अडाणी बंदरगाह विरोध: प्रदर्शनकारियों ने थाने पर हमला किया, 3,000 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज

केरल के विझिंजम इलाके में अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना का पिछले कुछ समय से मछुआरे विरोध कर रहे हैं. पुलिस के अनुसार, रविवार को प्रदर्शनकारियों ने थाने पर हमला कर दिया, जिसमें 36 पुलिसकर्मियों के अलावा 20 अन्य लोगों के भी घायल होने की सूचना है. शनिवार को हिंदू संगठनों के तत्वावधान में परियोजना के पक्ष में कुछ स्थानीय लोगों और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई थी.

केरल के विझिंजम में अडानी बंदरगाह के निर्माण स्थल पर तैनात पुलिस. (फोटो: रॉयटर्स)

केरल के विझिंजम इलाके में अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना का पिछले कुछ समय से मछुआरे विरोध कर रहे हैं. पुलिस के अनुसार, रविवार को प्रदर्शनकारियों ने थाने पर हमला कर दिया, जिसमें 36 पुलिसकर्मियों के अलावा 20 अन्य लोगों के भी घायल होने की सूचना है. शनिवार को हिंदू संगठनों के तत्वावधान में परियोजना के पक्ष में कुछ स्थानीय लोगों और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई थी.

केरल के विझिंजम में अडाणी बंदरगाह निर्माण स्थल पर तैनात पुलिस. (फोटो: रॉयटर्स)

तिरुवनंतपुरम: केरल में तिरुवनंतपुरम के विझिंजम इलाके में रविवार रात को अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पों के संबंध में सोमवार को 3,000 से अधिक अज्ञात लोगों पर मामले दर्ज किए गए हैं.

पुलिस ने बताया कि एक पुलिस थाने में तोड़फोड़ करने तथा पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए 3,000 ऐसे लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जिनकी पहचान की जा सकती है. हिंसा में 36 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इसके अलावा 20 प्रदर्शनकारियों के भी घायल होने की सूचना है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर में कहा गया है कि 3,000 लोगों ने थाने का घेराव किया. पुलिस अधिकारियों को कई घंटों तक बंधक बनाकर रखा. फर्नीचर में तोड़फोड़ की और थाना परिसर में खड़े कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.

इसके अनुसार, प्रदर्शनकारी शनिवार (26 नवंबर) की हिंसा को लेकर हिरासत में लिए गए पांच लोगों (मछुआरों) को रिहा कराना चाहते थे और रिहा न करने पर पुलिसकर्मियों को जिंदा जला देने की धमकी दी थी. एफआईआर में कहा गया है कि हमले से पुलिस विभाग को 85 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.

अडाणी समूह द्वारा विझिंजम में बंदरगाह पर काम फिर से शुरू करने के खिलाफ मछुआरों के विरोध प्रदर्शन के दौरान शनिवार को हुई हिंसा के संबंध में रविवार को पुलिस ने तिरुवनंतपुरम के आर्कबिशप थॉमस नेट्टो, सहायक बिशप आर. क्रिस्तुदास और लातिन कैथोलिक गिरजाघर के कम से कम 15 पादरियों के खिलाफ केस दर्ज किया था.

पादरियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आपराधिक साजिश (धारा 120बी), दंगा (धारा 147), आपराधिक अत्याचार (धारा 447) और आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए लोक सेवकों पर हमला करना (धारा 353) शामिल है.

एफआईआर में आर्चबिशप को पहला आरोपी बनाया गया था. हालांकि पुलिस ने रविवार को थाने पर हुए हमले के संबंध में दर्ज एफआईआर में किसी का नाम नहीं लिया है.

इस बीच तिरुवनंतपुरम में जिला प्रशासन ने रविवार रात को बंदरगाह परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे लातिन गिरजाघर के प्राधिकारियों के साथ एक बैठक की.

प्रदर्शनकारियों की ओर से सुलह बैठक में शामिल हुए फादर यूजीन पेरेरा ने मीडिया से कहा कि जनता को कोई नुकसान पहुंचाए बिना प्रदर्शनकारी हट जाएंगे.

उन्होंने रविवार रात को कहा, ‘आज की बातचीत अब खत्म हो गई है. आसपास के इलाकों में एकत्रित हुए लोग जनता को कोई नुकसान पहुंचाए बिना चले जाएंगे. सुबह फिर बातचीत होगी. हमारी अधिकारियों के साथ कई बैठकें होंगी.’

परेरा ने कहा कि हिंसा के संबंध में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों के तथ्यों की पुष्टि की जाएगी और गिरजाघर के प्रतिनिधि, जिलाधीश द्वारा बुलाई गई सोमवार की बैठक में शामिल होंगे.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने पांच स्थानीय लोगों को हिरासत में लेने की वजह बताए बिना उन्हें पकड़ लिया था, जिसने स्थानीय लोगों को उकसा दिया.

