असम-मेघालय सीमा पर हिंसा: शिलॉन्ग में गृह मंत्री शाह और मुख्यमंत्री के पुतले फूंके

बीते 22 नवंबर को असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत की घटना के बाद से रविवार को लगातार छठे दिन यात्रा पाबंदी होने के साथ ही दोनों राज्यों की सीमा पर विवादित इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात है और निषेधाज्ञा आदेश अब भी लागू है.

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असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में असम वन विभाग के एक कार्यालय पर पहरा देते सुरक्षाकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

बीते 22 नवंबर को असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत की घटना के बाद से रविवार को लगातार छठे दिन यात्रा पाबंदी होने के साथ ही दोनों राज्यों की सीमा पर विवादित इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात है और निषेधाज्ञा आदेश अब भी लागू है.

असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में असम वन विभाग के एक कार्यालय पर पहरा देते सुरक्षाकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

शिलॉन्ग/गुवाहाटी: मेघालय-असम सीमा पर स्थित मुकरोह गांव में बीते दिनों हुई हिंसा में छह लोगों की मौत के विरोध में मेघालय में विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा समेत अन्य के पुतले फूंके.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारी राजधानी शिलॉन्ग के पोलो हिल्स पहुंचे और यहां मुख्यमंत्री आवास के बाहर पुतले जलाने की कोशिश की.

उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों द्वारा धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने पर ‘हाइनीवट्रेप यूथ काउंसिल’ व अन्य सामाजिक संगठनों के सदस्य मुख्यमंत्री आवास के सामने पुलिसकर्मियों से भिड़ गए.

अधिकारी ने कहा कि हालांकि, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को निकट के स्थान पर विरोध-प्रदर्शन करने की अनुमति दी.

गौरतलब है कि बीते 22 नवंबर को कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी. इनमें मेघालय के पांच नागरिक और असम वन सुरक्षा बल के कर्मचारी बिद्यासिंह लख्ते शामिल हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बीते 23 नवंबर को दिल्ली में कहा था कि उनके मंत्रिमंडल ने दोनों राज्यों की सीमा पर हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा था, ‘मुझे महसूस होता है कि उस हद तक पुलिस को गोलियां चलाने की कोई जरूरत नहीं थी. कुछ हद तक गोलीबारी अकारण थी एवं पुलिस और नियंत्रित तरीके से काम कर सकती थी.’

उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रूमी फूकन को घटना के लिए जिम्मेदार रहीं परिस्थितियों की न्यायिक जांच का अनुरोध करने का भी फैसला किया है. न्यायिक जांच 60 दिन के अंदर पूरी कर ली जाएगी.

इस बीच मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने 24 नवंबर को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की. शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सीमा पर हुई हिंसा की सीबीआई से जांच कराई जाएगी.

उल्लेखनीय है कि असम और मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी अंतर-राज्यीय सीमा के 12 इलाकों में लंबे समय से विवाद चल रहा है. दोनों पूर्वोत्तर राज्यों ने इनमें से छह इलाकों में विवाद को खत्म करते हुए नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मार्च 2022 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.

दोनों राज्यों ने बाकी के छह इलाकों में विवाद को हल करने के लिए बातचीत भी शुरू की है. मेघालय को असम से अलग कर 1972 में स्थापित किया गया और उसने असम पुनर्गठन कानून 1971 को चुनौती दी थी, जिससे विवाद पैदा हुआ.

मेघालय एकमात्र राज्य नहीं है, जिसके साथ असम का सीमा विवाद है. पिछले साल असम-मिजोरम सीमा पर तनाव के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इस दौरान असम के पांच पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी और राज्य के कम से कम 42 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.

असम-मेघालय सीमा पर विवादित स्थल पर भारी सुरक्षा बल तैनात, निषेधाज्ञा जारी

असम और मेघालय के बीच रविवार को लगातार छठे दिन यात्रा पाबंदी होने के साथ ही दोनों राज्यों की सीमा पर विवादित इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात है और निषेधाज्ञा आदेश अब भी लागू है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

इस बीच, असम पुलिस ने एक परामर्श जारी कर लोगों से 22 नवंबर को हुई घटना के बाद पड़ोसी राज्य की यात्रा करने से बचने की सलाह दी है.

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘मेघालय में अब भी स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण नहीं है. असम के लोगों या वाहनों पर हमले हो सकते हैं, इसलिए हम लोगों से राज्य की यात्रा न करने के लिए कह रहे हैं. अगर किसी को जाना ही है तो हम उनसे मेघालय के पंजीकरण वाले वाहनों से जाने के लिए कहते हैं.’

अधिकारियों ने बताया कि असम से मेघालय में प्रवेश करने के दो अहम बिन्दुओं- गुवाहाटी में जोराबाट और कछार जिले में पुलिस के अवरोधक अब भी लगे हुए हैं. बहरहाल, सामान लेकर जा रहे ट्रक जैसे व्यावसायिक वाहनों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है.

हिंसा वाले स्थान और आसपास के इलाकों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत पाबंदियां लगाई गई हैं.

एनएचआरसी ने मेघालय और असम से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी

इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुकरोह गोलीबारी की घटना पर असम और मेघालय की राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और दोनों राज्यों के अधिकारियों से चार सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

द शिलॉन्ग टाइम्स के मुताबिक, इस संबंध में टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी. आयोग ने अपनी रजिस्ट्री को शिकायत की प्रति संबंधित प्राधिकरण को भेजने और चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई की गई रिपोर्ट की मांग करने का निर्देश दिया है.

बीते 25 नवंबर को मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने नई दिल्ली में आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा से मुलाकात कर उन्हें घटना से अवगत कराया था. बैठक के दौरान उन्होंने मुकरोह में हुई गोलीबारी की घटना के बारे में विस्तृत जानकारी दी थी.

मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘एनएचआरसी के माननीय अध्यक्ष और सदस्यों को सूचित किया कि गोलीबारी की घटना मानवाधिकारों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है.’ उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए आयोग से समर्थन मांगा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)