अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री की ओर से सभी सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों को भेजे एक पत्र में कहा गया है कि अगली सूचना तक महिलाओं की शिक्षा स्थगित करने के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आगाह किया कि कट्टरपंथी इस्लामी शासन को इसके परिणाम झेलने होंगे.
वॉशिंगटन: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर नकेल कसते हुए बीते मंगलवार को एक नए फरमान में कहा है कि देश में निजी तथा सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में महिला छात्राओं को तत्काल प्रभाव से अगली सूचना तक प्रतिबंधित कर दिया गया है.
उच्च शिक्षा पर यह प्रतिबंध देश भर में हजारों लड़कियों और महिलाओं द्वारा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में बैठने के तीन महीने से भी कम समय बाद आया है. वर्तमान में अफगानिस्तान के विश्वविद्यालय शीतकालीन अवकाश पर हैं और ये मार्च में फिर से खोले जाएंगे.
अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम की ओर से सभी सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों को एक पत्र जारी किया गया है. इस पत्र पर नदीम के हस्ताक्षर भी हैं. पत्र में कहा गया, ‘आप सभी को सूचित किया जाता है कि अगली सूचना तक महिलाओं की शिक्षा स्थगित करने के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए.’
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में महिलाओं की विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले को ‘अस्वीकार्य’ बताते हुए उसकी निंदा की और आगाह किया कि कट्टरपंथी इस्लामी शासन को इसके ‘परिणाम’ झेलने होंगे.
ब्लिंकन ने मंगलवार को कहा, ‘महिलाओं की विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के अस्वीकार्य फैसले, माध्यमिक विद्यालयों को लड़कियों के लिए बंद करने और अफगानिस्तान में महिलाओं तथा लड़कियों को उनके मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने से रोकने के वास्ते उन पर अन्य प्रतिबंध लगाने की अमेरिका निंदा करता है.’
ब्लिंकन ने आगाह किया, ‘शिक्षा एक मानवाधिकार है. यह अफगानिस्तान के आर्थिक विकास और उसकी स्थिरता के लिए भी आवश्यक है. तालिबान तब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक वैध सदस्य बनने की उम्मीद नहीं कर सकता, जब तक कि वह अफगानिस्तान में सभी के अधिकारों का सम्मान नहीं करता. तालिबान को इस फैसले के परिणाम झेलने होंगे.’
ब्लिंकन ने कहा, ‘दुनिया में कोई भी देश महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा हासिल करने से नहीं रोकता.’
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को पहले से ही हर साल एक अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो रहा है, जिससे उबरने में महिलाएं योगदान कर सकती हैं. कोई भी देश उसकी आधी आबादी को आगे बढ़ने से रोके जाने तक तरक्की नहीं कर सकता.
ब्लिंकन ने कहा, ‘तालिबान के नए फरमान का मतलब है कि महिलाओं और लड़कियों को अपना परिवार चलाने व रोजगार तलाशने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.’
विदेश मंत्री ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद अमेरिका महिलाओं और लड़कियों सहित अफगानिस्तान के लोगों की मदद करना जारी रखेगा, उनकी मानवीय जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करेगा और सामूहिक रूप से उनके अधिकारों की वकालत करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ काम करेगा.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने भी इस प्रतिबंध पर गहरी चिंता व्यक्त की है. उनके स्टीफ़न दुजारिक ने एक बयान में कहा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दोहराया कि शिक्षा से इनकार न केवल महिलाओं और लड़कियों के समान अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि इससे देश के भविष्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा.
अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को पनाह देने के कारण अमेरिका नीत गठबंधन ने 2011 में तालिबान को देश की सत्ता से बाहर कर दिया था. हालांकि 2021 अगस्त में अमेरिकी बलों की वापसी के साथ ही उसने एक बार फिर सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली.
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा दोबारा जमाने के बाद विश्वविद्यालयों को लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग कक्षाओं और प्रवेश सहित नए नियमों को लागू करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि महिलाओं को केवल महिला प्रोफेसरों या बूढ़े पुरुषों द्वारा पढ़ाने की अनुमति थी.
देश भर में अधिकांश किशोर लड़कियों को पहले से ही माध्यमिक विद्यालय शिक्षा से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिससे विश्वविद्यालय में प्रवेश गंभीर रूप से सीमित हो गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)