ड्रग्स, बंदूक आदि का महिमामंडन करने वाले गाने न चलाएं एफएम रेडियो चैनल: केंद्र

सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि कुछ एफएम चैनल शराब, मादक पदार्थों, हथियारों, गैंगस्टर और बंदूक संस्कृति का महिमामंडन करने वाले गाने या सामग्री प्रसारित कर रहे हैं. इसी के चलते यह परामर्श जारी किया गया है. किसी भी उल्लंघन को लेकर निर्धारित नियमों-शर्तों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि कुछ एफएम चैनल शराब, मादक पदार्थों, हथियारों, गैंगस्टर और बंदूक संस्कृति का महिमामंडन करने वाले गाने या सामग्री प्रसारित कर रहे हैं. इसी के चलते यह परामर्श जारी किया गया है. किसी भी उल्लंघन को लेकर निर्धारित नियमों-शर्तों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र ने एफएम रेडियो चैनलों को शराब, मादक पदार्थों, हथियारों, गैंगस्टर और बंदूक संस्कृति का महिमामंडन करने वाले गाने चलाने या प्रसारित करने को लेकर आगाह किया है.

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एफएम रेडियो चैनलों को जारी एक परामर्श में उनसे कहा है कि वे ‘ग्रांट ऑफ परमिशन एग्रीमेंट’ (जीओपीए) और ‘माइग्रेशन ग्रांट ऑफ परमिशन एग्रीमेंट’ (एमजीओपीए) में निर्धारित नियमों तथा शर्तों का कड़ाई से पालन करें तथा इनका उल्लंघन करने वाली किसी सामग्री का प्रसारण न करें.

परामर्श में कहा गया है, ‘किसी भी उल्लंघन को लेकर जीओपीए/एमजीओपीए में निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार उचित मानी जाने वाली दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, जो निजी एफएम चैनलों को लाइसेंस जारी करता है, ने 30 नवंबर को जारी किए गए परामर्श में कहा, ‘कुछ एफएम रेडियो चैनल ऐसे गाने चला रहे हैं या ऐसी सामग्री प्रसारित कर रहे हैं जो शराब/मादक पदार्थ/हथियार/गैंगस्टर/बंदूक संस्कृति आदि का महिमामंडन करते हैं. ऐसे गानों/सामग्री का प्रसारण आकाशवाणी कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन है.’

मंत्रालय ने कहा कि यह पाए जाने के बाद परामर्श जारी किया है कि कुछ एफएम चैनल शराब, मादक पदार्थों, हथियारों, गैंगस्टर और बंदूक संस्कृति का महिमामंडन करने वाले गाने या सामग्री प्रसारित कर रहे हैं.

इसने कहा कि ऐसी सामग्री का प्रसारण करना आकाशवाणी कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन है और केंद्र को ऐसे मामलों में अनुमति के निलंबन तथा प्रसारण पर रोक लगाने के लिए प्रतिबंध लगाने का अधिकार है.

ऑल इंडिया रेडियो प्रोग्राम कोड का हवाला देते हुए परामर्श में कहा गया है, ‘लाइसेंसधारक उसी प्रोग्राम और विज्ञापन कोड का पालन करेंगे, जिसका पालन ऑल इंडिया रेडियो द्वारा किया जाता है, जिसे समय-समय पर संशोधित किया जाता है या कोई अन्य लागू कोड, जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर निर्धारित कर सकता है.’

परामर्श में इस तरह की सामग्री के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की हालिया टिप्पणियों का भी हवाला दिया, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा था कि ऐसी सामग्री बच्चों को प्रभावित करती है. इसके अलावा यह गैंगस्टरों की संस्कृति को जन्म देता है.

सरकार ने कोड का पालन करने में विफल रहने पर रेडियो चैनलों को दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है. इसमें कहा, ‘लाइसेंस धारक द्वारा अनुमति के किसी भी नियम और शर्तों या एफएम रेडियो नीति के किसी भी अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करने की स्थिति में अनुदानकर्ता को अनुमति के निलंबन और प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार होगा.’

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, जून 2019 तक लगभग 381 निजी एफएम रेडियो स्टेशन थे, जो सौ से अधिक शहरों में काम कर रहे थे.

मालूम हो कि बीते 13 नवंबर को पंजाब सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारियों, आयुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र जारी करके हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन (सोशल मीडिया समेत) और बंदूक संस्कृति तथा हिंसा को बढ़ावा देने वाले गीतों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

आदेश में कहा गया था कि सार्वजनिक सभाओं, धार्मिक स्थलों, शादी समारोहों और अन्य कार्यक्रमों में हथियार ले जाने तथा इनके प्रदर्शन पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए. किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरत संबंधी बयानबाजी में लिप्त लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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