मणिपुर-म्यांमार बॉर्डर पर दोषपूर्ण सीमांकन से भारत अपना क्षेत्र खो रहा है: भाजपा सांसद

मणिपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद एम. सनाजाउबा लेशेम्बा ने राज्यसभा में मणिपुर-म्यांमार सीमा विवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य पहले ही ज़मीन का बड़ा हिस्सा खो चुका है. अब भारत सरकार को इस मामले को म्यांमार के साथ राजनीतिक स्तर पर उठाना चाहिए. 

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मणिपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद एम. सनाजाउबा लेशेम्बा ने राज्यसभा में मणिपुर-म्यांमार सीमा विवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य पहले ही ज़मीन का बड़ा हिस्सा खो चुका है. अब भारत सरकार को इस मामले को म्यांमार के साथ राजनीतिक स्तर पर उठाना चाहिए.

महाराजा सनाजाउबा लैशेम्बा. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: मणिपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सांसद ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि गलत सीमांकन के कारण भारत मणिपुर-म्यांमार सीमा पर अपना क्षेत्र खो रहा है. उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे को पड़ोसी देश के साथ कूटनीतिक रूप से उठाया जाए.

द हिंदू के मुताबिक, महाराजा सनाजाउबा लेशेम्बा ने संसद के उच्च सदन में ‘विशेष उल्लेख’ के तहत इस मुद्दे को उठाया.

लैशेम्बा ने कहा कि कुछ महीने पहले गृह मंत्रालय के अधिकारी भारत-म्यांमार सीमा पर लगाए जा रहे पिलर्स (खंबों) के बारे में कथित विसंगतियों से संबंधित मामले देखने के लिए मणिपुर आए थे.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से विवादास्पद सीमा मुद्दे पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा, ‘इस बीच, भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का काम स्थानीय लोगों द्वारा रोक दिया गया है क्योंकि सीमा पर लगाए जाने वाले पिलर्स मणिपुर की ओर बढ़ रहे हैं जिससे भारत का क्षेत्रीय नुकसान हो रहा है. विसंगतियां नए पिलर नंबर 64 से 68, 75 से 79 और 88 से 95 के साथ हैं.’

उन्होंने कहा कि हालांकि ब्रिटिश राज के दौरान भी मणिपुर और म्यांमार के बीच सीमा विवाद थे, स्वतंत्रता के बाद विवाद को सुलझाने के लिए 1967 में एक सीमा समझौता किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘अब भी जमीनी स्तर पर कुछ अनसुलझे क्षेत्र हैं, जिन्हें नई दिल्ली और नेपीओडॉ (म्यांमार की राजधानी) दोनों ने ही नजरअंदाज किया है. मैं चाहूंगा कि भारत सरकार इस मुद्दे पर फिर से विचार करे और कृपया इस मामले को म्यांमार के साथ राजनीतिक स्तर पर उठाएं ताकि सीमा विवाद को हमेशा के लिए सुलझाया जा सके. मणिपुर पहले ही म्यांमार को जमीन का बड़ा हिस्सा खो चुका है.’