उत्तर प्रदेश: लखीमपुर खीरी हिंसा के गवाह के भाई पर हमला, केस दर्ज

पीड़ित की पहचान लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाह प्रभजीत सिंह के भाई सर्वजीत सिंह के रूप में हुई है. पुलिस ने कहा कि घटना का पिछले साल हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. बीते छह दिसंबर को अदालत ने हिंसा मामले के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 अभियुक्तों पर आरोप तय किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पीड़ित की पहचान लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाह प्रभजीत सिंह के भाई सर्वजीत सिंह के रूप में हुई है. पुलिस ने कहा कि घटना का पिछले साल हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. बीते छह दिसंबर को अदालत ने हिंसा मामले के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 अभियुक्तों पर आरोप तय किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा के गवाह के भाई पर एक युवक द्वारा कथित तौर पर हमला किए जाने का मामला सामने आया है.

पुलिस के अनुसार, हिंसा के गवाह प्रभजीत सिंह के भाई सर्वजीत सिंह पर हमला किया गया है. इस सिलसिले में हत्या के प्रयास के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया थाने में शनिवार (10 दिसंबर) को दर्ज मामले में सर्वजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि विकास चावला नामक व्यक्ति ने अपने साथियों की मदद से उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया.

अपनी शिकायत में सिंह ने आरोप लगाया कि शुक्रवार (9 दिसंबर) रात तिकोनिया कस्बे में उन पर हमला तब किया गया जब वह एक दोस्त अनुज गुप्ता द्वारा आयोजित पार्टी में शामिल होने गए थे. इस दौरान आरोपी विकास चावला ने अपने साथी के साथ मिलकर गाली-गलौज की और धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिससे वह घायल हो गए.

पुलिस ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव सुमन ने रविवार को बताया कि तिकोनिया मामले में गवाह प्रभजीत के भाई सर्वजीत पर एक मुंडन समारोह के दौरान हुए विवाद को लेकर हमला किया गया. उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है.

सुमन ने बताया कि इस घटना का पिछले साल तीन अक्टूबर को हुए तिकोनिया कांड मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

गौरतलब है कि तीन अक्टूबर 2021 को तिकोनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों, एक पत्रकार, दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

मालूम हो कि जून 2022 में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिलाध्यक्ष और लखीमपुर हिंसा के गवाह दिलबाग सिंह पर दो अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया था.

दरअसल तीन अक्टूबर 2021 को यानी घटना के दिन लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.

आरोप है कि इस दौरान अजय मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकोनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.

मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.

महिंद्रा थार वाहन के मालिक आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था.

गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी ​के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.

इस संबंध में पहली एफआईआर एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.

हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी 2022 को आरोप-पत्र दाखिल किया था.

दूसरी एफआईआर दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. एफआईआर संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.

लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा समेत 14 अभियुक्तों पर आरोप तय

लखीमपुर खीरी में अक्टूबर 2021 में तिकोनिया में हुई हिंसा के मामले में जिले की एक अदालत में बीते छह दिसंबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.

जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी ने बताया था कि अपर जिला न्यायाधीश सुनील कुमार वर्मा की अदालत में हिंसा मामले में आशीष मिश्रा समेत 14 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए गए.

त्रिपाठी ने बताया था कि जिन अभियुक्तों पर आरोप तय हुए हैं, उनमें आशीष मिश्रा के साथ-साथ अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशुपाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा, वीरेंद्र शुक्ला और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं.

उन्होंने बताया था कि वीरेंद्र शुक्ला पर आईपीसी की धारा 201 (सुबूत मिटाना) के तहत आरोप तय किया गया है. बाकी अभियुक्तों पर धारा 147 (बलवा), 148 (धारदार हथियार लेकर बलवा करना), 149 (गैरकानूनी जमावड़े में शामिल किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाना), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक नुकसान पहुंचाना), 427 (आर्थिक नुकसान पहुंचाना) और 120 (ख) (साजिश रचना) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप तय किए गए.

त्रिपाठी ने बताया था कि इसके अलावा आशीष मिश्रा, अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, सत्य प्रकाश त्रिपाठी, लतीफ काले और सुमित जायसवाल के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत भी आरोप तय किए गए हैं.

उन्होंने बताया था कि अदालत ने अभियोजन पक्ष से आगामी 16 दिसंबर को न्यायालय में सबूत पेश करने को कहा है.

बीते छह दिसंबर को जिन 14 अभियुक्तों पर आरोप तय हुए थे, उनमें से 13 आरोपी इस वक्त लखीमपुर खीरी जिला जेल में बंद हैं. वहीं एक आरोपी वीरेंद्र शुक्ला जमानत पर है.

आरोप तय करने का बुनियादी मकसद अभियुक्त को यह बताना होता है कि अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ कौन-कौन से आरोप साबित करना चाहता है.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली 11 नवंबर को कहा था कि हिंसा के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा द्वारा दाखिल जमानत की अर्जी पर उन्हीं न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करे, जिन्होंने पूर्व में इस मामले को सुना था.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को इस मामले को समुचित पीठ के समक्ष रखने के लिए प्रधान न्यायाधीश से निर्देश प्राप्त करने के आदेश दिए थे.

इससे पहले, पिछली 26 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका निरस्त कर दी थी. इसके बाद आशीष मिश्रा ने लखीमपुर खीरी की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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