इस साल मार्च में विधानसभा में पारित धर्म परिवर्तन संबंधी विधेयक को मंत्रिमंडल के मंज़ूरी देने के बाद नियमों को अधिसूचित किया गया है. इसके तहत ज़िलाधिकारियों को किसी भी धर्मांतरण को मंज़ूरी देने से पहले एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा और इच्छित धर्मांतरण को लेकर आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी.
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा सरकार ने ‘जबरन, अनुचित प्रभाव या लालच’ के माध्यम से धर्म परिवर्तन के खिलाफ अपने कानून को लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित कर दिया है.
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत जिलाधिकारियों (डीएम) को एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा और इच्छित धर्मांतरण को लेकर आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी. इसके साथ ही धर्म बदलने के इच्छुक व्यक्ति को डीएम के समक्ष आवेदन में यह बताना होगा कि वह अनुसूचित जाति/जनजाति से संबंधित है या नहीं, उनका व्यवसाय, आय, पता और धर्मांतरण के कारण क्या हैं.
उल्लेखनीय है कि राज्य विधानसभा ने इस साल मार्च में हरियाणा में अवैध धर्म परिवर्तन रोकथाम विधेयक पारित किया था. धर्मांतरण विरोधी कानून को राज्यपाल की सहमति के एक महीने बाद अधिसूचित किया गया.
राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में मंजूरी देने के बाद हरियाणा धर्म परिवर्तन की रोकथाम नियम, 2022 को अधिनियम के तहत 15 दिसंबर को लागू करने के लिए अधिसूचित किया था.
कानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि धर्मांतरण प्रलोभन, बल प्रयोग, जबरदस्ती या धोखाधड़ी के माध्यम से किया जाता है, जिसमें डिजिटल माध्यम का उपयोग शामिल है, तो एक से पांच साल की कैद और एक लाख रुपये से कम के जुर्माने का प्रावधान है.
कानून कहता है कि शादी करने के इरादे से अपने धर्म को छिपाने वाले को कम से कम तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.
गलत सूचना देकर सामूहिक धर्मांतरण कराने वाले व्यक्ति को न्यूनतम पांच साल की सजा का प्रावधान है जिसे बढ़ाकर दस साल किया जा सकता है. कानून के अनुसार, उसे कम से कम चार लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा.
अधिसूचित नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे इस तरह के परिवर्तन से पहले, उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को फॉर्म ‘ए’ में एक घोषणा पत्र देगा, जिसमें वह स्थायी रूप से रह रहा है.
इसके साथ ही इच्छुक व्यक्ति को फॉर्म’ ए’ में अपने धर्मांतरण करने की तारीख के साथ यह भी बताना होगा कि उसने जिस धर्म को छोड़ने का फैसला किया है, वह कितने समय से उसका पालन कर रहा है.
अधिसूचित नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे इस तरह के परिवर्तन से पहले, उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को फॉर्म ‘ए’ में एक घोषणा पत्र देगा, जिसमें वह स्थायी रूप से रह रहा है.
इस साल मार्च में पारित हुए इस कानून की धारा 9 के तहत किसी व्यक्ति को अपने धर्म परिवर्तन से पहले एक घोषणा पत्र देना होता है कि वह धर्म परिवर्तन स्वतंत्र इच्छा और बिना किसी बल, जबरदस्ती, अनुचित प्रभाव या प्रलोभन के कर रहा/रही है.
अब, नियमों में कहा गया है कि यह सब विवरण धर्म बदलने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति द्वारा फॉर्म ‘ए’ में भरे जाएंगे.
नियमों के मुताबिक, ‘यदि धर्मांतरण का इरादा रखने वाला व्यक्ति नाबालिग है, तो माता-पिता या दोनों में से जो भी जीवित हो, को फॉर्म ‘बी’ में एक घोषणा-पत्र देना होगा.’
नियम आगे कहते हैं, ‘कोई भी धार्मिक पुजारी और/या कोई भी व्यक्ति जो अधिनियम के तहत धर्मांतरण का आयोजन करना चाहता है, उसे उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को फॉर्म ‘सी’ में पूर्व सूचना देनी होगी, जहां इस तरह के धर्मांतरण का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है.’
जिलाधिकारियों को एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा और इच्छित धर्मांतरण के लिए लिखित में आपत्तियां, यदि कोई हो, आमंत्रित करनी होंगी.
इस तरह के नोटिस जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में ऐसे व्यक्ति द्वारा घोषणा-पत्र दिए जाने के बाद लगाए जाएंगे जो सोच-समझ कर ‘बिना किसी गलत बयानी, बल के उपयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी धोखाधड़ी के माध्यम से या शादी से या शादी के उद्देश्य से’ दूसरे धर्म में परिवर्तित होने का इरादा रखते हैं.
