जेएनयू के अंतिम वर्ष के पीएचडी और एमफिल छात्रों को इस महीने के अंत तक शोध प्रबंध जमा करवाने को कहा गया है. छात्रों का कहना है कि कोविड महामारी के चलते बर्बाद हुए समय के एवज में पर्याप्त समय न मिलने के चलते वे इस समयसीमा में थीसिस नहीं दे सकेंगे और उन्हें समय विस्तार दिया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कई छात्रों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए अंतिम वर्ष के पीएचडी और एमफिल छात्रों के शोध जमा करवाने के संबंध में समय विस्तार दिए जाने की मांग की.
द हिंदू के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इन बैचों को कोविड महामारी के दौरान हुए समय के नुकसान के बारे में विचार किए बिना ‘अन्यायपूर्णतरीके से’ 31 दिसंबर तक अपना शोध प्रबंध या थीसिस जमा करने के लिए कहा गया है.
उन्होंने बताया कि 2018 के पीएचडी बैच को लॉकडाउन के कारण डेढ़ साल से अधिक का नुकसान हुआ है और इस अवधि के बर्बाद होने के एवज में पर्याप्त अतिरिक्त समय दिए बिना शोध जमा करने के लिए कहा गया है. छात्रों ने यह भी जोड़ा कि साल 2020 का एमफिल बैच, जिसका कोर्सवर्क ही फरवरी 2021 में शुरू किया गया था, उन्हें इसके दो साल पूरे होने से पहले काम जमा करने के लिए कहा जा रहा है.
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने कहा, ‘कोविड-19 के कारण शैक्षणिक स्थान बंद होने के कारण जितने समय का नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति के लिए पर्याप्त समय देते हुए गुणवत्तापूर्ण शोध सुनिश्चित किया जाना चाहिए.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) द्वारा इन छात्रों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में 279 विद्यार्थियों में से 91.4% ने कहा था कि वे दी गई तारीख तक उनका शोध प्रबंध या थीसिस जमा नहीं कर पाएंगे.
इस साल 26 मई को जेएनयू ने थीसिस जमा करने के लिए छह महीने के विस्तार की अधिसूचना देते हुए 31 दिसंबर की समयसीमा तय की थी.
जेएनयूएसयू ने एक बयान में कहा, ‘जेएनयूएसयू ने यूजीसी के साथ अपनी पिछली बातचीत में उसे एमफिल/पीएचडी स्कॉलर के शोध समय में विस्तार की जरूरत के बारे में बताया है. यूजीसी ने भी स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया और हमें सूचित किया है कि वह इस मामले पर विचार कर रहा है. हालांकि, यूजीसी की तरफ से देरी और छात्रों में अनिश्चित भविष्य को लेकर बढ़ती चिंता, जो उनके एक महत्वपूर्ण डिग्री को पूरी करने को लेकर है, को देखते हुए वैकल्पिक उपाय भी तलाशे जाने चाहिए.’
छात्रसंघ के सर्वेक्षण में 62% विद्यार्थियों ने यह भी दावा किया कि उन्हें यूजीसी से केवल छह महीने का विस्तार मिला है.
जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा, ‘अधिकांश छात्रों को केवल छह महीने मिले हैं, जबकि महामारी में डेढ़ साल से अधिक समय के लिए संस्थागत बंदी रही है.’