कर्नाटक विधानसभा में सावरकर की तस्वीर लगाए जाने पर हंगामा

भाजपा शासित कर्नाटक विधानसभा में कई महापुरुषों की तस्वीरों के साथ हिंदुत्ववादी विचारक वीडी सावरकर की तस्वीर लगाई गई है, जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने कहा कि सावरकर न तो कर्नाटक से संबंधित हैं और न ही भारतीय राजनीति से. वह एक विवादास्पद शख़्सियत हैं.

कर्नाटक विधानसभा में कई महापुरुषों के साथ लगाई गई वीडी सावरकर की तस्वीर (सबसे दाएं). (फोटो साभार ट्विटर/@nalinkateel)

भाजपा शासित कर्नाटक विधानसभा में कई महापुरुषों की तस्वीरों के साथ हिंदुत्ववादी विचारक वीडी सावरकर की तस्वीर लगाई गई है, जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने कहा कि सावरकर न तो कर्नाटक से संबंधित हैं और न ही भारतीय राजनीति से. वह एक विवादास्पद शख़्सियत हैं.

कर्नाटक विधानसभा में कई महापुरुषों के साथ लगाई गई वीडी सावरकर की तस्वीर (सबसे दाएं). (फोटो साभार ट्विटर/@BJP4Karnataka)

बेलगावी: हिंदुत्ववादी विचारक विनायक दामोदर सावरकर के चित्र के साथ कई महापुरुषों की तस्वीरों का यहां ‘सुवर्ण विधान सौध’ के विधानसभा कक्ष में अनावरण किए जाने के बीच सोमवार को हंगामा मच गया.

विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें अंधेरे में रखकर यह एकतरफा फैसला किया गया. विपक्षी दलों ने इसके विरोध में इमारत के बाहर सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन किया.

स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, भीमराव आंबेडकर, बसवेश्वर, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और सावरकर की तस्वीरों का अनावरण विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विधानसभा कक्ष के अंदर किया.

इस सीमावर्ती जिले में राज्य विधानमंडल के 10 दिवसीय शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ठीक पहले तस्वीरों का अनावरण किया गया.

इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्दारमैया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के नेतृत्व में पार्टी ने ‘सुवर्ण विधान सौध’ के बाहर कुवेम्पु, नारायण गुरु, शिशुनाला शरीफ, पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबू जगजीवन राम जैसे नेताओं-समाज सुधारकों की तस्वीरों के साथ प्रदर्शन किया.

कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बेलगावी के सुवर्ण विधान सौध में सोमवार को हिंदुत्ववादी विचारक वीर सावरकर के चित्र के अनावरण के बाद कांग्रेस नेता सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और अन्य ने विरोध प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह पार्टी की मांग है कि राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और समाज सुधारकों के चित्र विधानसभा में लगाए जाने चाहिए और वे किसी एक तस्वीर का विरोध नहीं कर रहे हैं. सिद्दारमैया ने कहा कि सदन के भीतर बिना किसी चर्चा या विमर्श के एकतरफा निर्णय के बाद कुछ तस्वीरों को लगाया गया.

सिद्दारमैया ने कहा, ‘यदि विधानसभा के अंदर कोई चित्र लगाना है, तो सदन को विश्वास में लेना होता है, क्योंकि वे विधानसभा की संपत्ति बन जाते हैं. हालांकि अध्यक्ष संरक्षक होता है. ऐसा नहीं किया गया है, कार्य मंत्रणा समिति में भी इस पर चर्चा नहीं की गई.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें सावरकर समेत अन्य तस्वीरों के अनावरण के संबंध में न तो कोई निमंत्रण मिला और न ही उनके पास कोई जानकारी थी और मीडिया के माध्यम से इसके बारे में पता चला. सिद्दारमैया ने कहा, ‘हम किसी भी चित्र को लगाने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन सदन को विश्वास में लेना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि नेहरू, पटेल, जगजीवन राम और समाज सुधारकों के चित्र लगाए जाने चाहिए.

सिद्दारमैया ने कहा, ‘वे (भाजपा नीत सरकार) अभी इसलिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि हम (कांग्रेस) भ्रष्टाचार, मतदाता पहचान पत्र कार्ड घोटाला, किसानों का मुद्दा, कानून-व्यवस्था, कई घोटाले समेत अन्य मुद्दे उठाएंगे. लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वे एकतरफा तरीके से ऐसा कर रहे हैं. हम इसका विरोध करते हैं.’

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक डीके शिवकुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘वे चाहते हैं कि हमारी विधानसभा की कार्यवाही न हो. वे इसमें व्यवधान डालना चाहते हैं. उन्होंने यह फोटो लगाया है, क्योंकि हम उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले उठाने वाले हैं.’

मीडिया से बात करते हुए शिवकुमार ने कहा कि यह वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए भाजपा की चाल है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे स्पीकर कार्यालय से फोन आया कि वे विधानसभा हॉल में डॉ. बीआर आंबेडकर की तस्वीर का अनावरण कर रहे हैं, लेकिन हॉल में सावरकर की तस्वीर लगाए जाने की बात मुझे मीडिया से पता चली. सावरकर न तो कर्नाटक से संबंधित हैं और न ही भारतीय राजनीति से. वह एक विवादास्पद शख्सियत हैं.’

कांग्रेस के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, ‘विधानसभा के अंदर जो कुछ भी होता है वह अध्यक्ष और विधायी विभाग पर निर्भर करता है, मुझे अभी अध्यक्ष से मिलना बाकी है, मैं उनसे बात करूंगा.’

मालूम हो कि एक ओर जहां भाजपा सावरकर को एक स्वतंत्रता सेनानी और एक ‘बहादुर क्रांतिकारी’ के रूप में चित्रित करने को बेताब रहती है, तो दूसरी ओर इतिहासकार कहते रहे हैं कि सावरकर ने जेल से रिहा किए जाने को लेकर अंग्रेजों के सामने दया याचिका लगाई थी, जिसके बाद उन्हें जेल से छोड़ा गया. उसके बाद उन्होंने न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनने से दूरी बरती बल्कि ब्रिटिश शासकों का सहयोग भी किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)