बिहार के बेगूसराय ज़िले में बूढ़ी गंडक नदी पर 13 करोड़ रुपये की लागत से 206 मीटर लंबा यह पुल बनाया गया था. इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ, क्योंकि पुल को औपचारिक रूप से जनता के लिए खोला जाना बाकी था.
नई दिल्ली: गुजरात में मोरबी पुल हादसे के करीब दो महीने बाद बीते रविवार 18 दिसंबर को बिहार में पांच साल पुराना एक पुल दो हिस्सों में टूटकर नदी में गिर गया. इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ, क्योंकि पुल को औपचारिक रूप से जनता के लिए खोला जाना बाकी था.
बेगूसराय जिले में बूढ़ी गंडक नदी पर 13 करोड़ रुपये की लागत से यह पुल बनाया गया था. एक अधिकारी ने कहा, इसका उद्घाटन जल्द ही होना था, लेकिन इससे पहले ही यह ढह गया.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों ने दावा किया कि पुल का बमुश्किल उपयोग किया गया था, क्योंकि इस पर वाहनों की अनुमति नहीं थी. तस्वीरों में नदी में डूबे पुल के टूटे हुए हिस्से दिखाई दे रहे हैं. प्रशासन ने कहा कि घटना के समय पुल पर कोई नहीं था.
#WATCH | Bihar: A portion of a bridge that was built across Burhi Gandak River in Sahebpur Kamal, Begusarai collapsed and fell into the river yesterday. The bridge had developed cracks a few days back. Nobody was on the bridge at the time of the incident. pic.twitter.com/zB7L3bAOPA
— ANI (@ANI) December 19, 2022
पुल का निर्माण मुख्यमंत्री राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) योजना के तहत किया गया था.
एक अधिकारी ने कहा कि पुल के ढहने से 20,000 से अधिक लोग प्रभावित होंगे, जो प्रमुख सड़कों और कस्बों से कट गए हैं. अधिकारी ने कहा, ‘यह छात्रों, किसानों, चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता वाले लोगों को प्रभावित करेगा.’
वरिष्ठ जिला अधिकारी रोशन कुशवाहा ने कहा कि पुल को कभी भी औपचारिक रूप से नहीं खोला गया था, लेकिन इसके तैयार होने के बाद भी लोग इसका इस्तेमाल करते थे. पिछले तीन दिनों में 206 मीटर लंबे पुल में दरारें आ गई थीं.
उन्होंने कहा, ‘पुल को उपयोग के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था. हम पुल के गिरने के कारणों का आकलन कर रहे हैं. चाहे यह कोई तकनीकी खराबी हो या नहीं, हम इसकी जांच कर रहे हैं.’
बीते अक्टूबर में गुजरात के मोरबी शहर में एक सदी पुराना सस्पेंशन/केबज ब्रिज गिरने से कम से कम 139 लोगों की मौत हो गई थी. सात महीने की मरम्मत और नवीनीकरण के बाद जनता के लिए दोबारा खोलने के कुछ ही दिनों बाद पुल दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
मालूम हो कि साल 2020 में बिहार के गोपालगंज और पूर्वी चंपारण जिले को जोड़ने वाले एक नवनिर्मित पुल का एक हिस्सा उद्घाटन के करीब एक महीने बाद ही भारी बारिश के बाद ढह गया था. इस पुल का उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था.
गंडक नदी पर बने 1.4 किलोमीटर लंबे सत्तारघाट महासेतु का काम पिछले आठ साल से चल रहा था और बीते 16 जून 2020 को इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए खोल दिया गया था. पुल का निर्माण तकरीबन 264 करोड़ रुपये की लागत से बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने किया था.
साल 2021 में बिहार विधानसभा में पेश की गई एक कैग रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य में सड़क और पुल निर्माण में वित्तीय अनियमितताएं मिली हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (बीआरपीएनएनएल) ने प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए न केवल निविदाएं आमंत्रित कीं और तकनीकी मंजूरी से पहले तीन फ्लाईओवर का काम शुरू किया, बल्कि ठेकेदार को 66.25 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया था. यह भी पता चला था कि नेपाल सीमा से लगे क्षेत्र में सड़क परियोजना में देरी से 1,375 करोड़ रुपये की लागत बढ़ गई थी.
पुल से जुड़ी एक और हैरानी भरी घटना इस साल अप्रैल में सामने आई थी. बिहार के सासाराम (रोहतास) जिले में खुद को सरकारी अधिकारी बताने वाले कुछ लोगों ने 60 फुट लंबे लोहे का पुल खोलकर उसका लोहा चोरी कर लिया था.
पुलिस ने बताया था कि 500 टन वजनी इस पुल का निर्माण नसरीगंज थानाक्षेत्र के अमियावर गांव में आरा नहर पर 1972 में हुआ था. जर्जर होने की वजह से लोहे के इस पुल पर आवाजाही कम हो रही थी.
चोरों के समूह में शामिल लोगों ने खुद को सिंचाई विभाग का अधिकारी बताकर तीन दिन के दौरान जर्जर पड़े पुल को गैस-कटर और अन्य उपकरणों की मदद से काटकर अलग किया था.