केंद्र ने मणिपुर के विद्रोही समूह के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने एक दशक से अधिक समय से सक्रिय ज़ेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, यह मणिपुर में शांति स्थापित करने में अहम कदम साबित होगा.

विद्रोही समूह जेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के साथ केंद्र ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. (फोटो साभार: ट्विटर/@NBirenSingh)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने एक दशक से अधिक समय से सक्रिय ज़ेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, यह मणिपुर में शांति स्थापित करने में अहम कदम साबित होगा.

विद्रोही समूह जेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के साथ केंद्र ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. (फोटो साभार: ट्विटर/@NBirenSingh)

नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को मणिपुर के एक विद्रोही समूह के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो हिंसा छोड़कर शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हुआ है.

त्रिपक्षीय समझौते पर केंद्र और मणिपुर सरकार और राज्य में सक्रिय विद्रोही समूह जेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट (जेडयूएफ) द्वारा हस्ताक्षर किए गए.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘उग्रवाद मुक्त और समृद्ध पूर्वोत्तर’ के दृष्टिकोण को साकार करते हुए और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने एक दशक से अधिक समय से सक्रिय जेडयूएफ के साथ नई दिल्ली में समझौता किया.

बयान के मुताबिक सशस्त्र समूह के प्रतिनिधियों ने हिंसा छोड़ने और देश के कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की. इस समझौते में सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास का प्रावधान है.

इसमें कहा गया है कि बुनियादी नियमों के क्रियान्वयन की देख-रेख के लिए एक संयुक्त निगरानी समूह का गठन किया जाएगा. यह समझौता मणिपुर में शांति प्रक्रिया को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा.

इस समझौते पर केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं मणिपुर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और जेडयूएफ के प्रतिनिधियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए.

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ट्वीट किया, ‘एक और मील का पत्थक छूते हुए भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने एक दशक से अधिक समय से सक्रिय रहे जेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के साथ नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह मणिपुर में शांति स्थापित करने में अहम कदम साबित होगा.’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘आंदोलन मुक्त और समृद्ध उत्तरपूर्व के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी का धन्यवाद कि क्षेत्र के सशस्त्र विद्रोही मुख्यधारा में लौट आए.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, असम में आठ आदिवासी विद्रोही संगठनों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, शाह ने सितंबर में कहा था कि सरकार ने 2024 तक पूर्वोत्तर में सशस्त्र समूहों और सीमा विवादों के साथ सभी संघर्षों को समाप्त करने का फैसला किया है.

जिन आठ समूहों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था, उनमें बिरसा कमांडो फोर्स (बीसीएफ), आदिवासी पीपुल्स आर्मी (एपीए), ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी (एएएनएलए), आदिवासी कोबरा मिलिट्री ऑफ असम (एसीएमए), संथाली टाइगर फोर्स (एसटीएफ)और बीसीएफ, एसीएमए एवं एएएनएलए शामिल थे.

गौरतलब है कि केंद्र ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए हैं. इनमें इस साल 1 अप्रैल से नगालैंड, असम और मणिपुर के 23 जिलों और एक पुलिस थाना क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) को हटाना भी शामिल है.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 के बाद से लगभग 8,000 विद्रोही हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)