उत्तराखंड: नैनीताल के निकट पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर एनजीटी ने मुख्य सचिव को नोटिस भेजा

एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि नैनीताल शहर से सटे लुप्तप्राय प्रजातियों के पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है, जिससे वन क्षेत्र को बहुत नुकसान हो रहा है. साथ ही, वनों की कटाई से नैनी झील के जलग्रहण क्षेत्र को नुकसान हो रहा है.

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(फोटो: पीटीआई)

एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि नैनीताल शहर से सटे लुप्तप्राय प्रजातियों के पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है, जिससे वन क्षेत्र को बहुत नुकसान हो रहा है. साथ ही, वनों की कटाई से नैनी झील के जलग्रहण क्षेत्र को नुकसान हो रहा है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/नैनीताल: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नैनीताल शहर के पास वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित मामले में उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव समेत विभिन्न अधिकारियों से एक महीने के अंदर जवाब मांगा है.

न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि अधिकरण ने एक सितंबर के अपने आदेश में एक संयुक्त समिति का गठन किया था और उसे दो महीने के भीतर एक तथ्यात्मक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

अधिकरण ने कहा, ‘आवेदन में दिए गए कथनों तथा संयुक्त समिति की रिपोर्ट में की गईं टिप्पणियों को देखते हुए हम मुख्य सचिव, पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव, शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव, कुमाऊं के संभागीय आयुक्त, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, नैनीताल नगर निगम आयुक्त और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से जवाब मांगते हैं.’

यह पता चलने के बाद कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पहले ही अधिकरण के समक्ष पेश हो चुका है, अधिकरण ने अन्य छह प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया.

अधिकरण ने कहा, ‘प्रतिवादी ईमेल के जरिए एक महीने में जवाब दाखिल करें.’

एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसके अनुसार पेड़ों की अवैध कटाई के कारण वन क्षेत्र को नुकसान हो रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, विवेक वर्मा द्वारा एनजीटी को एक याचिका भेजी गई थी जिसमें कहा गया था कि नैनीताल शहर से सटे लुप्तप्राय प्रजातियों के पेड़ों की अनधिकृत कटाई की जा रही है, जिससे वन क्षेत्र को बहुत नुकसान हो रहा है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि वनों की कटाई से नैनी झील के जलग्रहण क्षेत्र को नुकसान हो रहा है. एनजीटी ने 24 नवंबर को मामले की सुनवाई की और गुरुवार को आदेश की कॉपी उपलब्ध कराई गई, जिसे बाद में दिल्ली से उत्तराखंड भेज दिया गया.

एनजीटी के आदेश में कहा गया है कि इस साल एक सितंबर को उसने एक संयुक्त समिति का गठन किया था और उसे दो महीने के भीतर एक और तथ्यात्मक कार्रवाई की गई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. रिपोर्ट 31 अक्टूबर को एनजीटी को भेजी गई थी.

आदेश में आगे कहा गया है, ‘इसमें शामिल पर्यावरणीय उल्लंघनों की महत्वपूर्ण प्रकृति और प्रभाव को देखते हुए, एनजीटी वरिष्ठ अधिवक्ताओं से एमिकस क्यूरी के रूप में सहायता लेना उचित समझता है. तदनुसार, एनजीटी ने अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया है ताकि इसमें शामिल प्रश्नों के निष्पक्ष निर्णय में सहायता मिल सके.’

मामले को 3 फरवरी, 2023 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

वर्षों से विशेषज्ञों और कई स्थानीय लोगों ने नैनीताल झील की नाजुक पारिस्थितिकी और इसके जलग्रहण क्षेत्र के जंगलों पर चिंता व्यक्त की है. जंगलों और पहाड़ियों से घिरी आम के आकार की नैनीताल झील 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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