वीडियो: बीते अक्टूबर में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की दवाओं को बताया गया था. अब गांबिया की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस दावे की पुष्टि की है. मामले पर विस्तार में बता रही हैं द वायर की बनजोत कौर.
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अक्टूबर में एक अलर्ट जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हरियाणा स्थित मेडन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित चार सिरप संभावित रूप से एक अफ्रीकी देश- गांबिया के करीब सत्तर बच्चों की मौत से जुड़े हैं.
डब्ल्यूएचओ का कहना था कि इन दवाओं में दो टॉक्सिन्स- डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल ‘अस्वीकार्य स्तर’ में पाए गए. फिर भारतीय औषधि नियंत्रक ने जांच शुरू की. दिसंबर में उसने कंपनी को क्लीन चिट दे दी और कहा कि कोई ज़हरीला पदार्थ इन दवाओं में नहीं पाया गया.
हालांकि, द वायर को स्विस लैब की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जहां अक्टूबर में डब्ल्यूएचओ ने जांच के लिए सैंपल भेजे थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी चार उत्पादों में डीईजी 1-21% के बीच पाया गया. इतिहास में डीईजी पॉइजनिंग के क़िस्से, जिनके कई बच्चों की मौत हुए, यह बताने के लिए काफ़ी थे कि इतनी मात्रा में डीईजी का पाया जाना मौत के लिए पर्याप्त से भी काफ़ी ज़्यादा था.
अक्टूबर में गांबिया की संसद की कमेटी का गठन किया जिसका काम इन मौतों की तह तक जाना था. उस कमेटी ने 20 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट संसद में सौंप दी. उस रिपोर्ट में द वायर द्वारा पहले बताए गए निष्कर्षों की पुष्टि हुई है. समिति की रिपोर्ट में मेडन फार्मा को बच्चों की मौत के लिए दोषी और जवाबदेह ठहराया गया.
समिति ने कहा कि कंपनी ने अच्छी मैन्युफैक्चरिंग प्रथाओं से संबंधित नियमों का पालन नहीं किया और इसके उत्पादों में मौजूद डीईजी बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार थी. गांबिया की इस संसदीय समिति ने कंपनी के खिलाफ केस चलने की भी मांग की. लेकिन गांबिया की इस मांग पर भारत सरकार द्वारा कोई प्रतिक्रिया दिया जाना अभी बाकी है.
(संसदीय समिति की रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)