असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि मंत्रिमंडल के फैसले के तहत बिश्वनाथ ज़िले को सोनितपुर में मिला दिया जाएगा, होजई को नगांव, बजाली को बारपेटा में और तमुलपुर को बक्सा ज़िले में मिला दिया जाएगा.
नई दिल्ली/गुवाहाटी: असम के भाजपा नेतृत्व वाली हिंमता बिस्वा शर्मा की सरकार द्वारा चार नवगठित जिलों को मौजूदा जिलों में विलय करने की मंजूरी के बाद राज्य में विरोध शुरू हो गया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने बिश्वनाथ जिले में घंटों सड़कों को जाम रखा. बजाली जिले में भी विरोध प्रदर्शन हुए. उन्होंने ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए और सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की.
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम इस परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ हैं. सरकार ने ऐसे फैसले क्यों लिए हैं? हम सरकार के व्यवहार से खुश नहीं हैं.’ एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हमने सरकार से निर्णय वापस लेने का आग्रह किया है.’
असम सरकार ने शनिवार को चार जिलों को चार अन्य जिलों में मिलाने और कुछ गांवों के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में बदलाव करने का फैसला किया था.
राज्य सरकार ने यह कदम प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्निर्धारण पर निर्वाचन आयोग द्वारा रोक लागू करने से एक दिन पहले उठाया है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राजधानी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि असम, उसके समाज और प्रशासनिक आवश्यकताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय भारी मन से लिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि यह केवल अस्थायी है और इसके पीछे के कारण का खुलासा नहीं किया.
हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा, ‘इस फैसले के तहत बिश्वनाथ जिले को सोनितपुर में मिला दिया जाएगा, होजई को नगांव में मिला दिया जाएगा, बजाली को बारपेटा में और तमुलपुर को बक्सा में मिला दिया जाएगा.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शर्मा ने कहा कि वह इन जिलों के लोगों से माफी मांगना चाहते हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे फैसलों के महत्व को समझेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के मंत्रियों की एक टीम इन जिलों का दौरा करेगी और प्रमुख संगठनों और नागरिकों के साथ बातचीत करेगी. उन फैसलों के कारणों को बताएगी, जिनका खुलासा सार्वजनिक रूप से नहीं किया जा सकता है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि विलय किए गए चार जिलों के पुलिस और न्यायिक जिले जारी रहेंगे, क्योंकि वे अन्य कार्यालयों और अधिकारियों के साथ हैं.
यह फैसले शनिवार को मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने एक जनवरी 2023 से असम में नई प्रशासनिक इकाइयां बनाने पर रोक लगा दी है. निर्वाचन आयोग की ओर से जल्द ही राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
चुनाव आयोग ने 27 दिसंबर को कहा था कि उसने असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की शुरुआत की है और वह सीटों के समायोजन के लिए 2001 की जनगणना के आंकड़ों का उपयोग करेगा.
चुनाव आयोग ने नोट किया कि परिसीमन अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत असम में निर्वाचन क्षेत्रों का अंतिम परिसीमन 1971 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 1976 में तत्कालीन परिसीमन आयोग द्वारा प्रभावी किया गया था.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8ए के अनुसार असम की विधानसभा और संसदीय सीटों को फिर से तैयार करने का कदम केंद्रीय कानून मंत्रालय के एक अनुरोध के बाद शुरू किया गया है.
परिसीमन एक विधायी निकाय वाले देश या राज्य में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा या सीमाओं को तय करने की प्रक्रिया है.
चुनाव आयोग के बयान में कहा गया है कि परिसीमन अभ्यास के दौरान आयोग भौतिक सुविधाओं, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधा और सार्वजनिक सुविधा को ध्यान में रखेगा. जहां तक व्यावहारिक हो, निर्वाचन क्षेत्रों को भौगोलिक रूप से कॉम्पैक्ट क्षेत्रों के रूप में रखा जाएगा.
आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए एक मसौदा प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे आम जनता से सुझावों और आपत्तियों को आमंत्रित करने के लिए केंद्रीय और राज्य राजपत्रों में प्रकाशित किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)