जिला मजिस्ट्रेट के सामने घोषणा-पत्र देते समय, ऐसे व्यक्तियों को धर्मांतरण के कारण, कितने समय से वे उस धर्म का पालन कर रहे हैं जिसे वह छोड़ने का फैसला कर रहे हैं, क्या वे अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हैं, व्यवसाय और मासिक आय जैसे विवरण निर्दिष्ट करने होंगे.
नियमों में कहा गया है, ‘जिला मजिस्ट्रेट इस तरह के धर्मांतरण के लिए लिखित आपत्तियों की प्राप्ति पर… ऐसे अधिकारी या एजेंसी- जिसे वह उचित समझे, द्वारा मामले की जांच-पड़ताल करवाएगा.’
सत्यापन के बाद, यदि जिला मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि बल या प्रलोभन का उपयोग किया गया है या उसकी आशंका है तो वह जांच के दौरान प्रस्तुत सभी सामग्री के साथ मामले को दर्ज करने और इसकी जांच के लिए संबंधित पुलिस थाने को संदर्भित कर सकता है.
नियम कहते हैं, ‘जिला मजिस्ट्रेट, अगर इस बात से संतुष्ट हैं कि धर्मांतरण मर्जी से किया गया है और बिना किसी गलत बयानी के, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी धोखाधड़ी के माध्यम से या शादी या शादी के लिए किया गया है, तो इस आशय का एक प्रमाण पत्र जारी करेगा.’
इसके साथ ही यह प्रावधान भी है कि यदि जिलाधिकारी के आदेश पारित करने के बाद किसी को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के अंदर मंडलायुक्त से अपील कर सकता है.
धर्मांतरण रोधी कानून के तहत, धर्मांतरण को गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, विवाह या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण कराने के उद्देश्य से नहीं किया गया था, इसका साक्ष्य उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी आरोपी पर है.
अधिनियम की धारा 5 कहती है कि धर्म को छिपाकर किया गया कोई भी विवाह अमान्य होगा. विवाह को अमान्य घोषित करने के लिए अधिनियम की धारा 6 के तहत न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करनी होगी.
अब, नियमों में बताया गया है कि अदालत प्रतिवादी को याचिकाकर्ता द्वारा अर्जी दाखिल करने पर भरण-पोषण और कार्यवाही के खर्च का भुगतान करने का आदेश दे सकती है.
नियमों में आगे कहा गया है कि ऐसी शादी से पैदा हुए नाबालिग बच्चे को भी भरण-पोषण का अधिकार है. विवाह को अमान्य घोषित करने के समय परिस्थितियों को देखते हुए अदालत प्रतिवादी की आय, संपत्ति आदि के साथ ही आवेदक की आय पर विचार करते हुए कोई सकल राशि या मासिक भत्ता या आवधिक राशि का भुगतान करने का आदेश दे सकती है.
प्रतिवादी की मृत्यु हो जाने की परिस्थिति में भरण-पोषण के लिए राशि का भुगतान उसकी अचल संपत्ति पर शुल्क लगाकर किया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भाजपा शासित कई राज्यों में इस तरह के विधेयक पारित हुए हैं और कई जगह इसे लाने की योजना है.
इस साल मार्च में हरियाणा विधानसभा में जब विधेयक पेश किया गया था तो कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रघुवीर सिंह कादियान ने विधेयक की सामग्री पर अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए सदन के पटल पर उसकी एक प्रति फाड़ दी थी.
इससे पहले पिछले साल विधेयक में ‘लव जिहाद’ शब्द को शामिल करने से हरियाणा के सत्तारूढ़ गठबंधन में हलचल पैदा हो गई थी, जब उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि उनकी पार्टी ‘लव जिहाद’ शब्दावली से असहमत है और ऐसे किसी विधेयक का समर्थन नहीं करेगी जिसमें यह शब्दावली प्रयुक्त होगी. उसके बाद मंत्री अनिल विज ने घोषणा की थी कि यह शब्द विधेयक में मौजूद नहीं होगा.
‘लव जिहाद’ संघ परिवार और हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है. अब कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाकर इन संगठनों के निराधार दावों को कानूनी रूप देने का प्रयास किया जा रहा है.
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले बताया है कि उसके पास ऐसे मामलों का कोई डेटा नहीं है. साथ ही जिन राज्यों में यह कानून हाल के समय में लाया गया है, उसके बारे में रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसने विभिन्न तरीकों से महिलाओं की स्वतंत्रता को प्रभावित किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)