कांग्रेस जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाती तो मैं 4 बच्चों का पिता न होता: भाजपा सांसद रवि किशन

भाजपा सांसद रवि किशन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के प्रावधान वाला एक निजी विधेयक लोकसभा में पेश किया है. इसका उद्देश्य लोगों को दो से अधिक बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित करना है. इसमें कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी नौकरियों और सरकारी सुविधा और सब्सिडी के लिए अयोग्य बनाया जाना चाहिए.

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New Delhi: BJP MP Ravi Kishan during the Winter Session of Parliament, in New Delhi, Thursday, Dec. 8, 2022. (PTI Photo/Manvender Vashist Lav) (PTI12_08_2022_000068B)

भाजपा सांसद रवि किशन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के प्रावधान वाला एक निजी विधेयक लोकसभा में पेश किया है. इसका उद्देश्य लोगों को दो से अधिक बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित करना है. इसमें कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी नौकरियों और सरकारी सुविधा और सब्सिडी के लिए अयोग्य बनाया जाना चाहिए.

रवि किशन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: खुद के चार बच्चों के पिता बन जाने के लिए भाजपा सांसद रवि किशन ने कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है. बीते शुक्रवार को उन्होंने कहा कि अगर केंद्र में सत्ता में रहते हुए कांग्रेस जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाती तो वह ‘रुक’ जाते.

भोजपुरी फिल्म उद्योग में पहली बार अपना नाम बनाने वाले किशन ने संसद में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पेश करने से ठीक पहले एक समाचार चैनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह टिप्पणी की.

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने कहा, ‘मेरे चार बच्चे हैं. एक पिता के रूप में उनकी परवरिश के समय मेरा स्ट्रगल भी था. सुपर स्टारडम तो मैंने काफी समय के बाद देखा. शुरुआत में हमको 15 साल फिल्म इंडस्ट्री में पैसा ही नहीं देते थे. बोलते थे कि काम लो या फिर पैसा तो मैं काम चुनता था, क्योंकि मुझे काम चाहिए था और पैसा पीछे-पीछे आएगा ही.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अब बच्चे होने लगे तो एक पिता के रूप में मैं अपनी पत्नी को देखा, वह लंबी थीं, पतली-छरहरी थीं, अब मैंने उनके शरीर को बिगड़ते हुए देखा, एक डिलीवरी के बाद, दूसरी डिलीवरी के बाद. कुछ दिमाग चलता नहीं था. स्ट्रगल भी कर रहा हूं, शूटिंग भी कर रहा हूं, तीसरी बेबी, फोर्थ बेबी हो गई. अब जब समय… जीवन ने ठहराव दिया, मेच्योरिटी आई, जीवन में कुछ स्थिर हुए, अब मैंने उनको देखता हूं तो आई फील सॉरी.’

इस पर एंकर ने जब उन्हें टोका कि ‘अब लोग तो यही बोलेंगे न कि अपना तो कर लिए अब दूसरों पर पाबंदी लगा रहे हैं’, तो रवि किशन ने तपाक से कहा, ‘अरे तो भाई ये अगर बिल कांग्रेस पहले लाती तो हम रुक जाते.’

तब एंकर ने हंसते हुए कहा, ‘इसमें भी कांग्रेस ही दोषी है.’ फिर रवि किशन ने कहा, ‘हां, समझ रहे हो.’

समाचार चैनल के कार्यक्रम के बाद भाजपा सांसद रवि किशन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने के प्रावधान वाला एक निजी विधेयक लोकसभा में पेश किया.

गोरखपुर से लोकसभा सदस्य ने सदन में ‘जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019’ पेश किया. इसके अलावा कई अन्य निजी विधेयक लोकसभा में पेश किए गए.

देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य लोगों को दो से अधिक बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित करना है. इसमें कहा गया है कि दो से अधिक बच्चों वाले जोड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं और सामानों पर सब्सिडी के लिए अयोग्य बनाया जाना चाहिए.

हालांकि, इस नीति को संसद में लगभग तीन दर्जन बार पेश किया गया है, लेकिन दोनों सदनों से हरी झंडी पाने में विफल रही है.

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019, जिसे 2022 में वापस ले लिया गया था, में प्रति युगल दो बच्चे की नीति लाने का प्रस्ताव था. विधेयक में शैक्षिक लाभ, गृह ऋण, बेहतर रोजगार के अवसर, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और कर कटौती के माध्यम से नीति को अपनाने को प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव है.

मालूम हो कि भाजपा शासित कई राज्य विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और असम इस विचार को आगे बढ़ा रहे हैं कि कानूनी परिवर्तनों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है.

इस साल जून महीने में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा था कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द लाया जाएगा.

जुलाई 2021 में उत्तर प्रदेश ने दो बच्चों की नीति को लागू करने वाला एक मसौदा विधेयक जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि इस नीति का उल्लंघन करने वाले को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा.

जुलाई 2021 में ही द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि इस तरह के कानूनों के कई परिणाम होते हैं, जिनमें कन्या भ्रूण हत्या में बढ़ोतरी, असुरक्षित गर्भपात और चुनिंदा समुदायों को निशाना बनाया जाना शामिल है.

इस रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती आबादी का ठीकरा आमतौर पर संघ परिवार और उनके सहयोगी मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए उन पर फोड़ते हैं, जिससे एक झूठा नरेटिव गढ़ा जाता है कि मुस्लिम देश में बहुसंख्यक बनने की योजना बना रहे हैं.

जुलाई 2021 में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुस्लिम इलाकों में जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘युवाओं की सेना’ तैयार करने की बात कही थी.

2021 में ही विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ऑफ वेलिंगटन में सेंटर फॉर साइंस इन सोसाइटी की वरिष्ठ व्याख्याता नयनतारा श्योरण एपलटन ने द वायर साइंस को बताया था, ‘यह वास्तविकता नहीं होती है. जनसंख्या विस्फोट का विचार देश की पहले से ही मुस्लिम विरोधी भावना को बढ़ाता है. इसे प्रमुख नेताओं के सांप्रदायिक बयानों के जरिये झूठी चिंताओं पर तैयार किया जाता है कि भारत में मुसलमानों की आबादी तेजी से हिंदुओं की आबादी को पीछे छोड़ रही है. हालांकि, असल में मुसलमानों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) हिंदुओं के मुकाबले तेजी से कम हो रही है.’

अगस्त 2018 में 125 सांसदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर देश में दो बच्चों के मानदंड की मांग की थी. एक साल बाद आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले सांसद राकेश सिन्हा ने संसद में एक निजी विधेयक के तौर पर जनसंख्या नियमन बिल पेश किया था.

2019 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘हमें जनसंख्या विस्फोट के बारे में चिंता करने की आवश्यकता है’, क्योंकि यह ‘विकास’ के लिए हानिकारक है. उन्होंने छोटे परिवारों वाले लोगों को ‘जिम्मेदार नागरिक’ के रूप में संदर्भित किया था.

2020 में शिवसेना से संबद्ध राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47ए में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा था, ताकि इस संबंध में लाए गए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मसौदा विधेयक के समान प्रावधानों को शामिल किया जा सके.

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक को भाजपा के उसे एजेंडे के साथ भी जोड़ा जाता है, जिसमें यह दावा किया जाता है कि हिंदू खतरे में हैं. बहुसंख्यक हिंदू समुदायों का समर्थन हासिल करने के लिए पार्टी सदस्य चुनाव अभियानों के दौरान इस लाइन का इस्तेमाल करते हैं.