पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुक़दमा दर्ज कराया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 30 नवंबर को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत में हाज़िर नहीं हुए.
शाहजहांपुर: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत में हाजिर नहीं हुए. अदालत ने उन्हें पेश होने के लिए और समय देने से इनकार करते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर आगामी नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करने के लिए कहा है.
एमपी-एमएलए अदालत की विशेष शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध उनकी शिष्या द्वारा शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए यौन शोषण के एक मामले में अदालत ने गुरुवार को फिर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है. इसमें उन्हें नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश होने को कहा गया है.
उन्होंने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने उच्च न्यायालय में मुकदमा वापस लेने की अपील की थी जो खारिज हो जाने के बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी. लेकिन वहां से भी उनकी अपील खारिज हो गई.
सक्सेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि वह 30 नवंबर तक शाहजहांपुर न्यायालय में हाजिर हों, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए थे.
सक्सेना ने बताया कि गुरुवार को शाहजहांपुर की एमपी-एमएलए अदालत में चिन्मयानंद को पेश होना था, मगर वह पेश नहीं हुए. इस पर उनके अधिवक्ता ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है, जिस पर छह दिसंबर को सुनवाई होनी है लिहाजा उन्हें हाजिर होने के लिए मोहलत दे दी जाए.
लेकिन एमपी-एमएलए अदालत की न्यायाधीश आसमा सुल्ताना ने समय देने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करे.
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था. वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मुकदमे को वापस लेने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से न्यायालय को पत्र भेजा था, मगर पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि वह मुकदमा वापस नहीं लेना चाहती है.
इसके बाद मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था. इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वॉरंट जारी कर दिया गया था.
बता दें कि अगस्त 2019 में शाहजहांपुर स्थित स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड कर चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण तथा कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही यह भी कहा था कि उन्हें और उनके परिवार को जान का खतरा है.
इस मामले में पीड़िता के पिता ने कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था लेकिन इससे पहले ही चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पीड़िता के पिता के खिलाफ पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज करा दिया.
इस बीच छात्रा गायब हो गई थीं और कुछ दिन बाद वे राजस्थान में मिली थीं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किया गया था और तभी अदालत ने एसआईटी को मामले की जांच का निर्देश दिया था.
इस मामले में चिन्मयानंद को 20 सितंबर 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. अक्टूबर 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत दे दी. इसे लेकर काफी आलोचना भी हुई थी.
बाद में पीड़िता अपने बयान से पलट गई थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)