सुप्रीम कोर्ट की शिकायत पर जस्टिस ताहिलरमानी के ख़िलाफ़ हुई जांच में कुछ नहीं मिला: केंद्र

2019 में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में किया था, जिस बारे में पुनर्विचार से कॉलेजियम के इनकार के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने उनके ख़िलाफ़ सीबीआई कार्रवाई की अनुमति दी थी.

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जस्टिस विजया के ताहिलरमानी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

2019 में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में किया था, जिस बारे में पुनर्विचार से कॉलेजियम के इनकार के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने उनके ख़िलाफ़ सीबीआई कार्रवाई की अनुमति दी थी.

जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि साल 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीके ताहिलरमानी के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मिले संदर्भ में किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया था और ‘ इसलिए कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस ताहिलरमानी के खिलाफ सीबीआई जांच की स्थिति पर डीएमके सांसद एकेपी चिनराज के एक प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को बताया, ‘सीबीआई को 26.09.2019 को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव से एक संदर्भ प्राप्त हुआ था. इसका सत्यापन करने पर सीबीआई ने पाया कि इसमें किसी भी संज्ञेय अपराध होने के बारे में बताया नहीं गया था, तदनुसार, कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया.’

उल्लेखनीय है कि जस्टिस ताहिलरमानी के मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद शीर्ष अदालत द्वारा शिकायत की गई थी.

देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ‘न्याय के बेहतर प्रशासन’ के लिए जस्टिस ताहिलरमानी को मद्रास से मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी.

जस्टिस ताहिलरमानी ने पुनर्विचार का अनुरोध किया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. कॉलेजियम के फैसले के सार्वजनिक होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. चेन्नई और उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर वकीलों ने कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ विरोध भी जताया था.

ज्ञात हो कि कॉलेजियम ने उनके तबादले के कारणों का खुलासा नहीं किया था. सुप्रीम कोर्ट के महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित और न्यायालय के आधिकारिक वेबपेज पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया है, ‘उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों/न्यायाधीशों के स्थानांतरण के संबंध में कॉलेजियम द्वारा हाल ही में की गई सिफारिशों से संबंधित कुछ रिपोर्ट मीडिया में दिखाई दी हैं. निर्देशानुसार, यह बताया जाता है कि तबादले की हर सिफारिश न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में जरूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ठोस वजहों से की गई थी.’

बयान में कहा गया था कि न्यायाधीशों के तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान हित में नहीं किया जाता लेकिन शीर्ष अदालत का कॉलेजियम, ऐसी परिस्थितियों में जहां यह जरूरी हो जाएगा, इसका खुलासा करने से नहीं हिचकिचाएगा.

अगस्त 2018 में मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति से पहले जस्टिस ताहिलरमानी 2015 से तीन बार बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रही थीं.

जस्टिस ताहिलरमानी हाईकोर्ट से तीन अक्टूबर, 2020 को रिटायर होने वाली थीं. उन्हें 26 जून 2001 को बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर काम करते हुए जस्टिस ताहिलरमानी ने मई, 2017 में बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सभी 11 व्यक्तियों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने इस मामले को गुजरात की अदालत से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया था.

इसके साथ ही उन्होंने महिला कैदियों को गर्भपात कराने का अधिकार देने जैसा महत्वपूर्ण फैसला दिया था. 2001 में बॉम्बे हाईकोर्ट की जज नियुक्त होने से पहले ताहिलरमानी महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी वकील थीं.