्रोल बम फेंके थे और इस हिंसा में चार लोग घायल हुए थे.

इस दौरान मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग के खाइंडैलाड, लिवदुह और कुछ अन्य हिस्सों में बृहस्पतिवार को गैर जनजातियों ने हिंसा के डर से अपनी दुकानें एवं अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)