कश्मीरी पंडितों का प्रदर्शन: उपराज्यपाल ने कहा- काम पर न आने वालों को वेतन नहीं दिया जाएगा

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी पर आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध और घाटी से तबादले की मांग पर 200 से अधिक दिन से प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा कि हम सरकार द्वारा बनाई गई स्थिति के कारण ऐसे हालात में हैं. आतंकियों द्वारा हमें मारने के लिए हिट-लिस्ट जारी की जा रही है.

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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी पर आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध और घाटी से तबादले की मांग पर 200 से अधिक दिन से प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा कि हम सरकार द्वारा बनाई गई स्थिति के कारण ऐसे हालात में हैं. आतंकियों द्वारा हमें मारने के लिए हिट-लिस्ट जारी की जा रही है.

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने बुधवार को महीनों से धरने पर बैठे लोगों को स्पष्ट संदेश में कहा कि घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडितों को उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा, यदि वे अपने काम पर नहीं लौटते हैं.

वहीं, प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने उनका वेतन रोकने संबंधी मनोज सिन्हा की टिप्पणी के बाद घाटी से तबादले की मांग को लेकर महीनों से जारी अपना विरोध प्रदर्शन बुधवार को तेज कर दिया.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह बेहतर होगा कि सरकार उन्हें बर्खास्त कर दें, क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठन द्वारा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की ‘हिट-लिस्ट’ (हत्या के लिए चुने गए लोगों की सूची) प्रकाशित किए जाने के मद्देनजर उचित सुरक्षा न होने पर वे घाटी में काम पर नहीं आएंगे.

इससे पहले उपराज्यपाल ने तबादले के लिए प्रदर्शन कर रहे सरकारी कर्मचारियों को बुधवार को यह स्पष्ट संदेश दिया कि काम पर न आने वालों को वेतन नहीं दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं.

अपने दो सहकर्मियों की निशाना बनाकर की गई हत्या के बाद मई 2022 में जम्मू के लिए घाटी छोड़ने वाले प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और जम्मू में तैनात आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों के जारी प्रदर्शन के बीच उपराज्यपाल ने यह टिप्पणी की.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, ‘वे हड़ताल पर हैं और मैं उनके साथ निरंतर संपर्क में हूं तथा उनके सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए गंभीर प्रयास किए हैं. उनमें से लगभग सभी को जिला आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और अन्य सरकारी पदाधिकारियों के परामर्श से जिला मुख्यालयों में स्थानांतरित किया गया है.’

सिन्हा ने कहा, ‘हमने उनके (प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के) 31 अगस्त तक के वेतन को मंजूरी दी है, लेकिन काम पर नहीं आने के कारण इसकी अदायगी नहीं की जा सकती. यह उन्हें एक स्पष्ट संदेश है तथा उन्हें इसे सुनना और समझना चाहिए.’

एनडीटीवी के मुताबिक, उपराज्यपाल ने कहा कि उनके प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों की शिकायतों को देखने के लिए हर जिले में और राजभवन में एक अधिकारी नियुक्त किया है.

सिन्हा ने जम्मू से आरक्षित श्रेणी के उन कर्मचारियों के तबादले की संभावना को भी खारिज कर दिया, जो कश्मीर घाटी में तैनात हैं. उन्होंने कहा कि ये कश्मीर घाटी में जिला कैडर और मंडल पदों पर नियुक्त हैं.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे कश्मीर संभाग में पदों पर नियुक्त हैं, उन्हें जम्मू में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है.’

इसके जवाब में घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने जम्मू स्थित प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन किया. उन्होंने उनके प्रति प्रशासन के ‘सौतेले व्यवहार’ को दर्शाने वाली तख्तियां लेकर अपने स्थानांतरण की मांग को लेकर नारे भी लगाए.

एक प्रदर्शनकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बयान है. सरकार के लिए यह बेहतर होगा कि हम सभी को बर्खास्त कर दिया जाए. हम (कार्यस्थल पर) सेवाएं देने घाटी नहीं जाएंगे. हमारा जीवन नौकरियों से ज्यादा महत्वपूर्ण है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार उनका वेतन रोकना चाहती है तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है. हमारे वेतन का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण के लिए किया जाना चाहिए.’

प्रदर्शनकारी ने यह भी कहा कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति का प्रतीक नहीं बनाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘हम सरकार द्वारा बनाई गई स्थिति के कारण ऐसे हालात में हैं. हम पिछले एक दशक से घाटी में रह रहे थे, लेकिन हमें मारने के लिए हिट-लिस्ट अब जारी की जा रही हैं. क्या आप चाहते हैं कि मैं कश्मीर जाऊं और मारा जाऊं.’

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हमारी रक्षा कौन करेगा? हमें चुनकर हमारी हत्या किए जाने से बचाने में प्रशासन विफल रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार हमें आश्वस्त करे कि भविष्य में कोई भी कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के निशाने पर नहीं आएगा. अगर वे इस तरह का आश्वासन देने की स्थिति में नहीं हैं, तो कृपया हमारी मांग स्वीकार करें और हमें कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करें.’

मालूम हो कि बीते 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के नाम लेते हुए लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा जारी की गई एक ‘हिटलिस्ट’ से भयभीत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन कर कर्मचारियों के लीक हुए विवरणों की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की थी.

आतंकी संगठन ने कश्मीरी पंडितों को धमकी दी है कि उनकी कॉलोनियों को कब्रिस्तान में बदल दिया जाएगा.

ज्ञात हो कि आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killings) के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं और 200 से अधिक दिन से स्थान परिवर्तन की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. वे जम्मू स्थित पुनर्वास आयुक्त कार्यालय के बाहर डेरा डाले हैं.

गौरतलब है कि मई 2022 में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से पिछले छह महीनों में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

सरकार ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से और इस साल जुलाई के मध्य तक पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदुओं तथा सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)