परेरा कहा था, ‘कई लोग घायल हुए और उन्हें शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. हमें अब भी नहीं मालूम कि कितने लोग घायल हैं. कुछ लोग लापता बताए जा रहे हैं, इसलिए कल (सोमवार) की बैठक में हम सभी मुद्दों को शामिल करेंगे.’

विझिंजम में सोमवार सुबह शांति रही और स्थिति को काबू में रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एमआर अजित कुमार ने मीडिया को बताया कि भीड़ ने रविवार शाम को पुलिस थाने में तोड़फोड की और पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिसमें करीब 36 पुलिसकर्मियों को चोटें आने के बाद विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

कुमार ने मीडिया को बताया, ‘रविवार शाम को पुलिस थाने में भीड़ एकत्रित हो गई और एक अन्य मामले में गिरफ्तार कुछ लोगों को रिहा करने की मांग की. उन्होंने पुलिस थाने में तोड़फोड़ की और अधिकारियों पर हमला किया. एक सब-इंस्पेक्टर के पैर की हड्डी टूट गई है. ऐसा लगता है कि उन्हें ईंट मारी गई.’

कुछ पुलिस अधिकारियों को सिर में गंभीर चोटें आई हैं.

कुमार ने कहा कि पुलिस की ओर से उकसावे वाली कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया, जब पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.

कुमार ने बताया कि क्षेत्र में करीब 600 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है तथा लगभग 300 और पुलिसकर्मियों को भेजा गया है.

उन्होंने कहा कि (शनिवार को) हिरासत में लिए गए पांच मछुआरों में से चार को थाने से जमानत पर रिहा कर दिया गया, जबकि एक अन्य व्यक्ति को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

प्रदर्शनकारियों ने रविवार रात को घटनास्थल पर मौजूदा मीडियाकर्मियों पर भी हमला किया था. प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय चैनल ‘एसीवी’ के कैमरापर्सन शेरिफ एम. जॉन पर हमला किया, उनका कैमरा क्षतिग्रस्त कर दिया था तथा उनका मोबाइल फोन छीन लिया था. उन्हें तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.

इसी बीच, केरल के बंदरगाह विकास मंत्री अहमद देवरकोविल ने रविवार को कहा, ‘यह मामला सोमवार को हाईकोर्ट के सामने आ रहा है. सरकार आगे की कार्रवाई तय करने से पहले हाईकोर्ट के फैसले पर भी विचार करेगी. आंदोलनकारियों ने हाईकोर्ट में आश्वासन दिया था कि वे निर्माण में बाधा नहीं डालेंगे. अब, अदालत को दिए गए उस आश्वासन का उल्लंघन किया गया है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मछुआरे पिछले चार महीनों से 7,500 करोड़ रुपये की अडाणी समूह की इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि इसके निर्माण से बड़े पैमाने पर समुद्री कटाव हुआ है, जिससे आजीविका और आवासों का नुकसान पहुंचा है.

अडाणी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 05 दिसंबर, 2015 को 7,525 करोड़ रुपये की लागत से इस परियोजना का निर्माण शुरू किया था.

राज्य सरकार ने हाल ही में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, लेकिन इसमें मछुआरों के प्रतिनिधि को शामिल करने की उनकी मांग को खारिज कर दिया गया. वे चाहते थे कि अध्ययन रिपोर्ट आने तक बंदरगाह के निर्माण को रोक दिया जाए. हालांकि सरकार द्वारा इस मांग को भी खारिज कर दिया गया.

मालूम हो कि अडाणी समूह पिछले तीन महीने से रुके हुए निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करना चाहता था. इसका बीते शनिवार को मछुआरों ने विरोध किया, जो हिंसक हो गया.

समूह ने हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर शनिवार को निर्माण फिर से शुरू किया था. अदालत ने आंदोलनकारियों को काम में बाधा डालने से रोक दिया था और राज्य सरकार से पुलिस सुरक्षा प्रदान करने को कहा था.

हालांकि केरल हाईकोर्ट से किए गए वादों का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को निर्माण सामग्री ले जा रहे ट्रकों को यहां निर्माणाधीन विझिंजम बंदरगाह के सामने रोक दिया था.

इस बीच हिंदू संगठनों के तत्वावधान में परियोजना के पक्ष में एक स्थानीय लोगों की समिति आंदोलनकारी मछुआरों के खिलाफ खड़ी हो गई. शनिवार को विझिंजम बंदरगाह पर दोनों पक्षों में मारपीट हो गई थी.

केरल पुलिस ने इन प्रदर्शनों के हिंसक होने के बाद कम से कम नौ मामले दर्ज किए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)