भारत के 66 फीसदी स्कूलों में इंटरनेट सुविधा नहीं: रिपोर्ट

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में 80 से 85 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है.

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(प्रतिकात्मक फोटो: पीटीआई)

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में 80 से 85 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है.

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नई दिल्ली: यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 66 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है. बिहार और मिजोरम जैसे राज्यों में क्रमश: 92 और 90 प्रतिशत ऐसे स्कूल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह रिपोर्ट स्कूली शिक्षा के बारे में आंकड़े जमा करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है. इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में 80 से 85 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली और लक्षद्वीप में 100 प्रतिशत स्कूल कंप्यूटर सुविधाओं से लैस हैं और 97.4 प्रतिशत स्कूल इंटरनेट की सुविधा के साथ हैं. दिल्ली एकमात्र ऐसा केंद्र शासित प्रदेश भी है, जिसके 100 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट कनेक्शन है. अन्य केंद्र शासित प्रदेश जैसे चंडीगढ़ (98.7 प्रतिशत) और पुदुचेरी (98.4 प्रतिशत) भी इस श्रेणी में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में केरल में 94.6 प्रतिशत और गुजरात में 92 प्रतिशत के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं. गुजरात देश का एकमात्र ऐसा राज्य भी है, जहां निजी (89.6 प्रतिशत) से ज्यादा सरकारी स्कूलों (94.2 प्रतिशत) में इंटरनेट की सुविधा है.

हालांकि, सरकारी और निजी स्कूलों के बीच की खाई बनी हुई है. जहां 59.6 प्रतिशत निजी और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और 53.1 प्रतिशत सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी, वहीं सिर्फ 24.2 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में यह सुविधा थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत से भी कम स्कूलों में काम करने वाले कंप्यूटर थे और शिक्षण उद्देश्यों के लिए सुलभ कार्यात्मक मोबाइल फोन केवल 20 प्रतिशत थे.

रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्ट क्लासरूम की उपलब्धता भी कम है. देश के 14 लाख स्कूलों में से केवल 2,22,155 में काम करने वाले स्मार्ट क्लासरूम हैं, जिनमें शिक्षण के लिए डिजिटल या स्मार्ट बोर्ड का उपयोग किया जाता है.

मिजोरम के 3,911 स्कूलों में से केवल 25 स्कूलों में ही स्मार्ट क्लासरूम हैं. तमिलनाडु के स्कूल इस श्रेणी में शून्य हैं. पश्चिम बंगाल में 99.99 प्रतिशत स्कूल स्मार्ट क्लासरूम के साथ आगे हैं. पंजाब, हरियाणा, गुजरात और केरल में भी इस संबंध में 90 फीसद से अधिक स्कूल हैं.

हालांकि, रिपोर्ट पिछले वर्षों की तुलना में समग्र वृद्धि को दर्शाती है. भारत में पिछले चार वर्षों में स्कूलों की कुल संख्या में कमी आई है. स्कूलों की संख्या 2018-19 में 15,51,000 से घटकर 2021-22 में 14,89,115 हो गई है. 2018–19 में इंटरनेट सुविधाओं वाले स्कूलों की संख्या 2,90,447 (18.3 प्रतिशत) से बढ़कर 2021-22 में 5,04,989 (33.9 प्रतिशत) हो गई है.