मणिपुर: केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए जारी क़रीब 890 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया गया

मणिपुर में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए निर्धारित 177 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं हो सका है. प्रजनन बाल स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए 13.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए जारी अतिरिक्त 15.83 करोड़ रुपये की राशि बिना उपयोग के बची हुई हैं.

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एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

मणिपुर में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए निर्धारित 177 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं हो सका है. प्रजनन बाल स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए 13.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए जारी अतिरिक्त 15.83 करोड़ रुपये की राशि बिना उपयोग के बची हुई हैं.

एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

इंफाल: मणिपुर में केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के लिए जारी करीब 890 करोड़ रुपये का फंड 1 दिसंबर तक एकल नोडल एजेंसी (एसएनए) के एकाउंट में पड़ा था, जिसे उपयोग में नहीं लाया गया.

इंडियन एक्सप्रेस ने कुछ रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है.

एकल नोडल एजेंसी एकाउंट में इस्तेमाल न किए फंड का प्रमुख हिस्सा रखने वाले कुछ विभागों में स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और पंचायती राज (आरडीपीआर), अल्पसंख्यक मामले, लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) और नगरपालिका प्रशासन, आवास एवं शहरी विकास (एमएएचयूडी) शामिल हैं.

स्वास्थ्य क्षेत्र में, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए निर्धारित 177 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाना बाकी है. इसके अलावा, प्रजनन बाल स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए 13.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए जारी अतिरिक्त 15.83 करोड़ रुपये अप्रयुक्त रहे.

ग्रामीण विकास क्षेत्र में मनरेगा (67.30 करोड़ रुपये), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (47.12 करोड़ रुपये), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (50 लाख रुपये), श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (9.39 करोड़ रुपये), प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (26.40 करोड़ रुपये) और राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (2.94 करोड़ रुपये) जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए कुल 153.65 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं किए गए हैं.

अल्पसंख्यक मामलों के विभाग में, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत 147.77 करोड़ रुपये की राशि अभी उपयोग में नहीं लाई गई है.

लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग में, जल जीवन मिशन (जेजेएम) और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन के तहत कुल 98.44 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाना बाकी था. समाज कल्याण विभाग में विभिन्न योजनाओं के लिए निर्धारित 18.45 करोड़ रुपये की राशि बिना उपयोग के बची हुई है.

राज्य के वित्त विभाग के एक सूत्र के अनुसार, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए संचालन प्रक्रिया में नया बदलाव धन के उपयोग में देरी का मुख्य कारण है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने नए नियमों के तहत अनुदान आवंटन की प्रक्रिया कड़ी कर दी है और वितरित राशि की जांच तेज कर दी है.

स्रोत ने कहा, ‘फिर भी, राज्य के वित्त विभाग ने विभिन्न विभागों के प्रशासनिक प्रमुखों को एकल नोडल एजेंसी एकाउंट में जारी धनराशि का शीघ्र उपयोग करने के लिए लिखा है, ताकि केंद्र से आगे की किस्तें प्राप्त की जा सकें और धन के खराब तरीके से उपयोग से राज्य का विकास बाधित न हो.’