बीते 23 दिसंबर को उत्तरकाशी ज़िले के पुरोला गांव में लाठियों से लैस भीड़ ने एक क्रिसमस कार्यक्रम पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाकर हमला कर दिया था. पुलिस ने अब मसूरी के यूनियन चर्च के पादरी लाजरस कॉर्नेलियस, उनकी पत्नी और चार अन्य के ख़िलाफ़ धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.
उत्तरकाशी: उत्तराखंड के मसूरी में एक चर्च के पादरी, उनकी पत्नी और चार अन्य लोगों पर यहां पुरोला क्षेत्र के एक गांव में गैरकानूनी धर्मांतरण के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने बुधवार को बताया कि गांव के लोगों की उत्तरकाशी जिले में देवधुंग में ईसाई पादरियों के एक कार्यक्रम के आयोजकों से झड़प हो गई थी. ग्रामीणों ने उन पर गैरकानूनी धर्मांतरण का आरोप लगाया था.
पुरोला की थाना प्रभारी कोमल सिंह रावत ने पहले बताया था कि मिशनरी संगठन ‘आशा और जीवन केंद्र’ से जुड़े लोगों के साथ ही पांच ग्रामीणों के खिलाफ पुरोला पुलिस थाने में मामले दर्ज किए गए हैं.
रावत ने बुधवार को कहा, ‘इस घटना के संबंध में मसूरी के यूनियन चर्च के पादरी लाजरस कॉर्नेलियस, उनकी पत्नी सुषमा कॉर्नेलियस और चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.’
उन्होंने कहा कि मामले की प्राथमिकता के आधार पर जांच के आदेश दिए गए हैं.
इससे पहले, नेपाली मूल की एक महिला ने पुलिस को दिए एक बयान में कहा था कि ईसाई मिशनरी ने धर्मांतरण के लिए उस पर काफी दबाव बनाया था.
ज्ञात हो कि बीते 23 दिसंबर को उत्तरकाशी जिले के पुरोला गांव में एक क्रिसमस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस दौरान लाठियों से लैस कम से कम 30 युवकों के एक समूह ने कार्यक्रम में शामिल लोगों पर हमला कर दिया था. समूह ने आरोप लगाया था कि वहां जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा था.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, घटना के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
बताया जा रहा है कि जांच के बाद आरोपी पादरी समेत अन्य को भी जल्द गिरफ्तार किया जा सकता है. उत्तराखंड में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पास होने के बाद प्रदेश में धर्म परिवर्तन का यह पहला मामला है. संशोधन के बाद इस कानून के तहत सजा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार पादरी की टीम गांव में सालों से आती रही थी. यहां गुपचुप तरीके से प्रार्थना सभा हो रही थी. ये लोग गांव में अपने धर्म से जुड़ा साहित्य भी बांट रहे थे. सूत्रों के अनुसार ग्रामीणों के मूल धर्म को लेकर कई तरह के भ्रम भी फैलाए जा रहे थे. लिहाजा गांव वालों ने उन पर भरोसा करना शुरू कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)