घटना इरोड ज़िले की है, जहां एक छात्र के अभिभावकों की शिकायत पर पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी प्रधानाध्यापिका फ़रार हैं.
नई दिल्ली: तमिलनाडु के इरोड जिले में एक स्कूल के प्रिंसिपल ने कथित तौर पर छह दलित छात्रों को एक स्कूल का शौचालय साफ करने के लिए मजबूर किया.
एनडीटीवी के अनुसार, छात्रों में से एक के अभिभावकों ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका (हेडमिस्ट्रेस) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस अब उनकी तलाश कर रही है.
कक्षा पांच के एक छात्र की मां ने अपनी शिकायत में कहा, ‘हेडमिस्ट्रेस गीता रानी ने केवल अनुसूचित जाति के बच्चों को शौचालय साफ करने के लिए चुना.’
उन्होंने बताया कि उन्हें इस घटना के बारे में तब पता चला जब उनके बेटे को हाल ही में डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने बताया, ‘जब मैंने उससे पूछा कि डेंगू कैसे हो गया, तो मेरे बेटे ने कहा कि जब वह ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करता था और रोजाना शौचालय साफ करता था तो उसे मच्छरों ने काट लिया.’
उन्होंने आगे बताया, ‘पिछले हफ्ते एक अभिभावक ने उन्हें शौचालय से डंडा और मग लेकर बाहर आते देखा था. पूछने पर उन्होंने बताया था कि वे शौचालय साफ करते हैं और प्रधानाध्यापिका ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा. उस कक्षा में 40 बच्चे पढ़ते हैं और उनमें से अधिकांश अनुसूचित जाति के बच्चे हैं. उन्होंने केवल हमारे बच्चों से ऐसा करने के लिए कहा था.’
पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘पलाकरई में पंचायत संघ स्कूल की प्रधानाध्यापिका फरार है. हमने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए विशेष टीमों का गठन किया है. जांच जारी है.’