यूपी के मदरसों में शुक्रवार की जगह रविवार को छुट्टी किए जाने के प्रस्ताव का विरोध

उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की बैठक में मदरसों में शुक्रवार के बजाय रविवार को साप्ताहिक छुट्टी किए जाने का प्रस्ताव रखा गया था. इसका विरोध करते हुए कहा गया कि जुमे की नमाज़ की वजह से शुक्रवार को साप्‍ताहिक छुट्टी की व्‍यवस्‍था दी गई है. इसमें बदलाव किया गया तो ग़लत संदेश जाएगा. इस पर अंतिम निर्णय जनवरी में होने वाली बैठक में लिया जाएगा.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की बैठक में मदरसों में शुक्रवार के बजाय रविवार को साप्ताहिक छुट्टी किए जाने का प्रस्ताव रखा गया था. इसका विरोध करते हुए कहा गया कि जुमे की नमाज़ की वजह से शुक्रवार को साप्‍ताहिक छुट्टी की व्‍यवस्‍था दी गई है. इसमें बदलाव किया गया तो ग़लत संदेश जाएगा. इस पर अंतिम निर्णय जनवरी में होने वाली बैठक में लिया जाएगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के समक्ष मदरसों में शुक्रवार के बजाय रविवार को छुट्टी किए जाने का प्रस्ताव आया है. इस पर अंतिम निर्णय बोर्ड की जनवरी में आयोजित होने वाली बैठक में लिया जाएगा.

इस बीच मदरसा शिक्षकों के एक प्रांतीय संगठन ने प्रस्‍ताव का विरोध करते हुए कहा है कि मदरसों में जुमे की नमाज की वजह से शुक्रवार को साप्‍ताहिक छुट्टी की व्‍यवस्‍था शुरू से ही चली आ रही है और अगर इसमें बदलाव किया गया तो इसका गलत संदेश जाएगा.

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बुधवार को को बताया कि मंगलवार (20 दिसंबर) को ‘उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मान्यता प्रशासन एवं सेवा विनियमावली-2016’ में जरूरी संशोधन और बदलाव के सिलसिले में एक बैठक बुलाई गई थी. इसमें बोर्ड के सदस्यों और बड़ी संख्या में मदरसों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

जावेद के मुताबिक, बैठक में मदरसों में शुक्रवार के बजाय रविवार को साप्ताहिक छुट्टी किए जाने का प्रस्ताव रखा गया. बहुत दिनों से मदरसों से जुड़े लोगों की ओर से ऐसी मांग भी की जा रही थी. हालांकि, बैठक में कई मदरसों के प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव का विरोध भी किया.

जावेद ने कहा, ‘इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई है. हालांकि, अभी कोई फैसला नहीं किया गया है. इस पर अंतिम फैसला जनवरी में होने वाली बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा.’

मदरसा बोर्ड राज्य सरकार के अधीन संचालित परिषद है, जो प्रदेश में मदरसा शिक्षा की व्यवस्था संबंधी फैसले लेता है.

उत्तर प्रदेश के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण राज्‍य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘यह मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है, लिहाजा वह इस पर टिप्‍पणी नहीं कर सकते. हालांकि, अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. जो भी होगा, वह सबकी सहमति से ही होगा.’

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि संभवतः पूरे देश के मदरसों में शुक्रवार को ही साप्ताहिक अवकाश होता है. शुक्रवार को ही जुमे की नमाज पढ़ी जाती है, जिसका इस्लाम में विशेष महत्व है. जुमे की तैयारियों के मद्देनजर ही मदरसों में शुक्रवार को छुट्टी दी जाती है.

टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव दीवान साहब जमां ने कहा, ‘शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं, इसी वजह से हमेशा से मदरसों में शुक्रवार को ही छुट्टी दी जाती रही है. अगर इस व्यवस्था को बदला जाएगा तो इसका गलत संदेश जाएगा.’

उन्होंने बताया कि मदरसा बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में इक्का-दुक्का लोगों ने ही शुक्रवार के बजाय रविवार को साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था करने की वकालत की थी और बाकी सभी लोगों ने इसका विरोध किया था.

जमां ने कहा कि इस्लाम में शुक्रवार की नमाज का विशेष महत्व है और ‘जुमे’ की तैयारियों को देखते हुए इस दिन मदरसे बंद रहते हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 16,461 मदरसे चल रहे हैं, जिनमें से 560 को सरकार से अनुदान मिलता है.

गौरतलब है कि देश में तमाम राज्यों में जहां भाजपा नेतृत्व वाली सरकारें हैं, वहां मदरसों को लेकर अक्सर दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं.

इससे पहले उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार ने भी 31 अगस्‍त 2022 को राज्य के गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था.

राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया था कि सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, शिक्षकों की संख्या, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.

इसके विरोध में सितंबर 2022 में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण करने का राज्य सरकार का कदम इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की एक दुर्भावनापूर्ण कोशिश है.

जमीयत के अलावा सितंबर 2022 में ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भाजपा नीत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मदरसों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की थी. बोर्ड ने आरोप लगाया था कि राज्यों की भाजपा सरकारें मदरसों के पीछे पड़ी हैं.

इससे पहले उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में 12 मई 2022 से राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन अनिवार्य कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार ने नौ मई 2022 को सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इस आशय का आदेश जारी किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)